RANCHI: अंडरग्राउंड वाटर के व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर सरकार के तेवर सख्त होने वाले हैं। इसके लिए रांची नगर निगम की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर गहनता से विचार किया जा रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि बहुत जल्द ही गली-मोहल्ले में खुल चुके पानी के कारोबार पर लगाम लग जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस दिशा में विभाग अन्य प्रदेशों में पानी से जुड़े कारोबार पर नियम और मापदंड की जानकारी जुटा रहा है। नियमावली की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऐसे पानी के कारोबारियों का धंधा बंद हो जाएगा, जो नगर निगम से सिर्फ ट्रेड लाइसेंस लेकर पानी का कारोबार कर 20 लीटर का जार धड़ल्ले से बेच रहे हैं। बता दें कि रांची नगर निगम ने सितंबर 2017 में ही नियमावली बनाने के लिए प्रस्ताव विभाग को भेज दिया है।

अभी नहीं है कोई नियमावली

अंडरग्राउंड पानी की पैकेजिंग कर व्यावसायिक इस्तेमाल का धंधा राजधानी में धड़ल्ले से हो रहा है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए सरकार के पास कोई भी कानून नहीं है और न ही कोई नियमावली। ऐसे में राजधानी में कुकुरमुत्ते की तरह गली-मोहल्लों में बढ़ रहे पानी के कारोबार को रोकने का कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा है। मोटी कमाई के लिए लोग डीप बोरिंग का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है साथ ही ग्राउंड वाटर लेवल भी बहुत नीचे जा चुका है। पानी के व्यवसाय से जुड़े इस प्रस्ताव को विभाग की अगर मंजूरी मिल जाती है तो झारखंड नगरपालिका अधिनियम में शामिल हो जाएगा और पूरे राज्य के नगर निकायों में इसे लागू किया जाएगा।

क्या है नगर निगम के प्रस्ताव में

-घरेलू चार इंच की बोरिंग के लिए कहीं भी किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है, जबकि 6 इंच बोरिंग के लिए एनओसी लेना अनिवार्य है।

-व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए 4 और 6 इंच दोनों बोरिंग के लिए शुल्क के साथ नगर निगम से एनओसी भी लेना होगा।

-बोरिंग के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए बीआईएस और एफएसएसआई प्रमाण पत्र लेना होगा। साथ ही उसे तय समय पर लैब टेस्ट की रिपोर्ट भी जमा करनी होगी।

-नगर निगम की ओर से बोरिंग के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए भौतिक निरीक्षण किया जाएगा।

-व्यावसायिक इस्तेमाल करने वाले का वाटर रिचार्ज सिस्टम बनाना होगा।

पानी का कितना कारोबार

27 निजी कंपनियां: 540 हजार लीटर

100 छोटे वाटर प्लांट : 500 हजार लीटर