Multipurpose हॉल से हल नहीं

स्वीमिंग पूल के  पास में ही बना बीसीबी का मल्टीपरपज हॉल भी वर्षों से धूल फांक रहा है। कहने को तो इसमें वेल

इक्विप्ड हेल्थ सेंटर, बैडमिंटन कोर्ट, टेबल टेनिस का प्रॉपर अरेंजमेंट किया गया है। पर सोर्सेस के मुताबिक, सिक्योरिटी

अरेंजमेंट्स ना होने की वजह से ही इसे ओपन नहीं किया जाता है। हालांकि, स्टूडेंट्स की मानें तो वह अपनी ग्रूमिंग के

लिए स्पोट्र्स फैसिलिटीज का लाभ लेना चाहते हैं, पर कोच के साथ प्रॉपर अरेंजमेंट ना होने से छात्रों के सपनों पर पानी

फिरता है। 2006 में तैयार हुई इस बिल्डिंग में 60 लाख रुपये खर्च हुए थे। अब यह सफेद हाथी साबित हो रहा है।

सिर्फ summer camp में खुलता है BCB का swimming pool

बीसीबी का स्वीमिंग पूल एक ऐसा ही कंस्ट्रक्शन है जो अब स्वीमर्स नहीं तैयार करता। 1957 में बनवाया गया बीसीबी

का स्वीमिंग पूल एक समय में नेशनल लेवल चैंपियनशिप का गवाह होता था। इस पूल से कई नेशनल और इंटरनेशनल

लेवल के तैराक भी निकले। लेकिन वर्ष 1980 से पहले से भी कैंपस के आम स्टूडेंट के लिए इसके गेट बंद कर दिए गए।

अब केवल समर कैं प के लिए अप्रैल, मई, जून में ही ओपन किया जाता है। असल में सालभर पूल ऑपरेट करने के लिए

परमानेंट कोच, डाइवर्स, सिक्योरिटी पर्सनल, अटेंडेंट, स्वीमिंग किट समेत अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। जो फंड

की कमी के चलते कभी पूरी ही नहीं हो पाई। यही नहीं पूल की सिक्योरिटी ना होने और इसके लिए पर्याप्त फंड ना होने

से इसे जुलाई में एडमिशन प्रॉसेस शुरू होते ही बंद कर दिया जाता है.  तीन महीने के लिए भी सेल्फ फाइनेंस के अंतर्गत

ओपन किया जाता है। इस दौरान इंट्रेस्टेड स्टूडेंट्स ही रजिस्ट्रेशन कराते हैं। स्पोट्र्स ऑफिसर की मानें तो 25 मीटर में बने

इस स्वीमिंग पूल में कॉम्पिटीशन की तैयारी कराना संभव नहीं है, इसके लिए कम से कम 50 मीटर का स्वीमिंग पूल

होन तो जरूरी है। वहीं, कॉलेज में पढऩे वाले 30 हजार स्टूडेंट्स में से एक परसेंट स्टूडेंट्स को भी हम मैनेज नहीं कर

सकते हैं। अनहोनी की आशंका को देखते हुए ही इसे बंद कर दिया जाता है।

Store room बना RU लेक्चर हॉल

आरयू के गेस्ट हाउस के सामने बने भवन को यूं तो फिजियोथेरेपी के लिए बनवाया गया था। 1999 में इस बिल्डिंग का

शिलान्यास होने के चार साल पहले ही बनकर तैयार हो चुकी है। इसके बाद से अब तक इस बिल्डिंग को यूनिवर्सिटी

एडमिनिस्ट्रेशन को हैंडओवर ना करने की वजह से प्रॉपर यूज नहीं हो पा रहा है। फिलहाल, इसमें अस्थाई रूप से बीएड का

कंट्रोल रूम बनाया गया है। लास्ट 3 ईयर्स से इस बिल्डिंग का यूज बीएड का कंट्रोल रूम बनाने या नोट बुक्स रखने के

लिए ही किया जा रहा है। कहा जा सकता है कि 3 करोड़ की लागत से बने इस बिल्डिंग के लेक्चर हॉल स्टोर रूम बनकर

रह गए हैं।

टै्रक से सरकी प्लेसमेंट सेल बिल्डिंग

आरयू में बनी प्लेसमेंट ट्रेनिंग बिल्डिंग को एक साल पहले ही यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को हैंडओवर किया जाना था, पर

इलेक्ट्रिसिटी फिटिंग व अदर वक्र्स पूरे ना होने से अब तक आरयू को मिल ही नहीं पाई है। हालांकि, यूनिवर्सिटी की ओर

से निर्माण एजेंसी की लेट-लतीफी की शिकायत शासन स्तर पर की जा चुकी है, इसके बावजूद अब तक कंप्लीट नहीं

किया जा रहा है। इस बिल्डिंग को बनाने के  लिए निर्माण एजेंसी क ो बजट के मुताबिक 4 करोड़ रुपये दिए जा चुके 

हैं। फिलहाल, प्रजेंट टाइम में इस बिल्डिंग में आरयू के कुछ कर्मचारी ही डेरा जमाए हुए हैं। अब देखना यह है कि आरयू

