तारीख पर तारीख

देश की अदालतों में मुकदमों की लंबी चलने वाली सुनवाई और देरी से मिलने वाले न्याय की पीड़ा को बखूबी समझा जा सकता है. अगा हम यह कहें कि देरी से मिलने वाला न्याय भी अन्याय के ही समान है, तो यह गलत न होगा. इन्हीं में से एक मुकदमा रणवीर सिंह यादव का है. दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (डीटीसी) में कंडक्टर रहे रणवीर पर 5 पैसे की घपलेबाजी का आरोप लगा था. यह मुकदमा घटना के 41 साल बीत जाने के बाद आज भी विचाराधीन है. मामले में दिल्ली सरकार और आरोपी पक्ष दोनों की ओर से ही लाखों रुपये तक खर्च किये जा चुके हैं.

नहीं मिल रही पेंशन

दिल्ल हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ के समक्ष इस मामले में डीटीसी के मायापुरी डिपो के रीजनल मैनेजर यूएस उपाध्याय ने एक नया शपथ पत्र दायर किया है. शपथ पत्र के माध्यम से बताया गया है कि डीटीसी अभी भी अपने निर्णय पर कायम है. जिसमें उन्होंने पूर्व में कहा था कि वे रणवीर सिंह को विवाद का हल होने तक किसी भी प्रकार की नौकरी संबंधी सुविधा का लाभ नहीं दे सकते. डीटीसी ने इस मामले में यादव द्वारा की गई पेंशन की मांग पर भी अपनी आपत्ति जाहीर की है.

क्या है मामला

खबर के मुताबिक, रणवीर सिंह यादव 1973 में डीटीसी में बतौर कंडक्टर कार्यरत थे. 1 अगस्त 1973 को मायापुरी इलाके में डीटीसी बस में उन्होंने एक महिला को 10 पैसे का टिकट दिया. उसी समय डीटीसी का चेकिंग स्टॉफ चढ़ गया और उन्होंने महिला का टिकट चंक किया और उसका गंतव्य स्थान पूछा. महिला के बताये गये स्थान के अनुसार, अधिकारियों ने पाया कि उसका टिकट 15 पैसे का बनता था, मगर कंडक्टर ने लापरवाही बरतते हुये उसे 10 पैसे का टिकट काट कर दिया जिससे डीटीसी को 5 पैसे का नुकसान हुआ. इसके बाद यह मामला अदालत पहुचे गया और आज तक इसके निर्णय के इंतजार में रणवीर सिंह बैठे हैं.

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