- एलबीएस प्रकरण में रूबी के खिलाफ दर्ज मुकदमें में खेल

- धोखाधड़ी व कूट रचित दस्तावेजों के दुरुपयोग लगी धारा

- षड्यंत्र के बाद भी हटाई गई षड्यंत्र की धारा 120-बी

DEHRADUN : फर्जी आईएएस प्रकरण में पुलिस पर सवालिया निशान लगाने के लिए उसकी कार्रवाई जिम्मेदार है, जिस तरह वह जांच कर रही है उससे साफ है कि मामले में अकादमी प्रशासन को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बात की तस्दीक रूबी चौधरी के खिलाफ दर्ज मुकदमा करता है। जिसमें उन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया गया है, जिससे रूबी की मुश्किलें तो बढ़ेगी लेकिन अकादमी प्रशासन साफ बच निकलेगा।

दोषियों को बचा रही पुलिस

दरअसल, मुजफ्फरनगर के कुटबी गांव निवासी रूबी चौधरी छह माह तक मसूरी स्थित प्रतिष्ठित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में रही। मामले में उसके खिलाफ फ्क् मार्च को मसूरी थाने में धोखाधड़ी व कूट रचित दस्तावेजों के प्रयोग करने की धाराओं के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया, लेकिन सवाल यह है कि क्या अकेले रूबी के लिए अकादमी में इतने लंबे समय तक रह पाना संभव था? वह भी तब जब वहां की सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी हो।

अकेले नहीं रचाया षड्यंत्र

ऐसे में साफ है कि रुबी को किसी का संरक्षण प्रदान था, जो षडयंत्र के तहत रूबी की मदद कर रहा था। एडवोकेट अजय कौशिक ने बताया कि एलबीएस में हुआ फर्जीवाड़ा एक षडयंत्र है। रूबी अकेले इस फर्जीवाड़े को अंजाम नहीं दे सकती थी। अब तक जितने भी सबूत मिले हैं वे भी षडयंत्र की तरफ इशारा कर रहे हैं, जिस कारण मामले में आईपीसी की धारा क्ख्0-बी भी लगाई जानी चाहिए, लेकिन ऐसा करने से पुलिस को षड्यंत्र में शामिल लोगों के नामों का भी खुलासा करना पड़ेगा। जिससे कुछ और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं, जो अकादमी प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।

----------

इन धाराओं में दर्ज है मुकदमा

ब्ख्0:- धोखाधड़ी

ब्म्7:- कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उसका प्रयोग करना

ब्म्8:- छह के प्रयोजन से कूटरचित दस्तावेज का तैयार कर उनका उपयोग करना

ब्7क्:- कूटरचित दस्तावेज का असली के रूप में प्रयोग करना

क्70:- लोक सेवक न होते हुए भी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर खुद को लोक सेवक साबित करना

----------

अकेले रूबी कैसे गुनहगार?

एडवोकेट अजय कौशिक ने बताया कि जितनी भी धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है उससे रूबी के अंगेस्ट हैं। आईपीसी की धारा ब्ख्0 धोखाधड़ी की है, इसी तरह ब्म्7 कूट रचित दस्तावेज तैयार करने से संबंधित है, जिसमें दस साल की सजा का प्रावधान है, ब्म्8 छल के प्रयोजन से कूटरचित दस्तावेजों का उपयोग करने के मामले में सात साल की सजा मिल सकती है, जबकि आईपीसी की धारा ब्7क् में तीन साल व क्70 में दो साल की सजा का प्रावधान है। सभी धाराएं रूबी को दोषी साबित कर रही है, जबकि कहानी का वह हिस्सा अभी तक अनसुलझा है जिसकी जांच की मांग की जा रही है। जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है यदि उनके तहत जांच जारी रही तो रूबी की ही मुश्किलें बढ़ेगी और असल दोषी बच निकलेंगे। यदि आईपीसी की धारा क्ख्0-बी के तहत जांच की जाती है तो पुलिस को षडयंत्र में शामिल लोगों के नाम भी खोलने पड़ेंगे, जिससे कई नए चेहरे बेनकाब होंगे।

-----------

षड्यंत्र साबित करते सबूत

:- एसडीएम के जिस फर्जी आईकार्ड के सहारे रूबी एलबीएस में आती जाती थी वह किसने और किस उद्देश्य से दिया।

:- रूबी के पास से बरामद एलबीएस की दो दर्जन से अधिक किताबें साबित करती है कि उसकी पैठ अकादमी के अंदर अच्छी थी, क्योंकि लाइब्रेरी की किताबें मात्र प्रशिक्षु आईएएस को दी जाती हैं।

:- रूबी ने अपने बयान में कई बार फर्जीवाड़े के लिए अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन का नाम लिया, जो बात किसी षडयंत्र की तरफ इशारा करती है।

:- रूबी ने राष्ट्रपति के साथ प्रशिक्षु आईएएस के साथ ग्रुप फोटो खिंचवाई है, जो साबित करती है कि रूबी की अकादमी में काफी चलती थी और उसे किसी अधिकारी का संरक्षण प्रदान था, जिसके दम पर वह फोटो खिंचवाने में सफल रही।

----------

मुझे दो दिन पूर्व ही इस मामले की जांच सौंपी गई है, जिस कारण अभी मैं केस की स्टडी कर रही हूं। फिलहाल, मैं इस यह बताने की स्थिति में नहीं हूं कि मामले में आईपीसी की धारा क्ख्0-बी बढ़ाई जाएगी या नहीं।

-ममता बोहरा, जांच अधिकारी