- बैरक बनाने की योजना को लगा पलीता

- जैमर में जाम होकर रह गई सारी योजनाएं

GORAKHPUR: जेल के भीतर सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। जेल मैन्युअल का अनुपालन न होने से बंदियों के भीतर आक्रोश पनपता रहता है। रसूखदार बंदियों को सुविधा देने की बात को लेकर काफी दिनों से माहौल गर्म चल रहा था। मौका मिलते ही गुबार फूटकर सामने आ गया। जेल में बैरक बनाने से लेकर जैमर लगाने की सारी योजनाएं फाइलों में दफन हो गई है।

लौट गया बैरक बनाने का पैसा

अंग्रेजों के जमाने में बनी गोरखपुर जेल में कुल 822 बंदियों की क्षमता है। लेकिन दोगुने से ज्यादा बंदी जेल में ठूंसे पड़े हैं। जेल की एक बैरक में 50 बंदियों के रखने का प्राविधान हैं। लेकिन वर्तमान में 150 से अधिक बंदियों को रखा गया है। कुल 14 बैरकों में 1617 बंदी रखे गए हैं। जेल अधिकारियों का कहना है कि दो मंजिला बैरक बनाने का प्रपोजल भेजा गया था। चार साल पहले बैरक बनाने की योजना आई। लेकिन लापरवाही के चलते प्रस्ताव लौट गया। इसलिए बैरक बनाने का काम नहीं हो सका। तभी से यह योजना पेडिंग है।

जैमर- जैमर खेलते रहे अधिकारी

जेल में मोबाइल का इस्तेमाल रोकने लिए जैमर लगाने को बजट अलाट किया गया है। गोरखपुर में दो जैमर टॉवर लगाने की अनुमति सरकार ने दी है। लेकिन अभी तक इसके निर्माण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा सकी। जेल अधिकारियों का कहना है कि 14 एकड़ क्षेत्रफल में फैली जेल के लिए कम से कम 20 जैमर लगाने की जरूरत है। तभी पूरी जेल को मोबाइल विहीन किया जा सकेगा। हालांकि दो जैमर लगने से भी थोड़ी राहत मिलेगी।

ये सामने आ रही समस्याएं

-जेल में क्षमता से अधिक बंदी होने से दैनिक कार्य प्रभावित

- गैलरी और टॉयलेट में बंदियों को सोना पड़ता है।

- जेल के भीतर खाने-पीने के सामान महंगे दामों में मिलते हैं।

- गवर्नमेंट की ओर से मिलने वाली सुविधाएं और संसाधन का अभाव बना रहता है।

- भीड़ के चलते कई बार बंदी बीमार पड़ जाते हैं। जेल के अस्पताल में सुविधाएं समय से नहीं मिल पाती।