एक्सक्लूसिव
-एलईडी लाइट्स को नहीं मिल रहे खरीदार
-अब कंपनी खुद बेचेगी शहर में एलईडी लाइट्स
-शहर में स्टॉल से लेकर खोली जाएंगी शॉप
Meerut। ऊर्जा निगम की महत्वाकांक्षी एलईडी योजना को खरीदार ढ़ूढ़े नहीं मिल रहे। यही कारण है कि अब विभाग ने प्रोजेक्ट से हाथ खींचने का फैसला किया है। पीवीवीएनएल ने योजना से कंज्यूमर्स का मोह भंग होता देख एलईडी बेचने की जिम्मेदारी अब कंपनी के ऊपर ही डाल दी है।
70 लाख एलईडी बेचने का लक्ष्य
एनर्जी सेविंग को बढ़ावा देने के लिए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम छह माह पूर्व एलईडी का कॉंसेप्ट लाया था।
क्या था प्रोजेक्ट
कंज्यूमर्स के घरों में लगनी थी 7 और 9 वॉट की एलईडी।
7 वॉट की एलईडी का मूल्य था 80 रुपए
9 वॉट की एलईडी का मूल्य 90 रुपए
70 लाख का लक्ष्य
-पश्चिमांचल के 14 जनपदों में लगनी थी 70 लाख एलईडी।
-मेरठ में 7 लाख एलईडी बेचने का था लक्ष्य
-मेरठ में घरेलू बिजली उपभोक्ता 2.80 लाख
-पहले खेप में मेरठ जोन के लिए मंगवाई गईं 10 लाख एलईडी।
-मेरठ जोन में सिर्फ डेढ़ लाख एलईडी की खपत।
-मेरठ में हो सकी सिर्फ 60 हजार एलईडी की खपत।
ऐसे किया प्रचार
-बिजली घरों में काउंटर बनाए गए।
-मोबाइल वैन से प्रचार किया गया।
पीछे हटा विभाग
-लोगों का रेस्पांस न मिलने से विभाग ने एलईडी योजना से हाथ खींचे।
-एलईडी बेचने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी के ऊपर डाली गई।
-कंपनी के मुनाफे के लिए विभाग नहीं करेगा कर्मचारियों को एंगेज
सड़कों पर बिकेगी एलईडी
-अब कंपनी सड़कों, चौराहों और मॉल्स आदि के बाहर स्टॉल लगाकर एलईडी बेचेगी।
-इस दौरान लोगों को एलईडी खरीद के फायदे भी बताएं जाएंगे।
-बाजार में कंपनी सस्ती एलईडी की दुकानें भी खोल सकती है।
एलई्रडी को लेकर कंज्यूमर्स का उत्साह ठंडा पड़ा है। विभाग कंपनी के लाभ के लिए अपने कर्मचारियों को एंगेज नहीं रख सकता। इससे विभाग के काम प्रभावित होते हैं। अब एलईडी बेचने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होगी।
-आरके राणा, एसई अर्बन मेरठ