-जेल में क्षमता से ज्यादा है कैदी, बंदीरक्षकों की कमी

- पहले से तैनात पीएसी हटाई, सुरक्षा होमगार्ड के भरोसे

Meerut : पुलिस अभिरक्षा से कैदियों के भागने की घटनाओं में वृद्धि के बावजूद जेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर खास संजीदा नहीं है। इसका अंदाजा चौधरी चरण सिंह कारागार को एक बार देखने से ही हो जाता है। स्थिति यह है कि जेल में बंद कैदियों की संख्या क्षमता से काफी ज्यादा है तो उन्हे संभालने के लिए बंदीरक्षक काफी कम। साथ ही खूंखार कैदियों की सुरक्षा में होमगार्ड लगे हैं, वो भी मानक से काफी कम।

स्टाफ की कमी

यह सच्चाई आंखे खोल देने वाली है कि जेल में सुरक्षा संबंधी स्टाफ की कमी है, जबकि जेल में कई खूंखार कैदी बंद हैं। बावजूद इसके जेल प्रशासन हाथ पर हाथ रखे बैठा है। इस स्टाफ को पूरा करने के लिए जेल प्रशासन को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। जेल के उच्चाधिकारी मामले से अंजान बने हुए हैं। जिला कारागार में कैदियों की सुरक्षा के लिए 127 बंदीरक्षकों की जरूरत है, जिनके स्थान पर मात्र 87 बंदीरक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है। इसके अलावा 90 होमगार्ड की जगह 60 से 70 होमगार्ड से ही काम चलाया जा रहा है। इससे अंदाजा हो जाता है कि शासन मेरठ की जेल को लेकर कितना संजीदा है। पूर्व में जिला जेल की संवेदनशीलता को देखते हुए वहां पर तैनात पीएसी को भी वहां से हटा लिया गया है।

प्रतिदिन 20 से 25 कैदी

जेल प्रशासन के अनुसार प्रतिदिन जेल में 20 से 25 कैदी आते हैं। जिनके चलते बंदीरक्षकों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ता है। वहीं जेल की समस्या और संसाधनों में वृद्धि न करने से स्थिति गंभीर होती जा रही है। बढ़ते कैदियों की संख्या को संभालना मुश्किल हो रहा है।

क्षमता से दोगुना कैदी

अपराध की राजधानी कहे जाने वाले मेरठ में सिर्फ 1850 बंदियों को रखने की क्षमता है। जबकि जेल में कैदियों की संख्या 3300 है, जिसके चलते कई बार मेरठ जेल में कैदियों के आपस में लड़ने की घटनाएं हो चुकी हैं। इन्हीं खामियों के चलते वर्ष 2010 में 9 कैदी जेल तोड़कर फरार भी हो गए थे।

सभी जेलों में थोड़ी बहुत स्टाफ की कमी रहती है। स्टाफ पूरा करने के लिए शासन को पत्र लिख दिया गया है। जल्द ही रिक्त स्टाफ पूरा कर दिया जाएगा।

-एचएम रिजवी, जिला कारागार अधीक्षक