सबहेड : राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव

रांची : ग्रामीण क्षेत्रों की ही तरह अब शहरी क्षेत्रों की जमीन की भी सरकारी दर का निर्धारण दो वर्षो पर होगा। जमीन की नई दर निर्धारित करने की जटिलताओं को देखते हुए राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार किया है। अबतक ग्रामीण क्षेत्रों में हर दो साल पर और शहरी क्षेत्रों में हर वर्ष दर का निर्धारण होता था। इसी बढ़ी हुई कीमत के अनुरूप निबंधन शुल्क लेकर जमीन-फ्लैट आदि की रजिस्ट्री होती थी। जहां तक जमीन की नई दर निर्धारित करने के पैमाने की बात है, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के अलग-अलग मौजा में हुई खरीद-बिक्री इसका आधार बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 15 डिसमिल से अधिक जमीन की खरीद-बिक्री का मूल्यांकन नई दर के निर्धारण के लिए होगा, वहीं शहरी क्षेत्र के लिए यह पैमाना एक डिसमिल अथवा इससे अधिक जमीन होगा। इसे ऐसे समझे अगर किसी मौजे में 25 डीड पर 25 डिसमिल जमीन की बिक्री 10 लाख रुपये में होती है तो इसका औसत मूल्य उस मौजे के लिए 40 हजार रुपये होगा। इधर, विभाग के प्रस्ताव पर जबतक वित्त और विधि की सहमति नहीं मिल जाती, विभाग ने एक अगस्त से बढ़ने वाली जमीन की कीमत पर रोक लगा दी है। अब अक्टूबर से बढ़ी हुई दर पर निबंधन प्रभावी होगा।

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विवाह का निबंधन अनिवार्य

झारखंड में होने वाली नई शादियों का निबंधन अब अनिवार्य होगा। राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने झारखंड अनिवार्य विवाह निबंधन नियमावली तैयार कर ली है।

पासपोर्ट दिखाकर भी निबंधन

अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री में आधार की अनिवार्यता को लेकर अप्रवासी भारतीय को होने वाली दिक्कतों का सरकार ने समाधान कर दिया है। संबंधित व्यक्ति अपना पासपोर्ट अथवा ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड दिखाकर अपनी अचल संपत्ति की खरीद - बिक्री कर सकेंगे।

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