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RANCHI: सरकारी कार्यो में कई बार अजीबोगरीब वाकया सामने आते रहते हैं पर इस बार का मामला कुछ अनूठा है। घटना रांची में हुई और मुकदमा दर्ज हुआ पटना में। यही नहीं, जब इस भूल के बारे में बताया गया तो मामला झारखंड के मुख्य सचिव को ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन सुनवाई बिहार में ही चलती रही और मामला उठाने वाले को पक्ष रखने के लिए उपस्थित होने का निर्देश भी दे दिया गया।

क्या है मामला
मामला नवंबर में रांची में आयोजित झारखंड स्थापना दिवस पर सरकारी समारोह के दौरान पत्रकारों पर हुए लाठीचार्ज से जुड़ा है। दरअसल, 15 नवंबर 2018 को रांची में एक कार्यक्रम के दौरान झारखंड पुलिस ने समाचार संकलन करने गए विभिन्न समाचारपत्रों और मीडिया चैनलों के पत्रकारों तथा छायाकारों की पिटाई कर दी थी। इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करने के लिए 21 नवंबर 2018 को पत्र लिखा था। इसके बाद 27 नवंबर को राष्ट्रपति कार्यालय, दिल्ली ने मामले की जांच करने के लिए बिहार सरकार के गृह विभाग के मुख्य सचिव को पत्र भेजा। पत्र में दफ्तुआर का नाम, पता और मोबाइल नंबर भी दर्ज था। अधिकारियों ने पत्र में लिखे बिंदुओं पर गौर नहीं किया और न ही दफ्तुआर से बात की। सीधे गृह विभाग के लोक शिकायत निवारण में वाद दायर कर दिया।

सुनवाई के लिए दोबारा नोटिस
नौ जनवरी को गृह विभाग का मैसेज पाकर दफ्तुआर भौंचक रह गए। उन्होंने तत्काल राष्ट्रपति कार्यालय को सूचित किया और वहां से एक दिन में त्रुटि सही करके झारखंड के मुख्य सचिव को मामले में सुनवाई करने के लिए पत्र भेजा गया। 10 जनवरी को दफ्तुआर ने मुख्यमंत्री, बिहार के सरकारी ई-मेल पर त्रुटि के संबंध में जानकारी दी। वह ई-मेल मुख्य सचिव और गृह सचिव को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया गया। इसके बावजूद बिहार के गृह विभाग ने गलती नहीं सुधारी। पांच दिन बाद 15 जनवरी को दोबारा दफ्तुआर को नोटिस देकर 21 जनवरी की सुनवाई में उपस्थित होने के लिए बुलाया गया।

राष्ट्रपति कार्यालय ने कराया अवगत
राष्ट्रपति कार्यालय ने भूलवश एक मामले में झारखंड के मुख्य सचिव के बदले बिहार के मुख्य सचिव के नाम पत्र भेज दिया और पत्र में वर्णित तथ्यों को पढ़े बिना ही बिहार सरकार के गृह विभाग के लोक शिकायत निवारण कार्यालय में मुकदमा दर्ज हो गया। जब राष्ट्रपति कार्यालय को इस गलती के बारे में बताया गया तो उन्होंने त्रुटि को सुधार कर पुन: बिहार सरकार को अवगत कराया, लेकिन बिहार में मुकदमा चालू है।

क्या कहना है मानवाधिकार कार्यकर्ता का
इस बारे में जब विशाल रंजन दफ्तुआर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह सरकारी तंत्र की लापरवाही का प्रत्यक्ष नमूना है। जब मुझे जानकारी मिली तो मैंने राष्ट्रपति कार्यालय को अवगत कराया और उन्होंने इस भूल को सुधार करते हुए बिहार सरकार को अवगत भी करा दिया पर स्थिति जस की तस है।