- अलर्ट हुआ वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट

-मेरठ में तेंदुए की लोकेशन को लेकर परेशान हैं अधिकारी

-सिटी से लगे जंगलों पर रखी जा रही है पैनी निगाह

-करीब दो साल पहले भी मथुरा में देखा गया था तेंदुआ

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AGRA। मेरठ में आतंक फैलाने के बाद तेंदुआ आगरा में आ सकता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट कह रहा है। तेंदुए की मौजूदा खबरों को लेकर फिलहाल मेरठ और आसपास के लोगों का दिन का चैन और रात की नींद उड़ी हुई है। वहीं, ताज नगरी में भी इस खूंखार वाइल्ड एनीमल को लेकर प्रशासनिक अमला अलर्ट हो गया है।

अलर्ट हो गया डिपार्टमेंट

ताज सिटी के पास लगे डेंस फोरेस्ट और उसके आसपास लोग ज्यादा अलर्ट हो गए हैं। खुद वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट ने तेंदुए की मूवमेंट को लेकर अपनी कमर कस ली है। डिपार्टमेंट के अधिकारी और कर्मचारी हर मूवमेंट पर पैनी निगाह रखे हुए हैं।

कीठम के रास्ते हो सकता है दाखिल

वाइल्ड लाइफ रेंजर एलएन उत्तम का कहना है कि मेरठ में तेंदुए की मौजूदगी की खबर ने उन्हें भी अलर्ट रहने पर मजबूर कर दिया है। तेंदुए के जंगलों में एंट्री से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसी के मद्देनजर जंगल और उसकी सीमा रेखा पर पैनी निगाह रखी जा रही है। वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट की कीठम रेंज की बात करें यहां रेंजर एलएन उत्तम के अलावा एक दर्जन कर्मचारी दिन-रात पैनी निगाह रखे हुए हैं। इनमें तीन वन दरोगा, करीब आधा दर्जन वन्यजीव रक्षक आदि कर्मचारी खासे अलर्ट हैं। दिन की ड्यूटी के साथ ही साथ रात के गश्त पर खासी चौकसी बरती जा रही है।

शिकार और जंगली ग्रीनरी

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट रेंजर एलएन उत्तम बताते हैं कि तेंदुए को जंगल की घनी ग्रीनरी खासी पसंद है। ग्रीनरी का अट्रैक्शन ही है कि तेंदुआ खुद को डेंस फोरेस्ट में घुसने में देर नहीं करता है। इसके अलावा तेंदुए शिकार की उपलब्धता पर भी खासा ध्यान देता है। जिन एरियाज में उसे शिकार के लिए जंगली जानवर मिलने की उम्मीद होती है, उस जगह को वह खुद के लिए मुफीद समझता है।

कटीले इलाकों से दूर रहता है तेंदुआ

हालांकि रेंजर एलएन उत्तम का कहना है कि अगर आगरा के जंगल में तेंदुआ आ भी गया, तो रुकेगा नहीं। तेंदुए का पैर बहुत सॉफ्ट होता है। आगरा के जंगलों में विलायती बबूल बहुत है। इसका कांटा तेंदुए के पैर को बुरी तरह से घायल कर देता है। लिहाजा, तेंदुए ऐसे जंगल से बाहर निकलने में ही खुद को सेफ समझता है। ये बात अलग है कि अगर आगरा के जंगल में तेंदुए ने एंट्री की और बबूल के कांटों से घायल होकर बाहर निकला, तो लोगों पर अपना झपट्टा मार सकता है।

पहले भी आ चुका है

बताते चलें कि पिछले करीब डेढ़ साल पहले भी आगरा के करीब टाइगर आ चुका है। तब यह टाइगर आगरा की सीमा के बहुत ही करीब आ गया था। मथुरा की सीमा में किसानों ने खेतों में इसे देखा था। तब इसे मोहन नाम दिया गया था। वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट की टीम ने तब बाकायदा मोहन के पदचिन्ह भी देखे थे। हालांकि मोहन ने मथुरा सीमा में किसी को हताहत नहीं किया था। खेतों और जंगलों के रास्ते मोहन मथुरा की सीमा से बाहर चला गया था।

'मेरठ में तेंदुए की खबरों पर निगाह है। आगरा के जंगल में भी दाखिल होने से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसीलिए हमने अपनी टीम को अलर्ट कर दिया है। सभी टीम मेम्बर दिन रात चौकसी बरत रहे हैं। हालांकि विलायती बबूल के कांटों के चलते वह जंगल में रुकता नहीं है। अगर आ भी गया तो जल्दी ही जंगल से निकलकर आगे बढ़ जाएगा.'

एलएन उत्तम, रेंजर वाइल्ड लाइफ