Scene-1

समय : 12.30 बजे

स्थान : कैंट स्थित रोडवेज बस स्टैण्ड

आई नेक्स्ट टीम एक बैग में खाली टिफिन बॉक्स रखकर यहां पहुंची। दूर-दूर तक सिक्योरिटी का नामोनिशान नहीं था। यहां 20 हजार यात्री मौजूद थे। एक यात्री की तरह बैग लेकर मऊ जाने वाली बस में चढ़े और बैग एक सीट पर रखकर नीचे उतर गए। बस से काफी दूर चले गए। 20 मिनट बाद बस में वापस लौटे। संदिग्ध हरकत के बाद भी हमारे बैग या हमारे बारे में जानने की जरूरत किसी ने नहीं समझी।

Scene-2

समय : 12.50 बजे

स्थान : बस स्टैण्ड का वेटिंग हॉल

अपने डेस्टिनेशन तक जाने के लिए बस के इंतजार में पैसेंजर्स हॉल में पसरे पड़े थे। जिसे जहां जगह मिली वहीं गठरी रखकर बैठ हुआ था। इन्हीं के बीच आई नेक्स्ट टीम ने भी अपना संदिग्ध बैग रख दिया। किसी ने इस ओर गौर ही नहीं किया। टिफिन भरा बैग करीब 25 मिनट तक वहीं पड़ा रहा। लेकिन सिक्योरिटी के नाम पर किसी के तैनात न दिखने पर हम बैग उठाकर आगे बढ़ गए।

Scene-3

समय : 1.15 बजे

स्थान : रोडवेज पुलिस चौकी

बस स्टैण्ड पर सिक्योरिटी के नाम पर यह पुलिस चौकी मौजूद है। इसके बाहर भी अच्छी-खासी भीड़ थी। हमने टिफिन से भरे बैग को पुलिस चौकी की बाउंड्री पर रख दिया और वहां हट गये। आधे घंटे बाद लौटे तो बैग सही-सलामत बाउंड्री पर ही पड़ा था। हमेशा चौकन्ना रहने का दावा करने वाले पुलिस वालों ने बैग की ओर देखने की जरूरत भी नहीं समझी।

Scene-4

समय : 1.45 बजे

स्थान : कैंट रेलवे स्टेशन कैम्पस स्थित रैन बसेरा

आई नेक्स्ट टीम पूर्वांचल के सबसे भीड़-भाड़ वाले कैंट रेलवे स्टेशन कैम्पस में पहुंची। यहां टेंट से बने अस्थायी रैन बसेरे में भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद मिले। टेंट के अंदर-बाहर जाने वालों पर निगरानी के लिए कोई नहीं था। टीम रैन बसेरा के अंदर पहुंची और बैग वहीं छोड़ दिया। 25 मिनट टेंट से दूर बिताने के बाद लौटे, बैग उठाया फिर स्टेशन की ओर बिना रोक-टोक बढ़ चले। इस दौरान को कोई पर्सन चेक करने के लिए तैनात नहीं दिखा।

Scene-5

समय : 2.10 बजे

स्थान : कैंट रेलवे स्टेशन

यहां भारी भीड़ मौजूद थी। सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, प्लेटफॉर्म हर जगह तीर्थ यात्री थे। आई नेक्स्ट टीम बैग लिये एंट्री गेट तक पहुंची। यहां मेटल डिटेक्टर गायब मिला। कोई पैसेंजर व उसके लगेज को चेक करने वाला भी नहीं था। जीआरपी, आरपीएफ के साथ सीआरपीएफ जवानों की चहलकदमी के बीच ही बैग को टिकट हॉल में आसानी से रख दिया। 50 मिनट तक लावारिस पड़े बैग को उठाकर हम चल निकले।

Scene-6

समय : 3.30 बजे

स्थान : दशाश्वमेध घाट

घाट से पहले लगे मेटल डिटेक्टर शोपीस नजर आये। पास में बेंच पर बैठे दो पुलिसकर्मी गलचउर में बिजी थे। आई नेक्स्ट की टीम बैग लेकर जल पुलिस चौकी के पास पहुंची। कुछ सीढिय़ों को नीचे उसे आराम से रख दिया। घाट पर मौजूद हजारों लोग स्नान-ध्यान में लगे हुए थे। सिक्योरिटी परसन बातचीत में और शॉपकीपर्स तीर्थ यात्रियों से रुपये कमाने की कोशिश में मशगूल थे। यहां एक घंटे तक बैग लावारिस पड़ा रहा।

सिक्योरिटी में भारी लापरवाही

आई नेक्स्ट टीम ने कुल छह प्लेसेज पर टिफिन से भरा बैग लावारिस हालत में छोड़ा। सभी प्लेसेज भारी भीड़ वाले हैं और बेहद सेंसिटिव हैं। यहां सिक्योरिटी नॉर्मल डेज में भी टाइट होनी चाहिए। इतनी भीड़ के बावजूद सिक्योरिटी को लेकर बेहद लापरवाही ही नजर आई। न तो किसी का सामान चेक किया जा रहा था और न ही किसी संदिग्ध व्यक्ति पर नजर रखी जा रही थी। पहले भी दहशतगर्द टिफिन और कुकर आदि को इसी तरह बैग में रखकर विस्फोट तक कर चुके हैं।

पलक झपकते जान होगी खतरे में

इस लापरवाही का अंजाम कितने लोगों को भुगतना पड़ सकता है इसका अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता है। कुम्भ नगरी से अभी तक दो करोड़ लोग बनारस आ चुके हैं। सोमवार को भी करीब 30 लाख श्रद्धालु सिटी में मौजूद थे। इनकी सबसे अधिक भीड़ रोडवेज बस स्टेशन, कैंट रेलवे स्टेशन और दशाश्वमेध घाट के इर्द-गिर्द थी। एक छोटी सी वारदात और उसके बाद दहशत हजारों की जान आसानी से ले सकता है।

मौके की तलाश में दहशतगर्द

अमन-चैन का मिसाल देने वाले शहर में दहशत फैलाने के लिए दहशतगर्द हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं। उन्हें जब भी मौका मिला इस शहर को निशाना बना दिया। आतंकी वारदात जो यहां हो चुके हैं

-वर्ष 2005 में दशाश्वमेध घाट पर ब्लास्ट हुआ था। इसे पहले तो सिलिंडर ब्लास्ट बताया गया। बाद में आतंकी घटना स्वीकार किया गया।

-वर्ष 2006 में संकटमोचन मंदिर कैम्पस और कैंट स्टेशन परिसर में सीरियल ब्लास्ट करके कई जानें ली गईं।

-वर्ष 2007 में कचहरी कैम्पस आतंकियों का निशाना बना। दो ब्लास्ट की धमक दूर-दूर तक गूंजी।

-वर्ष 2010 में शीतला घाट पर गंगा आरती के दौरान ब्लास्ट हुआ। इसमें एक मासूम की भी जान गयी।

अपनी सुरक्षा अपने हाथ

सिटी में सिक्योरिटी का ऐसा इंतजाम देखकर यह एहसास हो गया होगा कि अब अपनी सिक्योरिटी खुद अपने हाथ में है। आपकी एलर्टनेस ही आपकी और आपके साथ तमाम लोगों की जिंदगी बचा सकती है। इन बातों पर अमल करके अपने को रखा जा सकता है सेफ

-टे्रन, बस या किसी सवारी गाड़ी में सफर करने के दौरान आसपास लावारिस वस्तु पर जरूर नजर डाल लें।

-घाट पर नहाने या मंदिर में दर्शन के दौरान भी लावारिस वस्तु से दूरी बनाये रखते हुए वहां मौजूद लोगों को उसके बारे में बताएं।

-आपके इर्द-गिर्द कोई संदिग्ध व्यक्ति हो तो उसकी हरकतों की जानकारी सिक्योरिटी परसन को जरूर दें।

-कोई घटना या अफवाह के बाद भी संयम बनाये रखें ताकि भगदड़ की स्थिति उत्पन्न न हो।

-सिक्योरिटी इंस्ट्रक्शन को हमेशा फॉलो करें।

"

सिक्योरिटी का पूरा इंतजाम

एसपी सिटी संतोष सिंह का दावा है कि शहर में सिक्योरिटी का जबरदस्त इंतजाम किया गया है। घाटों पर संदिग्ध-व्यक्तियों और वस्तुओं को चेक किया जा रहा है। लोकल पुलिस के साथ ही बम डिस्पोजल स्क्वॉड समेत पीएसी को भी सिक्योरिटी के लिए तैनात किया गया है। गंगा में से भी निगरानी रखी जा रही है। बस स्टैण्ड पर भी टाइट सिक्योरिटी का इंतजाम किया गया है। इसकी रेंडम चेकिंग भी की जाती है।

