- शहर में सरकारी लाइब्रेरियों की हालत खस्ता

- विकास 5ावन लाइब्रेरी में कुर्सी व किताबें नहीं, राजकीय पुस्तकालय में भी सुविधाओं का अभाव

GORAKHPUR: शहर की सरकारी लाइब्रेरियों की स्थिति काफी 2ाराब है। पानी, शौचालय से जुड़ी समस्याएं ही इतनी बड़ी हैं कि नई किताबों की कमी कोई समस्या ही नहीं बन पाती। विकास भवन लाइब्रेरी में जहां पाठकों के लिए कुर्सियों तक का इंतजाम नहीं है। देखरेख के अभाव में यहां अन्य व्यवस्थाएं भी चरमरा गई हैं। वहीं, बात की जाए राजकीय पुस्तकालय की तो अन्य व्यवस्थाएं तो छोडि़ए, जि6मेदारों ने पाठकों के पीने के लिए पानी तक का इंतजाम नहीं किया है। इन हालातों का ही नतीजा है कि ज्ञान के सबसे बड़े स्त्रोत के प्रति युवाओं का रुझान कम होता जा रहा है और लाइब्रेरियां उपेक्षित होती जा रही हैं।

विकास 5ावन लाइब्रेरी

विकास 5ावन की लाइब्रेरी में कुर्सियों तक का इंतजाम नहीं है। वहीं, देखरेख के अभाव में पूरे परिसर को धूल की महीन चादर ने ढक लिया है। लाइब्रेरी में ही दो ब1से रखे गए हैं शायद परिसर में कहीं और जगह नहीं थी। पूरी लाइब्रेरी 1065 किताबों पर ही चल रही है। इसमें 5ाी एक ही ले2ाक की 104 किताबें र2ाी गई हैं। यहां आने वाले पाठकों की सं2या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उपस्थिति रजिस्टर तक लाइब्रेरी में नहीं र2ा गया है। पूरी लाइब्रेरी में उपयोगी नई किताबें ढूंढने से 5ाी नहीं मिलेंगी।

राजकीय पुस्तकालय, जुबली

राजकीय पुस्तकालय जुबली में पाठकों के पीने के लिए पानी तक का इंतजाम नहीं किया गया है। यहां पढ़ने के लिये आने वाले युवकों को पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है। परिसर में जानवरों का घूमना-फिरना आम है। लेडीज टॉयलेट का इंतजाम ही नहीं है जिससे लड़कियां यहां बेहद कम सं2या में आती हैं। वहीं, यहां रखीं अधिकतर किताबें साहित्य से जुड़ी हैं और काफी पुरानी हैं जबकि यहां आने वाले ज्यादातर युवा कॉ6प्टीशन परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कैटलॉग के लिए कंप्यूटर लगाया गया है जो काम ही नहीं करता। वहीं, मच्छरों से भी पाठक परेशान रहते हैं पर इनसे बचाव का कोई इंतजाम नहीं किया गया है।

कोट्स

लाइब्रेरी में लेडीज टॉयलेट नहीं है। जिससे आवश्यकता पड़ने पर कहीं दूर जाना पड़ता है। इससे पढ़ाई बाधित होती है।

- पूनम पांडेय

यहां कॉ6प्टीशन की किताबें और पीने के पानी तक का इंतजाम नहीं है। जिससे ह6ा ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि यहां स्टूडेंट्स की सं2या नहीं बढ़ रही है।

- प्र5ाकर उपाध्याय