समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अदालत के फैसले के बाद लालू प्रसाद यादव को रांची के बिरसा मुंडा को जेल ले जाया गया.

इस मामले में 44 अन्य अभियुक्त भी थे और सभी को अदालत ने दोषी ठहराया है. सज़ा का ऐलान तीन अक्तूबर को होगा.

बिहार के लोगों के लिए इंसाफ़ का दिन: भाजपा

सीबीआई के वरीय अभियोजक बीएमपी सिंह ने राँची में पत्रकारों को बताया कि लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र को अधिकतम सात साल की सज़ा हो सकती है.

लालू प्रसाद यादव को दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा है कि ये फ़ैसला देर से तो आया है, लेकिन सही है.

जनता दल (यूनाइटेड) के नेता साबिर अली ने कहा है कि इस फ़ैसले के बाद लोगों की न्यायपालिका पर आस्था बढ़ेगी, जो ये मानते थे कि नेताओं को कभी सज़ा नहीं मिलती.

रांची की सीबीआई अदालत ने 17 सितंबर को इस मामले में फ़ैसला सुरक्षित रखा था.

इस मामले में जज बदलने की लालू यादव की अर्ज़ी सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को ख़ारिज कर दी थी.

लालू यादव ने अपनी याचिका में ट्रायल कोर्ट के जज पीके सिंह पर भेदभाव बरतने का आरोप लगाया था.

मामला

लालू प्रसाद और 44 अन्य लोगों को चाइबासा कोषागार से 90 के दशक में 37.7 करोड़ रुपए निकालने के मामले में अभियुक्त बनाया गया था.

चाइबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा था. चारा घोटाले में विशेष अदालतें 53 में से 44 मामलों में पहले ही फ़ैसले सुना चुकी हैं.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, आरके राणा और ध्रुव भगत भी इस मामले में दोषी ठहराया गया है.

राणा और भगत को मई में एक केस में पहले ही दोषी करार दिया जा चुका है. चाइबासा कोषागार से कथित फ़र्ज़ी बिल देकर 37.7 करोड़ रुपए निकालने का ये मामला जब सामने आया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने ध्रुव भगत और जगदीश शर्मा की सदस्यता वाली विधानसभा समिति से इसकी जांच कराने के आदेश दिए थे.

इस मामले में शिवानंद तिवारी, सरयू रॉय, राजीव रंजन सिंह और रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को 950 करोड़ रुपए के कथित चारा घोटाले के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था.

International News inextlive from World News Desk