Scene-1

समय : 12.30 बजे

स्थान : कैंट स्थित रोडवेज बस स्टैण्ड

आई नेक्स्ट टीम एक बैग में खाली टिफिन बॉक्स रखकर यहां पहुंची। दूर-दूर तक सिक्योरिटी का नामोनिशान नहीं था। यहां 20 हजार यात्री मौजूद थे। एक यात्री की तरह बैग लेकर मऊ जाने वाली बस में चढ़े और बैग एक सीट पर रखकर नीचे उतर गए। बस से काफी दूर चले गए। 20 मिनट बाद बस में वापस लौटे। संदिग्ध हरकत के बाद भी हमारे बैग या हमारे बारे में जानने की जरूरत किसी ने नहीं समझी।

Scene-2

समय : 12.50 बजे

स्थान : बस स्टैण्ड का वेटिंग हॉल

अपने डेस्टिनेशन तक जाने के लिए बस के इंतजार में पैसेंजर्स हॉल में पसरे पड़े थे। जिसे जहां जगह मिली वहीं गठरी रखकर बैठ हुआ था। इन्हीं के बीच आई नेक्स्ट टीम ने भी अपना संदिग्ध बैग रख दिया। किसी ने इस ओर गौर ही नहीं किया। टिफिन भरा बैग करीब 25 मिनट तक वहीं पड़ा रहा। लेकिन सिक्योरिटी के नाम पर किसी के तैनात न दिखने पर हम बैग उठाकर आगे बढ़ गए।

Scene-3

समय : 1.15 बजे

स्थान : रोडवेज पुलिस चौकी

बस स्टैण्ड पर सिक्योरिटी के नाम पर यह पुलिस चौकी मौजूद है। इसके बाहर भी अच्छी-खासी भीड़ थी। हमने टिफिन से भरे बैग को पुलिस चौकी की बाउंड्री पर रख दिया और वहां हट गये। आधे घंटे बाद लौटे तो बैग सही-सलामत बाउंड्री पर ही पड़ा था। हमेशा चौकन्ना रहने का दावा करने वाले पुलिस वालों ने बैग की ओर देखने की जरूरत भी नहीं समझी।

Scene-4

समय : 1.45 बजे

स्थान : कैंट रेलवे स्टेशन कैम्पस स्थित रैन बसेरा

आई नेक्स्ट टीम पूर्वांचल के सबसे भीड़-भाड़ वाले कैंट रेलवे स्टेशन कैम्पस में पहुंची। यहां टेंट से बने अस्थायी रैन बसेरे में भी बड़ी संख्या में लोग मौजूद मिले। टेंट के अंदर-बाहर जाने वालों पर निगरानी के लिए कोई नहीं था। टीम रैन बसेरा के अंदर पहुंची और बैग वहीं छोड़ दिया। 25 मिनट टेंट से दूर बिताने के बाद लौटे, बैग उठाया फिर स्टेशन की ओर बिना रोक-टोक बढ़ चले। इस दौरान को कोई पर्सन चेक करने के लिए तैनात नहीं दिखा।

Scene-5

समय : 2.10 बजे

स्थान : कैंट रेलवे स्टेशन

यहां भारी भीड़ मौजूद थी। सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, प्लेटफॉर्म हर जगह तीर्थ यात्री थे। आई नेक्स्ट टीम बैग लिये एंट्री गेट तक पहुंची। यहां मेटल डिटेक्टर गायब मिला। कोई पैसेंजर व उसके लगेज को चेक करने वाला भी नहीं था। जीआरपी, आरपीएफ के साथ सीआरपीएफ जवानों की चहलकदमी के बीच ही बैग को टिकट हॉल में आसानी से रख दिया। 50 मिनट तक लावारिस पड़े बैग को उठाकर हम चल निकले।

Scene-6

समय : 3.30 बजे

स्थान : दशाश्वमेध घाट

घाट से पहले लगे मेटल डिटेक्टर शोपीस नजर आये। पास में बेंच पर बैठे दो पुलिसकर्मी गलचउर में बिजी थे। आई नेक्स्ट की टीम बैग लेकर जल पुलिस चौकी के पास पहुंची। कुछ सीढिय़ों को नीचे उसे आराम से रख दिया। घाट पर मौजूद हजारों लोग स्नान-ध्यान में लगे हुए थे। सिक्योरिटी परसन बातचीत में और शॉपकीपर्स तीर्थ यात्रियों से रुपये कमाने की कोशिश में मशगूल थे। यहां एक घंटे तक बैग लावारिस पड़ा रहा।

