- प्रस्तावित तीन फ्लाईओवर्स के निर्माण में बाधक बन रही सीवरेज लाइनों का पता लगाने में जल-कल विभाग के नाकाम रहने पर सेतु निगम ने मुंबई की कंपनी को किया हायर

- लखनऊ मेट्रो में सफलता पूर्वक अपने काम को अंजाम दे चुकी है कंपनी

- पांच मीटर तक जमीन के भीतर एक्स-रे कर तय होगा शिफ्टिंग कार्य, काम में आएगी तेजी

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW :

राजधानी को ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिये शहर के बीचो-बीच प्रस्तावित तीन फ्लाईओवर्स के निर्माण में बाधक अंडरग्राउंड सीवरेज लाइंस, रॉ वाटर लाइंस और वाटर सप्लाई लाइंस अब प्रोजेक्ट शुरू होने में और देरी का सबब नहीं बन पाएंगी। मैप न होने की वजह से इन लाइंस की शिफ्टिंग का इस्टीमेट तैयार करने में नाकाम जल-कल विभाग की मुश्किल का तोड़ सेतु निगम ने निकाल लिया है। अब निगम ने मुंबई की एक कंपनी को हायर किया है, जो हाईटेक तकनीक की मदद से जमीन का एक्स-रे कर अंडरग्राउंड सर्विसेज की निशानदेही करेंगी। जिसके बाद उन्हें शिफ्ट कर फ्लाईओवर्स का काम जल्द से जल्द शुरू हो सकेगा।

अटक गया था काम

गुरु गोविंद सिंह मार्ग पर हुसैनगंज-डीएवी कॉलेज फ्लाईआवर व तुलसीदास मार्ग पर दो फ्लाईओवर्स- हैदरगंज तिराहा तक और चरक क्रॉसिंग से हैदरगंज चौराहा तक फ्लाईओवर प्रस्तावित हैं। तीनों ही प्रस्तावित फ्लाईओवर्स पुरानी और घनी बस्ती में होने की वजह से वर्तमान में इन दोनों ही सड़कों के नीचे ढेरों अंडरग्राउंड सर्विसेज जैसे सीवर लाइन, रॉ वाटर लाइन और वाटर सप्लाई लाइन स्थित हैं। कई जगहों पर बिजली की अंडरग्राउंड केबल व ट्रांसफार्मर भी फ्लाईओवर्स की राह में रोड़ा बने थे। बिजली विभाग ने तो अपने इस्टीमेट सेतु निगम को सौंप दिये, जिस पर फंड भी रिलीज हो गया। पर, जल-कल विभाग और नगर निगम इस्टीमेट देना तो दूर उसे तैयार करने में भी अब तक नाकाम रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मंगलवार के एडिशन में आपको बताया था कि इन दोनों ही सड़कों पर मौजूद सीवरेज लाइंस 60 से 80 साल तक पुरानी हैं। आजादी से पहले की लाइंस के मैप विभाग के पास मौजूद नहीं हैं। नतीजतन, सेतु निगम द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद इस्टीमेट तैयार करना जल-कल विभाग के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा था।

लखनऊ मेट्रो से ली सीख

तीनों फ्लाई ओवर्स के निर्माण कार्य को देख रहे सेतु निगम के असिस्टेंट इंजीनियर मानस श्रीवास्तव ने बताया कि जल-कल विभाग व नगर निगम से इस्टीमेट न मिल पाने की वजह से काम शुरू होने में खासी दिक्कत आ रही थी। इसी बीच विभाग में विचार हुआ कि चारबाग से डीएम आवास तक निर्माणाधीन लखनऊ मेट्रो के अंडरग्राउंड टनल का निर्माण भी सफलतापूर्वक चल रहा है और उसे इन सर्विसेज को शिफ्ट करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। छानबीन करने पर मुंबई की एक कंपनी का पता चला जो हाईटेक उपकरणों की मदद से जमीन का एक्स-रे कर पांच मीटर भीतर तक मौजूद सर्विसेज मसलन, सीवरेज लाइंस, वाटर लाइंस व बिजली केबल का पता लगा सकती है। यह कंपनी इन सर्विसेज का मैप तैयार कर इन सर्विसेज को वहां से शिफ्ट भी करती है। जानकारी मिलने पर कंपनी से संपर्क किया गया। कंपनी के अधिकारियों ने सेतु निगम के अधिकारियों को अपने कार्य का डेमोंस्ट्रेशन दिया। जिसके बाद इस कंपनी को हायर कर लिया गया। एई श्रीवास्तव ने बताया कि कंपनी को हैदरगंज तिराहा-मीना बेकरी के बीच बनने वाले फ्लाईओवर पर काम करने का आदेश दे दिया गया है। जल्द ही इस पर काम शुरू हो सकेगा।

बॉक्स

इन फ्लाईओवर्स की शुरुआत में बाधा

1. हुसैनगंज से डीएवी कॉलेज फ्लाईओवर्स

लेन: 3

लंबाई: 1,656 मीटर

लागत: 123.80 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: राजाजीपुरम, राजेंद्रनगर, हुसैनगंज, ऐशबाग, मोतीनगर, मालवीय नगर, हैदरगंज, तालकटोरा

2. हैदरगंज तिराहा से मीनाबेकरी पूर्व फ्लाईओवर्स

लेन: 2

लंबाई: 908.765 मीटर

लागत: 40.43 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: राजाजीपुरम, आलमनगर, बाजारखाला, नक्खास, हैदरगंज, ऐशबाग

3. चरक क्रॉसिंग से हैदरगंज चौराहा फ्लाईओवर्स

लेन: 2

लंबाई: 2,478.042 मीटर

लागत: 110.15 करोड़ रुपये

लाभान्वित आबादी: चौक, ठाकुरगंज, राजाजीपुरम, ऐशबाग, आलमबाग, कानपुर रोड