-लगातार बढ़ती जा रही आबादी, नहीं बढ़ रही फोर्स

-वर्ष 2011 की जनगणना में 4436275 थी कुल आबादी

GORAKHPUR: शहर की बढ़ती आबादी के लिए पुलिस बल का इंतजाम नाकाफी साबित हो रहा है। कालोनियों की सुरक्षा के लिए निर्धारित पुलिस बल को रोजाना अपराधी चुनौती दे रहे हैं। रोज की भागमभाग में पब्लिक की सुरक्षा से लेकर वीआईपी ड्यूटी तक में हलकान पुलिस कर्मचारियों की थकान नहीं मिट पा रही। ड्यूटी के प्रेशर से जहां एक ओर पुलिस कर्मचारियों की तबियत बिगड़ जा रही। वहीं नींद पूरी न होने, पर्याप्त आराम न मिलने से उनका चिड़चिड़ापन भी बढ़ता जा रहा है। शहर में पब्लिक की तादाद के लिहाज से पुलिस बल बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन सीएम सिटी होने के बावजूद संसाधान बढ़ाने पर कोई जोर नहीं दिया जा रहा है। नए थानों- पुलिस चौकियों के निर्माण की सारी योजनाएं फाइलों में सिमटकर रह गई हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिले में मौजूद पुलिस बल के उत्साह से कानून-व्यवस्था, क्राइम कंट्रोल सहित अन्य कार्य बखूबी संचालित हो रहे हैं।

कई साल पुराना मानक, नहीं बदला स्वरूप

जिले में पुलिस बल की तैनाती का मानक कई साल पुराना है। शहर के भीतर हर साल आबादी बढ़ती जा रही है। कालोनियों का विस्तार होने से सुरक्षा का दायरा बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके अनुरूप थानों पर पुलिस कर्मचारियों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हो सका। इसलिए पब्लिक की सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मचारियों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि करीब 40-50 साल पुराना मानक चला आ रहा है। शहर में जहां एक दर्जन कालोनियों-मोहल्लों के लिए एक पुलिस कर्मचारी तैनात हैं। वहीं देहात एरिया में 20 से 25 गांवों की सुरक्षा की जिम्मेदारी एक सिपाही के कंधे पर है। वर्ष 2011 में जिले की कुल आबादी 4436275 लाख बताई गई थी। इस आंकड़े के मुताबिक पुलिस बल काफी कम है। पुलिस कर्मचारियों को हर मामले में हांफना पड़ता है। कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी होने पर पब्लिक का भारी आक्रोश भी पुलिस कर्मचारी झेलते हैं। पुलिस बल की कमी को देखते हुए जून माह में एसएसपी ने ऑफिस में तैनात पुलिस कर्मचारियों की रोटेशन के अनुसार ड्यूटी लगाने का निर्देश दिया था। हाल में हुए प्रमोशन में इंस्पेक्टर की तादाद बढ़ गई है, जिनमें आधे से अधिक अंडर ट्रांसफर हैं।

40 साल पूर्व मानक

वर्ष 2011 में आबादी- 4436275

जिले में कुल थाना- 26

शहर में थाना - 09

सिपाहियों के पद-2218

कुल तैनाती- 1971

डॉयल 100 में तैनाती- 100

इस तरह बढ़ी शहर की आबादी

2018 1550000

2011 673446

2001 622701

1991 505566

क्या करनी होती है ड्यूटी

- थाना- चौकी का रूटीन का काम

- कानून व्यवस्था संभालना, पिकेट और रात गश्त

- किसी विवाद, घटना, अन्य की सूचना पर कार्रवाई

- मुकदमा दर्ज करना, विवेचना, गिरफ्तारी, दबिश

- निगरानी, पहरा और पुलिस अधिकारियों का स्कॉर्ट

- वीआईपी मूवमेंट पर रूट से लेकर सभा तक की जिम्मेदारी

- मुकदमों की पैरवी, अभियुक्तों को जेल भेजना, अन्य विधिक कार्रवाई

यह आती है समस्या

- पुलिस बल कम होने से एक कर्मचारी पर तीन से चार गुना बोझ

- वीआईपी ड्यूटी में तैनाती होने से रूटीन के काम प्रभावित होते हैं।

- त्योहार, अन्य प्रोग्राम में ड्यूटी होने पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

- ज्यादा ड्यूटी होने से पुलिस कर्मचारियों को घर जाने की छुट्टी नहीं मिल पाती

- ड्यूटी के बोझ से पुलिस कर्मचारियों को पूरा आराम नहीं मिल पाता है।

- आराम न मिलने से पुलिस कर्मचारियों की सेहत खराब हो रही है। ज्यादातर पुलिस कर्मचारी बीमार हो रहे।

बर्तमान में तैनात पुलिस बल

पद नियतन उपलब्धता

इंस्पेक्टर 31 50

सब इंस्पेक्टर 330 279

एसआई महिला 04 04

हेड कांस्टेबल 399 199

कांस्टेबल 2218 1971

महिला कांस्टेबल 44 122

नोट: सभी आंकड़े विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए हैं।