आई स्पेशल

-जंगल में की जाएगी सियारों की ब्रीडिंग

-तेंदुओं को जंगल में ही रोकने की योजना बना रही सरकार

-पहले भालुओं और बंदरों पर किया जा रहा है काम

DEHRADUN: किसी के घर का चिराग तेंदुआ उठा ले गया तो किसी की बेटी को गुलदार ने आंगन में नोंच डाला। अब सूबे की सरकार इस मुद्दे पर संजीदा हुई है। आखिर तेंदुए गांवों में आकर क्यों आदमखोर हो गए। इनसे गांव वालों को कैसे बचाया जाए। ये सवाल सरकार के दिमाग में कौंधी तो उस पर एक योजना बना डाली। योजना है कि तेंदुओं को शिकार जंगल में ही मुहैया करा दिया जाए। ताकि वे अपनी भूख मिटाने बस्ती में न दाखिल हों। सरकार ने योजना बनाई है कि अब जंगलों में तेंदुओं के शिकार की तादाद बढ़ाई जाए। इसके लिए सरकार ने जंगलों में गीदड़ों की संख्या बढ़ाए जाने के निर्देश दिए हैं। इस पर अब वन विभाग और वैज्ञानिकों को रिसर्च पर लगा दिया गया है।

गीदड़ों की बढ़ाई जाएगी संख्या

गुलदार के सबसे ज्यादा इंसानी शिकार पहाड़ों में हुए हैं। पहाड़ के गांवों में आए दिन गुलदार घरों में घात लगाकर हमला करते हैं और इंसानों का शिकार करते हैं। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। आईनेक्स्ट ने ऐसे कई मामले प्रकाशित किए हैं जिनमें दिखाया गया है कि किस कदर गुलदार ने इंसानों को अपना शिकार बना डाला।

सीएम का है आइडिया

शुक्रवार को बैठक में सीएम हरीश रावत ने निर्देश दिए कि जंगलों में बाघ और तेंदुओं के शिकार को बढ़ाया जाए ताकि वो इंसानी बस्तियों की ओर न बढ़े। सीएम ने बैठक में कहा कि गांवों में ये बड़ी समस्या बन गई है कि वहां इंसानों को जंगली जानवर उठा ले जा रहे हैं। इसके लिए कारगर योजना बनाई जानी चाहिए। सीएम हरीश रावत ने कहा कि गीदड़ और सियारों की संख्या बढ़ाकर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसलिए वैज्ञानिक तौर पर इस पर काम किया जाए।

सीएम ने जो फॉर्मूला दिया है वो काफी अच्छा है, लेकिन इसमें सभी विशेषज्ञों से मिलकर विचार करेंगे कि किस तरह सियारों और गीदड़ों की ब्रीडिंग कराई जाए।

श्रीकांत चंदोली, फॉर्मर प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट

इस पूरे प्रोजेक्ट पर ब्रॉड तरीके से काम करने की जरूरत है। सीएम ने जो सजेशन दिया है वो बेहद अच्छा है। लेकिन इंसान और एनीमल्स के बीच के संघर्ष को खत्म करना एक बड़ा चैलेंज है। इस पर योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा।

नरेंद्र कुमार, एक्स आईएफएस ऑफिसर