- बिहार प्रशासनिक सेवा की ऑफिसर्स ने दबे स्वर में कहा-ऐसी घटनाएं तो होती ही रहती हैं

- शास्त्रीनगर थाना में दर्ज करवाया ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर

- आवास बोर्ड की गाड़ी से बॉडी गार्ड को छोड़कर जा रही थी गाड़ी

- पटना पुलिस को अब तक नहीं मिल पाया है ड्राइवर का सुराग

PATNA : दो दिन पहले एक लेडी ऑफिसर के साथ बदसलूकी करते हुए ड्राइवर ने उसे लेकर भागने की कोशिश की, लेकिन लेडी ऑफिसर ने फौरन गाड़ी से कूदकर अपनी जान हीं नहीं बचायी, बल्कि डीएम और एसएसपी से कंप्लेन भी की। अब तक पुलिस को ड्राइवर का सुराग नहीं मिला है। अब सवाल यह उठने लगा है कि लेडी ऑफिसर ऑफिस से लेकर अपनी गाडि़यों में कितनी सेफ हैं। पुख्ता सोर्सेज की मानें तो प्राइवेट एजेंसी की गाड़ी होने से इस तरह के कई मामले ऑफिसों में सुने-सुनाए जाते हैं। ज्ञात हो कि इस घटना में बॉडी गार्ड को उतारने के बाद ही ड्राइवर अश्लील गाना बजाना शुरू कर दिया। जब मना किया गया तो ड्राइवर ने कहा कि यह तो हर जगह चलता है मैम, आपको पसंद नहीं है तो बता दीजिए कौन सा लगा दूं। खैर इस मामले को लेकर छानबीन जारी है। इस बीच पता चला कि लेडी ऑफिसर्स को लेकर ऑफिसों की एक्टिविटी से लेकर उनको मिलने वाली सुविधाओं में होने वाली असुविधा को लेकर भी बात उठती रही है। कलेक्ट्रेट में कार्यरत लेडी ऑफिसर्स ने यह भी बताया कि डीएम से गाड़ी के लिए लगातार कई महीनों से लेटर लिखती रही है। इसके बाद भी गाड़ी उपलब्ध नहीं कराई गई है।

एजेंसी के ड्राइवर होने से बढ़ी हिम्मत, वरना

13 अक्टूबर से लगातार लेटर लिखने के बाद भी एडीएम रैंक की ऑफिसर को सुविधा नहीं मिल पायी। इस वजह से आवास बोर्ड की प्राइवेट गाड़ी सभी ऑफिसर्स और बॉडी गार्ड को ड्रॉप करने के बाद लेडी ऑफिसर को छोड़ने के लिए निकली। इस बीच यह हरकत किया। इस मामले में शास्त्रीनगर थाने की पुलिस एजेंसी से लगातार संपर्क साध कर ड्राइवर के बारे में कुछ जरूरी चीजें खंगालने में लगी हुई है। एडीएम के करीबी ने बताया कि अगर डिपार्टमेंट की गाड़ी और उसका ड्राइवर होता तो इस तरह की हरकत नहीं कर पाता। इस पूरे मामले में बिहार प्रशासनिक सेवा संघ भी अपनी ओर से एक्शन लेने की तैयारी में है।

हर ऑफिस में काफी संख्या में लेडी ऑफिसर्स

सीनियर से लेकर जूनियर ऑफिसर्स की संख्या हर ऑफिस में अधिक रहती है। ऐसे में सिक्योरिटी को लेकर कोई खास तरह का प्लान नहीं किया जाता है। प्राइवेट एजेंसी की गाडि़यां यूज करने से सिक्योरिटी पर और भी सवाल उठता रहता है। जानकारी हो कि डीएम ऑफिस में बीस, निगम में दो, बीएसएनएल में पांच, पोस्ट ऑफिस में पांच लेडी ऑफिसर्स हैं। ये सभी हर दिन प्राइवेट एजेंसी की गाडि़यों से ही आती-जाती हैं।

ऑफिसर्स के लिए भी प्राइवेट गाड़ी की ही सुविधा

बीएसएनएल के सीनियर ऑफिसर ने बताया कि ऑफिसेस में यूज होने वाली गाडि़यां 80 परसेंट प्राइवेट ही रहती है। इन गाडि़यों की मदद से ही दिन भर सभी काम करना पड़ता है। घर पर आते हैं और फिर जाते हैं। ऐसे ड्राइवर कभी भी कोई भी घटना को अंजाम दे सकते हैं।

एडमिनिस्ट्रेशन को करना होगा काम

सीनियर एसपी जितेंद्र राणा ने बताया कि पुलिस और ऑफिसर्स दोनों को मिलकर काम करना होगा। ऑफिसर्स को यह देखना होगा कि जिस ट्रेवल एजेंसी से टाइअप कर रहे हैं। वह और उसका ड्राइवर कितना ओथेंटिक है। एजेंसी के साथ-साथ उसके गाड़ी और ड्राइवर की पूरी जानकारी रखना भी ऑफिसर्स का काम है। ताकि किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने पर फौरन उसे पकड़ा जा सके। बिना रजिस्टर्ड एजेंसी की गाड़ी का यूज नहीं करना चाहिए।

मामले में नया मोड़

PATNA: गुरुवार की शाम हुए मामले ने नया मोड़ ले लिया है। यह कहा जा रहा है कि ड्राइवर को बेली रोड के पास ही छोड़ने के लिए कहा गया था, जबकि लेडी ऑफिसर उसे घर छोड़ने के लिए कह रही थी। जब ड्राइवर ने ललित भवन के पास उतरने के लिए कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया। इस पर ड्राइवर गुस्से में आकर कहा कि मैं घर जा रहा हूं अब आपको जहां जाना है जाइए, इसके बाद ऑफिसर उतरीं और थाने में बदतमीजी और गाली-गलौज का मामला दर्ज करवा दी।

आवास बोर्ड को चाहिए की गाड़ी और सिक्योरिटी का अरेंजमेंट करें। यह घटना हास्सापद है। इस पर फौरन एक्शन लिया जाना चाहिए। जल्द से जल्द ड्राइवर पर कार्रवाई होनी चाहिए।

-सुशील कुमार

जेनरल सेक्रेटरी, बासा