बिजली विभाग नहीं कराता संविदा कर्मचारियों की ट्रेनिंग

पल्ला झाड़ते कुशल कर्मचारी, दबाव में काम करते अनट्रेंड

GORAKHPUR:

बिजली विभाग के अधिकारी संविदा कर्मचारियों की जान से खेल रहे हैं। ट्रेंड बिजली कर्मचारियों से काम लेने के बजाय अनट्रेंड संविदा कर्मचारियों की जान जोखिम में डाली जा रही है। शहर में बिजली की व्यवस्था अनट्रेंड कर्मचारियों के सहारे चल रही है। बिजली विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि बहाने बनाकर ट्रेंड कर्मचारी गायब हो जाते हैं। अफसरों के दबाव में अकुशल कर्मचारियों से काम लिया जाता है। महानगर के एसई ने बताया कि संविदा कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाती है। कुशल कारीगरों संग काम करते हुए भी वह बहुत सी चीजें सीख जाते हैं।

केस एक:

14 दिसंबर 2017: खोराबार एरिया के ढोलबजवा में शटडाउन लेकर संविदा कर्मचारी धर्मवीर हाईटेंशन लाइन पर काम करने गया था। अचानक करंट दौड़ने से वह तारों के चिपटकर रह गया। उसकी मौत के बाद बवाल हुआ तो बिजली विभाग के अफसर जागे। तब सामने आया कि धर्मवीर को कोई ट्रेनिंग नहीं कराई गई थी। उनके परिवार के लोग मुआवजे की मांग को लेकर चीफ इंजीनियर आफिस पर प्रदर्शन करने भी पहुंचे थे।

केस दो:

09 मई 2017: पीपीगंज एरिया के आंधी में टूट जंफर को जोड़ने के लिए पोल पर चढ़े संविदा कर्मचारी विनोद तिवारी करंट की चपेट में आ गया था। करंट लगने से उसकी जान जाने पर परिजनों ने सोनौली हाइवे जाम करके प्रदर्शन किया। इसके बाद प्रशासन की नींद खुली। तब बिजली अधिकारियों ने कहा कि संविदा कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। लेकिन अभी तक इस बात का कोई इंतजाम नहीं किया जा सका।

ये दो मामले यह बताने के लिए काफी हैं कि बिजली विभाग का काम अनट्रेंड कैजुअल कर्मचारियों के सहारे चल रहा है। बिजली विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि विभाग ने ठेकेदारों के जरिए ट्रेंड कर्मचारियों की तैनाती भी की है। लेकिन वह पोल पर चढ़ने से बचते हैं। किसी तरह से दबाव देकर अनट्रेंड से काम चलाया जाता है। ज्यादातर ट्रेंड कर्मचारी किसी न किसी बहाने से अपने काम को टाल जाते हैं। इसलिए गैंग में शामिल अन्य कर्मचारियों पर दबाव बनाकर अधिकारी काम करा लेते हैं। इससे जहां उनकी जान का खतरा बना रहता है। वहीं विभाग के अफसरों पर भी उंगली उठती है। शनिवार की रात बक्शीपुर फीडर की बिजली गायब हो गई थी। शुरूआत में फाल्ट खोजने के लिए ऐसे कर्मचारियों को लगाया गया जिनको कोई टेक्निकल जानकारी नहीं थी। दो घंटे के बाद जब हो हल्ला मचा तो अधिकारी अपनी टीम लेकर फील्ड में उतरे। इसके बाद भी फाल्ट खोजने में उनको 22-23 घंटे लग गए।

क्या हेाता है नुकसान

- अनट्रेड संविदा कर्मचारियों को बतौर श्रमिक काम पर लगाया जाता है।

- इमरजेंसी में श्रमिकों पर दबाव देकर उनको पोल पर चढ़ाया जाता है।

- अधिकारियों के दबाव में लाइन ठीक करते हुए अक्सर कर्मचारी करंट की चपेट में आ जाते हैं

- कुशल और ट्रेंड कारीगर अपने स्टेट्स में आकर काम करने से बचते हैं।

- ट्रेंड कर्मचारी अपने सीनियर से सांठगांठ का लाभ उठाते हैं।

यह होनी चाहिए व्यवस्था

- संविदा कर्मचारियों की प्रापर ट्रेनिंग कराई जानी चाहिए।

- फाल्ट का काम करने वाले कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण मिलने चाहिए।

- कर्मचारियों का बीमा, एकाउंट में ईपीएफ का भुगतान होना चाहिए।

- जोखिम वाले कामों में कुशल कर्मचारियों से काम लेने की अनिवार्यता हो।

शहर में तैनात अनट्रेंड कर्मचारी

वितरण खंड लाइनमैन अनट्रेंड लाइनमैन

खण्ड फ‌र्स्ट 31 62

खण्ड सेकेंड 35 68

खण्ड थर्ड 32 64

संविदा कर्मचारियों की समय-समय पर ट्रेनिंग कराई जाती है। कुशल लोगों संग काम करते हुए अन्य लोग भी चीजें सीख लेते हैं। अकुशल कर्मचारियों के ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई जाएगी।

एके सिंह, एसई, महानगर विद्युत वितरण मंडल