LUCKNOW(13 Jan): ठाकुरगंज के मिश्री बाग स्थित सेंट फ्रांसिस मूक बधिर स्कूल में एक तेंदुए के घुसने की खबर से राजधानी में हड़कंप मच गया। रिहायशी इलाके में तेंदुए की खबर शहर में जंगल की आग की तरह फैली। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन ने स्कूल को घेर लिया और वहां आने-जाने पर रोक लगा दी। दोपहर में पहुंची वन विभाग की टीम ने लगभग पांच घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला तेंदुए को ट्रंक्यूलाइज कर बेहोश किया। बेहोश हो जाने के बाद लगभग साढ़े छह बजे यह टीम तेंदुए को लेकर चिडिय़ाघर के लिए रवाना हो गई। इसे वापस जंगल में छोडऩे का विचार किया जा रहा है। तेंदुए को दुधवा या किसी अन्य जंगल में छोड़ा जा सकता है।

 

सबसे पहले प्रिंसिपल ने देखा

ठाकुरगंज जल निगम रोड के पास बनी कैटिल कॉलोनी के सेंट फ्रांसिस मूक बधिर विद्यालय में तेंदुआ सबसे पहले स्कूल प्रिंसिपल सिस्टर जोसिया ने देखा। उन्होंने बताया कि स्कूल बंद चल रहा है। स्कूल के अंदर ही हॉस्टल है, जहां मूक बधिर बच्चे और स्कूल स्टाफ भी रहता है। सुबह घना कोहरा छाया था। लगभग 10 बजे मेनगेट खोला और बाहर देखा। उसके बाद वह कैंपस में बनी फुलवारी के पास पहुंचीं। वहां उन्हें कैंपस के मुख्य मैदान में एक जानवर दिखाई दिया। पहले तो उन्हें कनफर्म नहीं हुआ कि यह तेंदुआ है। फिर प्रिंसिपल ने दो टीचर्स के साथ स्कूल में लगे सीसीटीवी में उसकी फुटेज देखी और पुलिस को खबर की।

 

दीवारों पर तेंदुए के फुट मार्क

लगभग 12।30 पर वन विभाग के कुछ कर्मचारी लाठी-डंडे के साथ कैंपस पहुंचे। आस-पास की दीवारों पर तेंदुए के फुट मार्क देखकर वन विभाग ने रेस्क्यू टीम को खबर की। दोपहर दो बजे रेस्क्यू टीम स्कूल पहुंची। टीम ने पहले तो उस जगह को देखा जहां तेंदुआ छिपा था।

 

छिपकर बैठा था

कॉलेज में सांस्कृतिक प्रोग्राम के आयोजन के लिए खुले मैदान में एक मंच बना है। इस मंच के नीचे बने बेसमेंट में ही तेंदुआ छिपा था। बेसमेंट में काफी सामान था और वहां रोशनी भी आसानी से नहीं पहुंच रही थी। ऐसे में डॉ। उत्कर्ष शुक्ला के नेतृत्व में पहुंची टीम ने आनन-फानन में एक गेट पर पिंजड़ा लगाया।

 

कमरे में फेंके पत्थर

उसके बाद कीपर कमाल ने दूसरी तरफ से दरवाजा खोलकर अंधेरे कमरे में पत्थर फेंका। पहली और दूसरी बार पत्थर फेंकने पर कोई रियेक्शन नहीं हुआ। लेकिन जैसे ही तीसरा पत्थर उछाला, वैसे ही तेंदुए ने दहाड़ कर कमाल की तरफ छलांग लगाई लेकिन दरवाजा बंद देखकर उसने दूसरी तरफ (जिधर पिंजरा लगा था) से भागने की कोशिश की लेकिन पिंजरे के अंदर नहीं गया।

 

झरोखे से भागने की कोशिश

मंच के सामने की तरफ दो झरोखे दिखाई पड़े जिसमें हाइलोजन डालकर देखने की कोशिश की गई लेकिन टीम को नाकामयाबी मिली। इसी बीच तेंदुआ एक झरोखे पर आ गया लेकिन उसका सिर्फ मुंह ही दिखाई दिया। इस दौरान झरोखे से बांस डालकर उसे धकेलने की कोशिश की गई, इससे उसके मुंह पर चोटे आई। गुस्साए तेंदुए ने झरोखे से भागने की कोशिश की और उसमें लगी दो सरिया भी निकाल दीं।

 

स्टेज की छत पर सुराग

इसके बाद जब तेंदुआ दिखाई नहीं दिया तो मंच की छत में सुराख करने के निर्देश दिए गए। पहले सुराख से कुछ दिखाई नहीं दिया तो दूसरा सुराख किया गया। इस सुराख से तेंदुआ साफ नजर आने लगा।

 

और मिल गई सफलता

तेंदुआ नजर आने पर डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने ट्रंक्यूलाइजिंग गन से उसके पिछले हिस्से पर डॉट मारी। डॉट लगने के बाद तेंदुआ इधर-उधर भागने लगा। उसके बेहोश हो जाने के बाद डॉ। उत्कर्ष शुक्ला, कीपर कमाल, मोनू, बबलू, आरिफ जाल लेकर अंदर पहुंचे और उसमें तेंदुए को जकड़ लिया। बेहोशी की हालत में उसे रेस्क्यू वैन में रखे पिंजड़े में डाला गया।

 

चिडिय़ाघर में उसे आबजर्वेशन के लिए कल से रखा जाएगा। अभी तो उस पर दवा का असर है। फिलहाल उसे जंगल में छोड़े जाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

डॉ। उत्कर्ष शुक्ल, वन्य जीव चिकित्सक और डिप्टी डायरेक्टर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान

 

शिकार की तलाश में पहुंचा

डॉ। उत्कर्ष शुक्ला ने बताया कि यह मेल तेंदुआ चार से पांच साल की उम्र का है। यह किसी शिकार की तलाश में रास्ता भटकते हुए यहां पहुंच गया। गोमती नदी के किनारे मौजूद जंगल से होते हुए वह यहां आया। स्कूल कैंपस में सन्नाटा देख कर वह यहां मंच के नीचे बने बेसमेंट में छिप गया।

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