सिक्योरिटी में भारी लापरवाही

आई नेक्स्ट टीम ने कुल छह प्लेसेज पर टिफिन से भरा बैग लावारिस हालत में छोड़ा। सभी प्लेसेज भारी भीड़ वाले हैं और बेहद सेंसिटिव हैं। यहां सिक्योरिटी नॉर्मल डेज में भी टाइट होनी चाहिए। इतनी भीड़ के बावजूद सिक्योरिटी को लेकर बेहद लापरवाही ही नजर आई। न तो किसी का सामान चेक किया जा रहा था और न ही किसी संदिग्ध व्यक्ति पर नजर रखी जा रही थी। पहले भी दहशतगर्द टिफिन और कुकर आदि को इसी तरह बैग में रखकर विस्फोट तक कर चुके हैं।

पलक झपकते जान होगी खतरे में

इस लापरवाही का अंजाम कितने लोगों को भुगतना पड़ सकता है इसका अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता है। कुम्भ नगरी से अभी तक दो करोड़ लोग बनारस आ चुके हैं। सोमवार को भी करीब 30 लाख श्रद्धालु सिटी में मौजूद थे। इनकी सबसे अधिक भीड़ रोडवेज बस स्टेशन, कैंट रेलवे स्टेशन और दशाश्वमेध घाट के इर्द-गिर्द थी। एक छोटी सी वारदात और उसके बाद दहशत हजारों की जान आसानी से ले सकता है।

मौके की तलाश में दहशतगर्द

अमन-चैन का मिसाल देने वाले शहर में दहशत फैलाने के लिए दहशतगर्द हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं। उन्हें जब भी मौका मिला इस शहर को निशाना बना दिया। आतंकी वारदात जो यहां हो चुके हैं

-वर्ष 2005 में दशाश्वमेध घाट पर ब्लास्ट हुआ था। इसे पहले तो सिलिंडर ब्लास्ट बताया गया। बाद में आतंकी घटना स्वीकार किया गया।

-वर्ष 2006 में संकटमोचन मंदिर कैम्पस और कैंट स्टेशन परिसर में सीरियल ब्लास्ट करके कई जानें ली गईं।

-वर्ष 2007 में कचहरी कैम्पस आतंकियों का निशाना बना। दो ब्लास्ट की धमक दूर-दूर तक गूंजी।

-वर्ष 2010 में शीतला घाट पर गंगा आरती के दौरान ब्लास्ट हुआ। इसमें एक मासूम की भी जान गयी।

अपनी सुरक्षा अपने हाथ

सिटी में सिक्योरिटी का ऐसा इंतजाम देखकर यह एहसास हो गया होगा कि अब अपनी सिक्योरिटी खुद अपने हाथ में है। आपकी एलर्टनेस ही आपकी और आपके साथ तमाम लोगों की जिंदगी बचा सकती है। इन बातों पर अमल करके अपने को रखा जा सकता है सेफ

-टे्रन, बस या किसी सवारी गाड़ी में सफर करने के दौरान आसपास लावारिस वस्तु पर जरूर नजर डाल लें।

-घाट पर नहाने या मंदिर में दर्शन के दौरान भी लावारिस वस्तु से दूरी बनाये रखते हुए वहां मौजूद लोगों को उसके बारे में बताएं।

-आपके इर्द-गिर्द कोई संदिग्ध व्यक्ति हो तो उसकी हरकतों की जानकारी सिक्योरिटी परसन को जरूर दें।

-कोई घटना या अफवाह के बाद भी संयम बनाये रखें ताकि भगदड़ की स्थिति उत्पन्न न हो।

-सिक्योरिटी इंस्ट्रक्शन को हमेशा फॉलो करें।

"

सिक्योरिटी का पूरा इंतजाम

एसपी सिटी संतोष सिंह का दावा है कि शहर में सिक्योरिटी का जबरदस्त इंतजाम किया गया है। घाटों पर संदिग्ध-व्यक्तियों और वस्तुओं को चेक किया जा रहा है। लोकल पुलिस के साथ ही बम डिस्पोजल स्क्वॉड समेत पीएसी को भी सिक्योरिटी के लिए तैनात किया गया है। गंगा में से भी निगरानी रखी जा रही है। बस स्टैण्ड पर भी टाइट सिक्योरिटी का इंतजाम किया गया है। इसकी रेंडम चेकिंग भी की जाती है।