कुछ ऐसी है जानकारी
बता दें कि अनामिका की भी नियुक्ति व्यापम के जरिए ही हुई थी। अनामिका ने सागर की पुलिस अकादमी में ही एक तालाब मे कूदकर अपनी जान दे दी। अब अनामिका की मौत के बाद ये राज और भी ज्यादा गहरा हो गया है कि आखिर इस घोटाले के पीछे ऐसे कौन से लोग हैं और इसके पीछे ऐसा कौन सा राज है, जो एक के बाद एक इतने सारे लोगों की बलि लेता जा रहा है। अब तो सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर मौत के इस सिलसिले पर लगाम कैसे लगेगी।

अभी और कितनी बलि
गौरतलब है कि राज्य के गृह मंत्री बाबूलाल गौर ने इस संबंध में बेतुका बयान दिया है कि मौत पर किसी का नियंत्रण नहीं है। राजा हो या फकीर सबको एक दिन जाना है। वहीं ध्यान दें तो इस मामले में अब तक लगभग 40 से ज्यादा लोग मौत के घाट उतर चुके हैं। शनिवार को एक निजी न्यूज चैनल के पत्रकार अक्षय सिंह की मौत ने राज्य सरकार को हिला कर रख दिया। अभी ये मामला गर्म ही था कि उसके 48 घंटे के बाद ही एक नौजवान युवती की मौत इस पूरे घोटाले पर संदेह की लकीर खींच रही है। वहीं इनके साथ जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन की मौत को भी भला कैसे भुलाया जा सकता है।

शिवराज सिंह ने CBI जांच पर बनाया बहाना
उधर, विपक्षी दलों ने भी मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार SIT का गठन करके CBI जांच से मुंह फेरने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का जांच पर तर्क है कि हाईकोर्ट के आदेश से SIT का गठन किया गया है। अब SIT पूरे मामले को गहराई से जांचेगी, इसलिए CBI जांच की जरूरत नहीं है।

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk