- शहरवासी जमकर तोड़ते हैं ट्रैफिक रूल्स, ट्रैफिक पुलिस भी बनी रहती मूक दर्शक GORAKHPUR: सिटी में ट्रैफिक की व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार हो गई है। सामान्य लोगों की ट्रैफिक रूल्स के प्रति लापरवाही व प्रशासन की उदासीनता ने समस्या को गंभीर बना दिया है। प्रमुख चौराहों पर लोग बेधड़क ट्रैफिक रूल्स की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। ये मनमानी अक्सर जाम के साथ ही हादसे की भी वजह बन जाती है। यानि सड़क पर चलते समय आपको अपनी सजगता के साथ ही सामने वाले की लापरवाही पर भी नजर रखनी होगी वरना आप दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। शहर के लोगों का सिविल सेंस देखने निकली दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम को ज्यादातर जगह लोग ट्रैफिक के नियमों से बेपरवाह ही दिखे। वहीं, ट्रैफिक व्यवस्था में लगे जिम्मेदार भी बेतरतीब हो रहे यातायात की चिंता छोड़ आराम फरमाते रहे। स्पॉट 1 - गोलघर चौराहा टाइम - दोपहर 1.45 बजे रिपोर्टर गोलघर चौराहा पहुंचा तो यहां सड़क के सेंटर में बने ट्रैफिक पुलिस बूथ में कोई कर्मी नहीं खड़ा था जो राहगीरों को सही दिशा दिखाता। चारों तरफ से आने-जाने वाले लोग मनमर्जी से चले जा रहे थे। नतीजा लोग आपस में गुत्थम-गुत्था हो रहे थे। ठीक इसी समय तीन-चार की संख्या में यातायात कर्मी सड़क के किनारे खड़े होकर आपस में गप्पें लड़ा रहे थे। स्पॉट 2 - शास्त्री चौक टाइम - दोपहर 2.10 बजे यहां सड़क के बायीं ओर टैम्पो व जीप सहित सवारी ढोने वाली गाडि़यों का रेला लगा हुआ था जिससे राहगीरों के लिए बहुत कम रास्ता बचा हुआ था। सड़क को दो हिस्सों में बांटने वाले डिवाइडर्स के बावजूद लोग उसके इधर-उधर आ जा रहे थे। इसी समय चौराहे पर ही पेड़ के नीचे यातायात पुलिस कर्मी खड़े होकर गहन चर्चा में व्यस्त थे। स्पॉट 3 - कचहरी चौराहा टाइम - दोपहर 2.30 बजे यहां तो सड़क का आधा हिस्सा गाडि़यों से इस तरह पटा था मानो यह सिटी की मेन सड़क नहीं बल्कि कोई पार्किंग हो। इनमें से ज्यादातर महंगी कारें थीं। शायद इसीलिए पास की पुलिस चौकी पर पुलिसकर्मी आराम फरमा रहे थे पर किसी ने गाडि़यों को हटाने की जहमत नहीं उठाई। कोट्स यातायात नियमों का पालन अक्सर करता हूं पर कभी-कभी जल्दी के कारण शॉर्ट कट का तरीका अपना लेता हूं। - त्रिलोकी नाथ त्रिपाठी सामान्य ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं। जानकारी की कमी के कारण सभी नियमों का पालन नहीं कर पाता पर अब से प्रयास करूंगा। श्री प्रकाश सिंह हेलमेट हमेशा पहनता हूं। पर पूरी तरह से ट्रैफिक नियमों का पालन तो नहीं कर पाता। - मनीष त्रिपाठी हमारे शहर में सड़कें ही इतनी बेहतर नहीं हैं कि ट्रैफिक नियमों को पूरी तरह से लागू किया जा सके। प्रशासन की उदासीनता भी इसके लिए जिम्मेदार है। - अरुण गुप्ता