-फाइलों में कैद होकर रह गया है बालश्रम निषेध अधिनियम

-जोखिम से जुड़े उद्योग में भी लगे हैं मासूम, खुलेआम हो रहा कानून का उल्लंघन

ALLAHABAD: जिस उम्र में उनके नन्हें हाथों में कलम और किताबें होनी चाहिएं थीं उस उम्र में उन्हें औजार थमा दिए गए। स्कूल की जगह गैराज और कारखानों ने ले ली। शब्दों का ज्ञान देने वाले गुरुओं की जगह गाडि़यों की मरम्मत करने वाले मिस्त्रियों ने ले ली। सबसे खास बात इस दौरान गुम हो गया उनका नाम और सब छोटू कहकर पुकारने लगे। ऐसे छोटू आपको आसानी से ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग शॉप्स पर, रेलवे लाइन किनारे प्लाटिक की बोतलें बटोरते दिख जाएंगे। इन जगहों पर बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे काम करते दिख जाएंगे जिनकी उम्र क्ब् वर्ष से कम है। ऐसा नहीं कि इनका मन नहीं करता स्कूल जाने का या दोस्तों के साथ पार्क में खेलने का। मगर, हालात के हाथों मजबूर इन बच्चों के लिए काम करना ही नसीब-सा बन गया है। वहीं, बालश्रम निषेध अधिनियम के तहत इस उम्र तक के बच्चों से काम कराना कानून का उल्लंघन है। इसकी रोकथाम करने वाला सरकारी महकमा भी इस हालात से बेखबर है।

इस साल 80 बच्चे मुक्त कराए

ऐसा नहीं है कि श्रम विभाग चाइल्ड लेबर पर रोक लगाने का काम नहीं कर रहा है, लेकिन उसकी कार्रवाई ऊंट के मुंह में जीरे की तरह साबित हो रही है। मौजूदा वर्ष में अब तक 80 बच्चों को चाइल्ड लेबर से मुक्त कराया जा चुका है। बेसिक शिक्षा विभाग के जरिए इनको शिक्षित करने की मुहिम चलाई जा रही है। एक्ट के उल्लंघन के आरोप में संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा चुकी है।

बॉक्स

हर मासूम की अपनी मजबूरी

नाम- नूर

उम्र- दस साल

-चौक स्थित एक चूड़ी की दुकान पर काम करने वाला नूर पिछले दो साल से इस व्यवसाय से जुड़ा है। वह एक बार भी स्कूल पढ़ने नहीं गया। उसने बताया कि घर में दो बड़ी बहनें हैं। पिता मजदूरी करते हैं। वह यहां काम करने घर चलाने में पिता का हाथ बंटा रहा है।

नाम- नरेश

उम्र- क्ख् साल

-नैनी स्थित एक ईट भट्ठे पर मजदूरी करने वाले नरेश का काफी समय भट्ठी के आसपास बीतता है। इस काम में उसके पैर कई बार जल चुके हैं। माता-पिता मजदूरी करते हैं। एक बार वह भट्ठा छोड़कर जा रहा था तो मालिक ने उसे जमकर पीटा। भट्ठे की आंच की वजह से उसे खांसने की दिक्कत होने लगी है।

नाम- विशाल

उम्र- क्ख् साल

-करेली के रहने वाले विशाल के मोहल्ले में बीड़ी बांधने का काम होता है। पिछले तीन साल वह यह काम कर रहा है। इससे उसे बीड़ी पीने की लत भी लग गई है। एक सांस में दिक्कत होने पर डॉक्टर उसे इस काम से दूर रहने की हिदायत भी दे चुके हैं।

नाम- सलमान

उम्र- क्क् साल

नवाब युसुफ रोड की एक ऑटोमोबाइल मैकेनिक शॉप पर काम करने वाले क्क् साल के सलमान को सभी पहचानते हैं। उसके पिता शौकत ने उसे अभी से व्हीकल रिपेयरिंग का काम सीखने के लिए भेज दिया है। वह स्कूल नहीं जाता। दिनभर गाडि़यों पर पोछा मारना और नटबोल्ट कसने का काम करता है। क्ख् घंटे के काम के लिए उसे केवल महीने में पांच सौ रुपए मिलते हैं। चाय-पानी मंगाने के नाम पर एक-दो रुपए कभी-कभार मिल जाते हैं।

खतरनाक बीमारियों को दावत दे रहे मासूम

एक्ट के तहत ऐसे कई व्यवसाय हैं, जिनमें क्ब् साल से कम के बच्चों के काम करने पर कड़ी रोक लगाई गई है। केंद्र सरकार ने इन व्यवसाय की सूची भी तैयार की है। इनसे जुड़े बच्चों को कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं, जिससे उनका जीवन बर्बाद हो सकता है। फिर भी खुलेआम ये बच्चे इनमें काम करने को मजबूर हैं। कहीं आर्थिक तंगी तो कहीं माता-पिता के दबाव में इनको रोजाना कई घंटे मेहनत करनी पड़ती है। आइए जानते हैं कि किसी व्यवसाय से मासूमों को कौन सा खतरा है-

