- रेपर्टवा सीजन-7 के अंतिम दिन फायर्ड बाई हेमलेट नाटक का मंचन

LUCKNOW: एक सप्ताह तक नॉन ट्रेडिनशनल बैंड और धूम मचाने वाले नाटकों की सीरीज यानी रेपर्टवा सीजन-7 का ट्यूज्डे को आखिरी दिन था। अंतिम दिन संगीत नाटक अकादमी के मंच पर माइकल मोरिटज के कॉमेडी प्ले 'फायर्ड बाई हेमलेट' का मंचन किया गया। इसमें मशहूर लेखक शेक्सपीयर के नाटक हेमलेट की कॉमेडी की झलक दिखी।

बयां किया रिफ्यूजी का हाल

नाटक में एक परिवार जो मुफलिसी के दौर से गुजरता है। फिर भी वह रंगमंच की दुनिया में अपना नाम रोशन करने की चाह रखे हुये है। भूख और गरीबी में चिड़चिड़े हो चुके परिवार के सदस्य कई बार आपस में लड़ते हैं। मगर उनका प्रेम बरकरार रहता है। इसी बीच वे अपने रंगमंच पर एक नाटक की परफार्मेस करते हैं लेकिन दिक्कत तब होती है जब पेंटा माइन का किरदार निभाने के लिए डायरेक्टर बार-बार लोगों को चेंज करता है। इस बीच नाटक में कई दृश्य लोगों को हंसाने का काम करते है। यह नाटक पूरी तरह से हेमलेट पर आधारित नहीं है। मगर कहीं न कहीं इसमें शेक्सपीयर के नाटक हेमलेट की झलक दिखती है। रेपर्टवा के आखिरी दिन आयोजित इस प्ले को लोगों ने काफी सराहा। नाटक के दौरान दर्शकों के ठहाकों से हाल गूंजता रहा। इस नाटक में बश्वत भटट, सनमोनी सरमह, अम्बा सुहासनी, मोहित तिवारी, शिवम प्रधान पूर्णिमा आदि ने अपने किरदारों के जरिये लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।

अब क्लीन कॉमेडी नहीं रही

फायर्ड बाई हैमलेट का मंचन करने आये कलाकारों में अश्वत भट्ट ने बताया कि अब दौर बदल चुका है। कॉमेडी क्लीन नहीं रही। क्या कूल हैं हम व मस्ती जैसी कई फिल्मों में डबल मीनिंग का इस्तेमाल होने लगा है। लोग पसंद भी कर रहे हैं। ऐसे में कैसे कहें कि कॉमेडी क्लीन रह गई है। उन्होंने बताया कि मेरी नजर में कॉमेडी एक सीरियस बिजनेस है। उसे लोगों तक पहुंचाना चाहिए लेकिन अब कॉमेडी में वह ह्यूमर नहीं रहा जो दर्शकों को गुदगुदाये। आज अच्छी कॉमेडी के लिए लोगों के पास शब्द ही नहीं हैं।