- स्कूल में नहीं है लड़कियों के खेलने की जगह

- स्कूल की कैंटीन में मिलता है घटिया खाना

MEERUT : पब्लिक स्कूलों की सच्चाई तो तब सामने आई जब ब्रह्मपुरी, परतापुर और टीपीनगर के स्कूलों में जांच टीम पहुंची। निरीक्षण के दौरान स्कूलों की गड़बडि़यों को देखकर तो टीम भी दंग रह गई। कहीं अग्निशमन यंत्र नहीं तो कहीं खाली मिले सिलेंडर। केवल इतना ही नहीं स्कूलों में लड़कियों के खेलने के लिए जगह न होने के साथ ही बच्चों को दी जाने वाली एजुकेशन भी कमजोर ही पाई गई।

बच्चों ने नहीं देखा इंडिया मैप

स्कूलों की एजुकेशन मैथड का निरीक्षण किया गया तो टीम के सदस्य हैरान हो गए। जहां डीपीएस स्कूल के क्ख् वीं के स्टूडेंट्स इंडिया के मैप के बारे में नहीं जानते थे। वहीं आठवीं के बच्चों को अंग्रेजी के इंटेलीजेंट, एक्स्ट्रा, बे्रक, लैंग्वेज जैसे आसान शब्दों की स्पेलिंग तक नहीं पता थी। टीम ने जब ब्रह्मपुरी में मेरठ सिटी स्कूल और मेरठ पब्लिक सिटी स्कूल में जांच की तो वहां के क्क् वीं के बच्चों को भी इंडिया मैप की जानकारी नहीं थी। यहां तक बच्चों को ये भी नहीं पता था कि मैप में उत्तर प्रदेश कहां है।

लड़कियां नहीं खेल पातीं

स्कूलों में लड़कियों के खेलने के लिए किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं है। मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल में तो लड़कियों को टीम ने सीढि़यों पर बैठकर खेल पीरियड पास करते हुए देखा। स्कूल में लड़कियों के खेलने के लिए तो कोई भी इंतजाम नहीं मिले। स्कूल की लड़कियों ने ही यह सच्चाई टीम के सामने खोली।

स्कूल में नहीं है अग्निशमन यंत्र

जांच में मेरठ सिटी स्कूल, मेरठ सिटी पब्लिक स्कूल सहित अन्य कुछ स्कूलों में तो अग्निशमन यंत्र के सिलेंडर खाली पड़े मिले। इन्हें बीस सालों से नहीं बदला गया। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कुछ स्कूल तो ऐसे भी पाए गए, जिनमें अग्निशमन यंत्र तक नहीं थे। स्कूलों के पास तो संबंधित कागजात भी पूरे नहीं मिले थे। टीम के अनुसार तो यह स्कूल किसी भी तरह से ठीक नही पाए गए हैं।

कैंटीन में बिकता है खराब सामान

स्कूलों की गड़बडि़यां यहीं तक नहीं थी, बल्कि स्कूलों में फूड वैन पर बिकने वाला सामान भी बिल्कुल काले तेल का था। टीम के अनुसार यह तेल सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नही था।

बच्चों ने बताया बिकती हैं किताबें

टीम द्वारा बच्चों से बात करने पर यह बात भी सामने निकलकर आई कि स्कूल द्वारा स्कूल में किताबें बेची जाती हैं। स्कूल में बच्चों की किताबों के लिए स्कूल में ही दुकानदार को बुलाया जाता है।