छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : एक मजदूर अब मुख्यमंत्री बनने जा रहा है। पहले एक छोटे परिवार की जिम्मेवारी थी, अब पूरे राज्य की कमान हाथ में होगी। एक लंबा सफर। वक्त के करवटों के बीच लगातार चलते हुए न थके, न रुके और न ही झुके। वे न तो मजदूरी करने से पीछे हटे और न ही मजदूर भाईयों के हक के लिए लड़ने से। विधायक बने, मंत्री और उपमुख्यमंत्री भी बने पर मजदूर तो वे हमेशा जुड़े रहे। हमेशा सहज, सरल और आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध रहना उनकी खासियत है। उन्होंने अपने घर-परिवार से ज्यादा आम लोगों की फिक्र की। छाले पड़े हाथों में अब कलम होगी, जिसकी ताकत पूरे राज्य में सबसे ज्यादा होगी। अब वह कलम चलेगी, लोगों की भलाई के लिए, राज्य के विकास के लिए और 14 सालों से लगातार पिछड़ते जा रहे झारखंड को देश के चुनिंदा विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा करने के लिए। क्योंकि राज्य के अगले मुख्यमंत्री रघुवर दास होंगे। वे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं।

रघुवर के पिता भी रहे हैं मजदूर रघुवर दास के पिता चवन राम भी टिस्को में मजदूरी किया करते थे। एक मजदूर का काम के प्रति ईमानदारी और पारिवारिक जिम्मेवारी को एक साथ निभाने की कला उन्होंने पिता में देखा था। 2005 में पिता की मौत हो गई, जबकि उनसे भी पहले मां इस दुनिया को छोड़कर चली गईं थी, लेकिन माता-पिता हमेशा रघुवर की यादों में बने रहे और पिता के पदचिन्हों पर चलने की उन्होंने हमेशा कोशिश की। रघुवर दास के बारे में उनके फैमिली मेंबर्स का कहना है कि वे हमेशा अपने माता-पिता को ही आदर्श मानते हैं।

परमानेंट होने के लिए 10 साल से ज्यादा का इंतजार

रघुवर दास ने टाटा स्टील में ठेका मजदूर के रुप में काम शुरु किया था। 1978 में उनकी शादी हुई और उसके दस साल बाद 1988 में वे टेम्पररी से परमानेंट मजदूर बन पाए। उनके पिता चवन राम भी टिस्को में ही कार्यरत थे। रघुवर दास की पत्‍‌नी रुक्मिणी कहती हैं- ठेका मजदूरी करने के दौरान ही वे पॉलिटिक्स से जुड़ गए थे और दूसरों के हित का काफी ख्याल रखते थे।

6 भाई-बहनों में रघुवर चौथे नंबर पर

रघुवर अपने माता-पिता की चौथी संतान हैं। उनसे बड़ी तीन बहनें (प्रेमवती, महारीन बाई और देदु बाई) हैं। रघुवर से छोटे दो भाई (मूलचंद साहू और जगदेव साहू)हैं। कोई फेस्टिवल हो या फैमिली फंक्शन, परिवार के लगभग सभी सदस्य एक जगह इकट्ठा होते हैं। रघुवर के दोनों छोटे भाई जमशेदपुर में ही रहते हैं।

बेटे ने ली है एमबीए की डिग्री, बेटी की हो चुकी है शादी

रघुवर दास और रुक्मिणी देवी के दो बच्चे हैं। बेटी रेणु बड़ी है, जबकि बेटा ललित छोटा। रेणु ने ग्रेजुएशन के बाद एमसीए तक की पढ़ाई की। उसके बाद उनकी शादी छत्तीसगढ़ के रहने वाले यशपाल से हो गई, जो पेशे से इंजीनियर हैं। बेटा ललित ने रांची स्थित बीआईटी मेसरा के लालपुर एक्सटेंशन से एमबीए किया है। रेणु फिलहाल अपने बेट अभिजीत के साथ जमशेदपुर आई हुई हैं।

छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे

रघुवर दास ने को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी करने के बाद को-ऑपरेटिव लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। वे छात्र राजनीति में हमेशा सक्रिय रहे। छात्र संघर्ष समिति में संयोजक की भूमिका निभाते हुए जमशेदपुर में यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए आंदोलन भी किया।

1977 में जनता पार्टी ज्वॉइन किया, 1980 में बीजेपी

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति का रघुवर दास ने जमशेदपुर में नेतृत्व संभाला। उन्होंने 1977 में जनता पार्टी ज्वॉइन किया। 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद वे इस पार्टी से जुड़ गए। उसी साल भाजपा के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने वे मुंबई भी गए थे। बाद में वे बीजेपी सीतारामडेरा के मंडल अध्यक्ष बनाए गए उसके बाद जिला भाजपा में महामंत्री भी रहे।

1995 में पहली बार बने विधायक

रघुवर दास पहली बार 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से विधानसभा का इलेक्शन लड़े। इस चुनाव में उनकी जीत ने ही शायद यह सुनिश्चित कर दिया था कि यह सीट उनसे शायद ही कोई छीन पाए। इसके बाद 2000, 2005, 2009 और अब 2014 में लगातार वे पांचवीं बार इसी सीट से विधायक चुने गए।

रघुवर दास को जानिए

- भालूबासा हरिजन विद्यालय से मैट्रिक तक की पढ़ाई

2- जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई

3- को-ऑपरेटिव कॉलेज से एलएलबी की डिग्री

4-11 मार्च 1978 को रुक्मिणी देवी के साथ शादी

5-- रघुवर दास के दो बच्चे हैं बेटी रेणु और बेटा ललित

6- ग्रेजुएशन के बाद टाटा स्टील में मजदूरी शुरू की, जो आज तक जारी है

पॉलिटिकल करियर

- 26 दिसंबर 2014 - मुख्यमंत्री पद के नाम पर लगी विधायकों की मुहर

-16 अगस्त 2014 - बीजेपी के बने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

-30 दिसंबर 2009 से 30 मई 2010 तक - उपमुख्यमंत्री, वित्त, ऊर्जा, नगर विकास, आवास एवं संसदीय कार्यमंत्री

-19 जनवरी 2009 से 25 सितंबर 2010 तक - प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

-12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक - वित्त वाणिज्य एवं नगर विकास मंत्री

-जुलाई 2004 से मई 2005 तक- झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

-मार्च 2003 से 14 जुलाई 2004 तक - भवन निर्माण मंत्री

- 15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक - श्रम एवं नियोजन मंत्री

- 1995- पहली बार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर बने विधायक