-केसों की पैरवी करने मुरादाबाद जा रहे सिटी के वकील

- मेरठ बार एसोसिएशन वकीलों को रोक पाने में पूरी तरह से फेल

- पब्लिक को हड़ताल के जरिए बनाया जा रहा है बेवकूफ

Meerut : भले ही जिले के वकील वेस्ट यूपी हाईकोर्ट बेंच की मांग का झंडा बुलंद कर हड़ताल का ढोल पीट रहे हों, लेकिन सच्चाई ये है कि जिले के कई मुकदमों की पैरवी को मुरादाबाद जा रहे हैं, जिसे देखकर भी मेरठ बार एसोसिएशन के पदाधिकारी आंखे मूंदे हुए हैं। मेरठ की ज्यूडिशरी मुरादाबाद ट्रांसफर होने के बाद कुछ वकील जब मुरादाबाद पैरवी के करने गए थे तो मुरादाबाद के वकीलों की मेरठ के वकीलों के साथ झड़प भी हुई थी। इसके बाद मेरठ बार एसोसिएशन ने ऐसे वकीलों पर कार्रवाई करने की घोषणा भी की थी।

कैसी है ये हड़ताल?

वकील हड़ताल पर होने के बाद भी हड़ताल पर नहीं हैं। नहीं समझे। हम आपको समझाते हैं। बात ये है कि जब से मेरठ की ज्यूडिशरी मुरादाबाद ट्रांसफर हुई है तब से मेरठ के वकील गुपचुप तरीके से मुरादाबाद में केसों की पैरवी के लिए जा रहे हैं। इसमें मेरठ के कुछ नामचीन वकील भी शामिल हैं। एक वकील ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि जो वकील एसोसिएशन की मीटिंग में बढ़चढ़कर बात करते हैं, हड़ताल की वकालत करते हैं, आंदोलन को जनांदोलन बनाने की बात करते हैं, वो ही मुरादाबाद जाकर केसों की पैरवी कर रहे हैं। अगर खुद नहीं जा रहे हैं तो अपने असिस्टेंट का भेजकर प्रोसेस को कंटीन्यू किए हुए हैं।

क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई?

ताज्जुब की बात तो ये है कि मेरठ बार ऐसोसिएशन के पदाधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने हुए हैं। ये वो वकील हैं जो मेरठ बार के साथ-साथ जिला बार और हाईकोर्ट में काफी रसूख रखते हैं। कई मामलों में ये वकील मेरठ बार के पदाधिकारियों की मदद भी करते हैं। ऐसे में अगर पदाधिकारी कुछ भी बोलते हैं तो उनके नाराज होने का डर है। इसलिए कोई भी कुछ बोलने के और कहने को तैयार नहीं है।

हुई थी मारपीट

क्7 जनवरी को मेरठ के कुछ वकीलों ने मुरादाबाद जाकर वकीलों ने के केसों की पैरवी भी की थी, जिसके बाद मुरादाबाद के वकील भड़क गए थे। मुरादाबाद और मेरठ के वकीलों में मारपीट भी हुई थी। मुरादाबाद के वकीलों का मत था कि मेरठ बार द्वारा जहां मुरादाबाद के वकीलों को न्यायिक कार्यो में शामिल न होने के लिए कहा जा रहा है वहीं वो खुद ही न्यायिक कार्यो में शामिल होने के लिए आ रहे हैं।

कार्रवाई की घोषणा भी की थी

मामला सामने आने के बाद उन वकीलों के खिलाफ मेरठ बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कार्रवाई करने की बात कही थी। साथ ही सभी वकीलों को कार्रवाई की चेतावनी भी थी। साथ में ये भी कहा था कि अगर कोई जरूरी केस हो तो उसके लिए मेरठ बार के पदाधिकारियों से परमीशन लेना काफी जरूरी है। तभी कोई न्यायिक कार्य कर सकता है।

आंदोलन की धार होती खत्म

जहां मेरठ के वकील मुरादाबाद जाकर पैरवी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मेरठ की पब्लिक इस हड़ताल से आजिज आ चुकी है। कोई भी इस हड़ताल को सीरियसली लेने को तैयार है। जिससे मेरठ के वकीलों का ये आंदोलन कमजोर होता हुआ दिखाई दे रहा है। जबकि मेरठ बार के पदाधिकारी इस बात से इत्तेफाक नहीं रख रहे हैं। उनका कहना है कि हमारी तैयारियां पूरे जोरों पर चल रही है। आंदोलन को जनांदोलन के परिवर्तित करने को सभी वकीलों ने कमर कस ली है।

हमारे सामने ऐसा कोई मामला नहीं आया है। अगर किसी वकील की कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी। आंदोलन को कमजोर नहीं किया जाएगा। मेरठ बार आंदोलन को जनांदोलन के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहा है।

- डीडी शर्मा, अध्यक्ष, मेरठ बार एसोसिएशन

ओबामा की विजिट ने वकीलों की उम्मीदों पर फेरा पानी

रूद्गद्गह्मह्वह्ल : बेंच के लिए जहां एक खेमा मेरठ में हड़ताल को पूरी तरह से कायम रखने में जुटा हुआ है तो दूसरा खेमा दिल्ली में चक्कर लगा रहा है, लेकिन कोई बात नहीं बन रही है। इस बार ओबामा की विजिट ने वकीलों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मंत्रालय में मंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी। कुछ सांसदों से मिलकर ही वकीलों को संतोष करना पड़ा। अपनी मांग रखकर वापस लौट आए।

दिल्ली से बैरंग लौटे वकील

मंगलवार को वकीलों का एक दल बेंच की मांग को लेकर दिल्ली गया, लेकिन अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा की विजिट होने के कारण कैबिनेट मंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी। वकीलों की मानें तो तीन बजे तक इंतजार करने के बाद भी मुलाकात न होने के कारण, उन्होंने भाजपा के नगीना से सांसद डॉ। यशवंत सिंह, बिजनौर के सांसद भारतेंदु और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुल्तान अहमद से बेंच के बारे में बात की। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनोज त्यागी, एडवोकेट रामकुमार शर्मा, अनुज शर्मा, सुशील आदि मौजूद रहे।