व्यवसाय होने वाली बीमारियां

-बीड़ी उद्योग टीबी और सांस की बीमारियां

-हस्तकरघा दमा, टीबी, रीढ़ की हड्डी की बीमारी

-जरी व कढ़ाई आंखों में खराबी

-रून एवं हीरा कटिंग चर्म राग, इंफेक्शन, टेटनस, दमा, टीबी

-कागज के टुकड़े बटोरना सिलिकोसिस, सर्दी एवं खांसी

-कुम्हार दमा, टीबी, सिलिकोसिस, सर्दी एवं खांसी

- पत्थर एवं स्लेट खनन सिलिकोसिस

-चूड़ी उद्योग ताप आघात, चर्म रोग, कंजक्टीवाइटिस

- कृषि चर्मरोग, कीटनाशक का दुष्प्रभाव, स्नायु संबंधी रोग व अत्यधिक उत्तेजना

-ईट भट्ठी सिलिकोसिस एवं ऐठन

-पीतल उद्योग अंग विहीनता, टीबी, जलन, उल्टी, खूना आना, जल्दी मृत्यु

-बैलून उद्योग निमोनिया, सांस में तकलीफ, दिल का दौरा

-माचिस उद्योग आग से दुर्घटना व मृत्यु

-शीशा एवं पॉवरफुल उद्योग दमा, टीबी, आंख में खराबी व जलना

-ऑटोमोबाइल सांस की प्रॉब्लम, त्वचा संबंधी रोग, आंखों की खराबी

इन कामों पर है पूरी तरह मनाही

-बीड़ी बनाना, गलीचे बुनना, सीमेंट कारखाना, कपड़ा बुनाई, छपाई, रंगाई, माचिस, पटाखे-बारूद बनाना, अभ्रक काटना या तोड़ना, चमड़ा या लाख बनाना, साबुन बुनाई, छपाई, ऊन की सफाई, मकान, सड़क बांध आदि बनाना, स्लेट-पेंसिल बनाना, गोमेद की वस्तुएं बनाना, ऑटोमोबाइल। इसके अलावा ऐसा काम जिसमें लैड, पारा, मैगनीज, क्रामियम, अरगजी, बैजीन, कीड़े नाशक दवाएं और एस्बेस्टस जैसे जहरीले पदार्थ यूज होते हों। इस तरह कुल 7क् व्यवसाय में बालश्रम पर पूरी तरह रोक लगाई गई है।

उम्र सीमा बढ़ा सकती है सरकार

सोर्सेज का कहना है कि सरकार बालश्रम निषेध अधिनियम की निर्धारित आयु सीमा क्ब् वर्ष को बढ़ाकर क्8 वर्ष करने का विचार कर रही है। जल्द ही इससे संबंधित गाइड लाइन भी सामने आ जाएगी जिन उद्योगों में बालश्रम के तहत काम करने की छूट हैं, उनके निर्धारित नियमों का पालन नहीं होने पर ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही एजूकेशन फॉर ऑल के नियम के तहत बालश्रम को पूरी तरह प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।

फिलहाल इन शर्तो के साथ है काम करने की इजाजत

- छह घंटे से अधिक समय तक काम नहीं करवाया जा सकता। काम के लिए इंतजार करने समय भी इसमें शामिल है।

- एक साथ तीन घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। बीच में एक घंटे का आराम जरूरी है।

- रात सात बजे से सुबह आठ बजे तक कोई काम नहीं लिया जा सकता।

- सप्ताह में कम से कम एक दिन की छुट्टी दी जानी चाहिए।

- बच्चों को स्कूल भेजा जाना जरूरी है।

सजा का प्रावधान

एक्ट के तहत कानून की मनाही के बावजूद काम करने वाले ठेकेदार या मालिक को तीन महीने से एक साल की कैद व दस से बीस हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है। दोबारा जुर्म करने पर छह माह से दो साल की सजा हो सकती है।

वर्जन

चाइल्ड लेबर पर रोक लगाने के लिए हमारी ओर से लगातार अभियान चलाया जाता है। लोगों को जागरूक किया जाता है। बच्चों को मुक्त कराकर उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग को सौंपी जाती है। प्रतिबंधित व्यवसाय में काम करने वाले बच्चों पर नजर रखी जा रही है।

एके सिंह, उप श्रमायुक्त, इलाहाबाद