में प्लेसमेंट के लिए परेशान होने वाले स्टूडेंट क कब प्लेसमेंट सेल का तोहफा मिल पाएगा।

'आरयू में प्लेसमेंट सेल और फिजियोथेरेपी की बिल्डिंग यूनिवर्सिटी को हैंडओवर ही नहीं की गई हैं। यह कंस्ट्रक्शन एजेंसी

की लापरवाही से हुआ है। एक साल पहले कांट्रैक्ट्स पूरे होने के बाद से ही पत्र शासन को लिखा जा चुका है। जल्द ये

बिल्डिंग यूनिवर्सिटी को हैंडओवर हो जाएंगी और इनका स्टूडेंट्स के फेवर में प्रॉपर यूज हो पाएगा। '

आरए द्विवेदी, जेई, आरयू

'स्वीमिंग पूल और मल्टीपरपज हॉल के स्पोट्र्स फैसिलिटीज के मेंटेनेंस के लिए स्टूडेंट्स से रजिस्ट्रेशन चार्ज लिया जाता

है, इससे कई बार स्टूडेंट्स नहीं आते हैं। स्टूडेंट्स का प्रॉपर नंबर ना होने की वजह से ओपन भी नहीं किया जाता है।

हालांकि, सिक्योरिटी भी बड़ी वजह है.'

डॉ। सीरिया एसएम, स्पोट्र्स इंचार्ज, बीसीबी

'अगर स्टूडेंट्स प्रॉपर रजिस्ट्रेशन फीस देकर किसी फै सिलिटी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो हम उसे शुरू करने के लिए

तैयार हैं। पर कई बार अराजकता की वजह से स्टूडेंट्स इन फैसिलिटीज का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.'

डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल, बीसीबी

'स्वीमिंग पूल शुरू करने के लिए कॉलेज में कोच, लाइफ सेवर्स की फैसिलिटी होनी चाहिए। वहीं पूल में जाने वालों की

सिक्योरिटी सबसे बड़ा कंसर्न है। कॉलेज को इसके लिए प्रॉपर अरेंजमेंट्स कराने चाहिए, ताकि स्टूडेंट्स यहां प्रैक्टिस कर

सकें.'

जवाहर लाल,  प्रेसीडेंट, स्टूडेंट्स यूनियन, बीसीबी

'मल्टीपरपज हॉल तो कभी खुलता ही नहीं है, नैक विजिट के समय हेल्थ सेंटर के लिए ओपन किया गया था। पर उसके

बाद से वह एक बार फिर से बंद कर दिया गया। एक्चुअली, कॉलेज में कोच, फिटनेस ट्रेनर का भी अरेंजमेंट नहीं है.'

हृदेश यादव, जनरल सेक्रेट्री, स्टूडेंट्स यूनियन, बीसीबी

'मल्टीपरपज हॉल में हेल्थ सेंटर का इनॉग्रेशन तो हुआ, पर कुछ दिनों तक खुलने के बाद इसे बंद कर दिया गया। इसमें

काफी स्टूडेंट्स आते थे और यह फिटनेस के लिए काफी अच्छा भी था। पर नैक विजिट के बाद इसे बंद कर दिया गया.'

राहुल गुप्ता, स्टूडेंट, बीसीबी

'हेल्थ सेंटर तो स्टूडेंट्स के लिए ही शुरू किया गया था, पर यह कुछ ही दिनों में बंद कर दिया गया। दरअसल, इसके लिए

स्टूडेंट्स से रजिस्टे्रशन चार्ज तो लिया गया पर उन्हें गाइड करने की प्रॉपर फैसिलिटी भी मौजूद नहीं थी.'

विशाल यादव, स्टूडेंट, बीसीबी

'आरयू में बिल्डिंग्स तो बनाते जा रहे हैं। पर जिन वास्तविक सुविधाओं की जरूरत है, वह पूरी नहीं की जा रही हैं,

यूनिवर्सिटी में बेसिक फै सिलिटीज ही पूरी नहीं हो पाई हैं। ना तो यहां ड्रिंकिंग वॉटर की फैसिलिटी है और ना ही इंटरनेट

की.'

अरविंद पटेल, प्रेसीडेंट, स्टूडेंट्स यूनियन, आरयू

'बिल्डिंग्स तो तैयार होती जा रही हैं, पर स्टूडेंट्स को  कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की

बिल्डिंग के लिए करोड़ों खर्च कर दिए गए हैं, पर अब तक यहां से एक भी स्टूडेंट का प्लेसमेंट नहीं हुआ है.'

सुशील कुमार, जनरल सेक्रेट्री, स्टूडेंट्स यूनियन, आरयू

'प्लेसमेंट सेल की बिल्डिंग तो किसी काम की नहीं है, इतनी रकम खर्च करके तो बीटेक की लैब ही वेल इक्विप्ड बनाई

जा सकती है। प्लेसमेंट सेल का तो इस यूनिवर्सिटी में तो कोई मतलब ही नहीं है। अब तक किसी का प्लेसमेंट नहीं हुआ

है.'

अमन गुप्ता, स्टूडेंट, आरयू

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