- आयोजकों को परमीशन के लिये देना होगा बंधपत्र, कार्यकर्ताओं को काबू में रखने के लिये लगाने होंगे मार्शल

- धरना की परमीशन भी 'फ‌र्स्ट कम-फ‌र्स्ट सर्व' आधार पर दी जाएगी

- विधानभवन, सीएम आवास समेत 7 जगहों पर धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित

- बड़े धरनों के लिये कांशीराम जनसुविधा परिसर निर्धारित

LUCKNOW: धरना-प्रदर्शन के नाम पर शहर की सड़कों को हाईजैक करने की घटनाएं अब गुजरे जमाने की बात हो जाएंगी। 300 से कम और बिना वाहनों वाले प्रदर्शनकारी ही अब लक्ष्मण मेला ग्राउंड में धरना देने की परमीशन मिलने के बाद धरना दे सकेंगे। वहीं, इससे ज्यादा संख्या वाले प्रदर्शनकारियों को कांशीराम जनसुविधा परिसर का रुख करना होगा। धरना की परमीशन भी 'फ‌र्स्ट कम-फ‌र्स्ट सर्व' आधार पर दी जाएगी। यानि, पहले आने वाले को परमीशन मिलेगी बाकी को अगले दिनों के लिये इंतजाम करना होगा। कमिशनर लखनऊ की अध्यक्षता में गठित कमेटी की संस्तुति पर शासनादेश जारी कर दिया गया है। इसी के मद्देनजर डीजीपी मुख्यालय ने सर्कुलर के जरिए राजधानी पुलिस को निर्देश जारी किये हैं।

लक्ष्मण मेला ग्राउंड में नहीं हो सकेगा क्रमिक धरना

जारी सर्कुलर के मुताबिक, जिन धरना-प्रदर्शन में 300 से कम लोग भाग लें उन्हीं को लक्ष्मण मेला ग्राउंड में धरना देने की परमीशन दी जाएगी। साथ में यह भी नियम होगा कि यह धरना उसी दिन खत्म हो जाएगा। अगर धरना क्रमिक होगा यानि कई दिन जारी रखने की योजना हो तो ऐसे धरना पुराना जेल रोड स्थित कांशीराम जनसुविधा परिसर पार्किंग स्थल में ही आयोजित हो सकेंगे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि धरना की परमीशन फ‌र्स्ट कम-फ‌र्स्ट सर्व के आधार पर दी जाएगी। यानि कि लक्ष्मण मेला ग्राउंड में एक दिन में सिर्फ एक ही धरना की परमीशन दी जाएगी।

सात जगह प्रतिबंधित

सर्कुलर में सात जगहों को धरना-प्रदर्शन के लिये प्रतिबंधित किया गया है। इनमें विधानसभा मार्ग, हजरतगंज चौराहा, सचिवालय, राजभवन, वीवीआईपी गेस्ट हाउस, कालीदास मार्ग, पार्क रोड, महात्मा गांधी मार्ग और हाईकोर्ट गेस्ट हाउस आदि पूरे क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन को प्रतिबंधित किया गया है। अगर शासनादेश के बाद भी इन जगहों पर कोई प्रदर्शनकारी इकट्ठा होता है तो उस संगठन के पदाधिकारियों व आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हाइवे और प्रमुख मार्गो पर भी धरना-प्रदर्शन प्रतिबंधित किया गया है।

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तोड़फोड़ में वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति

अगर धरना प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकारी या प्राइवेट संपत्ति में तोड़फोड़ की जाती है तो हाईकोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई करते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि वसूल की जाएगी। निर्धारित धरनास्थल के अलावा प्रदर्शनकारी शहर के बीच व हाइवे पर अपना कार्यक्रम करते हैं, जिससे आम लोग, बुजुर्ग, मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचने या स्कूल जाने वाले बच्चों को असुविधा होती है, ऐसी स्थिति से निपटने के लिये पुलिस अधिकारियों को आयोजक से मिलकर प्रदर्शन का रास्ता व ऐसी शर्त तय करनी होगी जिससे आम लोगों को दिक्कत न हो।

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भीड़ काबू करने को मार्शल, व्यवस्थापक करना होगा नियुक्त

धरना-प्रदर्शन की परमीशन के लिये आयोजकों को अब बंधपत्र देना होगा। जिसमें आयोजक को यह लिखना होगा कि जिस जगह पर धरना-प्रदर्शन करने की परमीशन दी जा रही है, उसी जगह पर शांतिपूर्ण ढंग से धरना-प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिये आयोजकों को ही मार्शल, व्यवस्थापक नियुक्त करने होंगे। वहीं, सुरक्षा में तैनात होने वाले पुलिस अधिकारियों को अपने साथ टियर गैस गन, रबर बुलेट, लाउड हेल और दंगा निरोधक उपकरण साथ रखने होंगे।