इतनी सुस्ती वो भी Sunday को

संडे को अपना शहर एक अलग मूड में दिखा। इतनी सुस्ती तो उसमें कभी तारी नहीं दिखी। वो भी संडे को? कभी नहीं। राजनीति को लेकर हमेशा चैतन्य रहने वाली बनारसी पब्लिक में 'हक' को लेकर हुकूक नहीं दिखी। एसेम्बली इलेक्शन में लगभग हर पोलिंग बूथ पर सुबह सात बजे से ही क्यू लगा कर खड़े रहे वोटर्स इस बार नदारद रहे। अब वो चाहे मुस्लिम बहुल इलाका रहा हो या शहर की नब्ज समझा जाने वाला पक्का महाल हर जगह वोटर्स साइलेंट ही रहे। साइलेंट का मतलब ये नहीं कि उन्होंने हमें यह नहीं बताया हो कि उनका वोट किसको पड़ा, मतलब तो ये था कि उन्होंने मोहल्ले की हालत सुधारने के लिए घर की दहलीज पार करने की जरूरत नहीं समझी।

   

हर तरफ था चौचक इंतजाम

विधानसभा चुनाव में बनारस की आठों सीट्स के लिए पड़े वोट्स के परसेंटेज को देखते हुए सिस्टम का सोचना था कि इस बार भी ठीक-ठाक वोट पड़ेंगे लेकिन शायद यह अंदाजा नहीं था कि इस बार का सीन कुछ ऐसा होगा। उमस होने के बावजूद मौसम प्लीजेंट ही था। बूथ्स पर पोलिंग ऑफिसर्स से लेकर ड्यूटी कर रहे जवान तक मददगार रवैये में थे। मददगार इस मायने में कि अगर आपके पास अपनी पहचान का एक भी कागज हो तो आओ और वोट दे जाओ। सड़क पर कहीं कोई रोकटोक नहीं। बाइक से लेकर कार तक लेकर पोलिंग सेंटर्स तक पहुंच जा रहे थे लोग। सेल फोन को लेकर भी कहीं कोई टोका-टोकी नहीं। अब इससे ज्यादा और क्या फेवर हो सकता है? लेकिन संडे को वोटर्स शायद किसी दूसरे मूड में ही थे।

 

कॉलोनी से तो गली अच्छी

इस बार इलेक्शन के दौरान सबसे आश्चर्यजनक यह था कि शहर की गलियों से अच्छे तादाद में वोटर्स का निकलना। शहर के पॉश माने जाने वाले सिगरा, महमूरगंज, रविन्द्रपुरी, बृज इनक्लेव, भेलूपुर, अर्दली बाजार और वरुणा पार के इलाकों में दोपहर दो बजे तक तमाम बूथ्स पर सन्नाटा छाया रहा। इसके उलट पक्के महाल के रामघाट, चौखम्बा, गायघाट, भैरोनाथ और राजमंदिर इलाकों में सुबह से ही वोटर्स लाइन लगा कर खड़े हो गये थे। हालांकि कॉलोनीज में तमाम कैंडिडेट्स के समर्थकों ने वोटर्स को बाहर निकालने की कोशिशें कीं लेकिन छुट्टी की वजह से लोगों ने देर तक सोना और घर से बाहर न निकलना मुनासिब समझा। इसका असर ये रहा कि टोटल वोटिंग परसेंट कम ही रहा।

Youth सबसे सुस्त

वोटर लिस्ट में यूथ की तादाद को देखते हुए हर कैंडिडेट ने इन्हें ही अपने टारगेट पर रखा था। इन पर तरह तरह से डोरे डाले गये थे लेकिन वो काम न आ सके। इस बार यूथ सबसे सुस्त रहे। वोट डालने वालों में उनसे ज्यादा तो बुजुर्ग रहे। अगर बनारस के सभी 90 वॉर्डों पर सरसरी निगाह डाली जाए तो चुनाव मैदान में उतरे कैंडिडेट्स में भी ज्यादातर यूथ ही थे लेकिन यूथ वोटर्स ने ही उनसे दूरी बरती।

Report by: Vishwnath Gokarn