- अगस्त 2015 में देखी गई थी आखिरी बार मादा गुलदार

- मादा गुलदार को खोजने के लिए बढ़ाए गए कैमरे

HARIDWAR: राजाजी टाइगर रिजर्व के रसियाबड़ रेंज से लापता हुई मादा गुलदार का चार माह बाद पता नहीं चला। गुलदार न मिलने से वन विभाग के अधिकारी ¨चतित हैं, गुलदार को न खोज पाना भी वन विभाग का कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है। उधर वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व का दावा है कि मादा गुलदार घूमते हुए पड़ोसी राज्य के जंगल में चली गई है, लेकिन वन विभाग उत्तर प्रदेश से अभी तक कोई सपंर्क नहीं साधा गया है।

शावकों के साथ नहीं गुलदार

वर्ष ख्0क्फ् की वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक चीला रेंज में गुलदारों की संख्या पंद्रह है, जबकि रानीपुर रेंज में दो गुलदार है। इनमें तीन मादा गुलदार है। इनमें से एक मादा अपने तीन शावकों के साथ अक्सर घूमती दिखाई देती थी, लेकिन अगस्त ख्0क्भ् से मादा गुलदार लापता है। जबकि मादा गुलदार के शावक रेंज में घूमते दिखाई पड़ रहे हैं। गुलदार के लापता होने पर वन विभाग के अधिकारियों ने रेंज में सुरक्षा के मद्देनजर लगे पांच कैमरों में लगी चिप को कंप्यूटर के माध्यम से देखा, लेकिन मादा गुलदार का पता नहीं चल पाया है।

बढ़ाए गए कैमरे

अगस्त ख्0क्भ् से अब तक कैमरों की मदद से मादा गुलदार की आवाजाही तो कैद नहीं हुई पर उसके तीन शावकों की गतिविधियां लगातार कैद हो रही हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कैमरों की संख्या को अब पांच से बढ़ाकर पचास कर दिया गया। परंतु अभी भी गुमशुदा मादा गुलदार का पता नहीं चल पाया। इतनी व्यवस्थाओं के बावजूद मादा गुलदार का पता न चलना वन विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न खड़ा कर रहा है। हरिद्वार वन विभाग के अधिकारियों की माने तो लगभग साढ़े चार वर्ष की मादा गुलदार अपने तीच् बच्चों दो मादा व एक नर के साथ चीला क्षेत्र से शयामपुर रेंज एंव वहां से रसियाबड़ क्षेत्र तथा वहां से उत्तर प्रदेश के जंगल में कहीं चली गई है।

शिकार की जताई आशंका

वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि मादा गुलदार का अपने शावकों को छोड़कर जाना आशचर्यजनक है। विशेषज्ञों का दावा है कि रसियाबड़ और शयामपुर रेंज, बावरिया समुदाय का बाहुल्य क्षेत्र है। मादा गुलदार का शिकार उसकी बेशकिमती खाल के लिए किया गया है। वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखण्ड में लगभग म्0 प्रतिशत वन्य जीवों से संबंधित अपराधों में इन्हीं की संलिप्ता को पाया गया है। बावरिया समुदाय के लोग गुलदार के खानदानी शिकारी के रूप में जाने जाते हैं।

'उत्तराखंड वन विभाग की ओर से अभी तक कोई भी पत्राचार हमारे कार्यालय को प्राप्त नहीं हुआ है। हमें ऐसी किसी घटना के बारे में जानकारी भी नहीं है.'

- पीके राघव, वन प्रभागीय अधिकारी, नजीबाबाद, उत्तर प्रदेश

'हमें पूरा विश्वास है कि मादा गुलदार समीपवर्ती प्रदेश के जंगलों में कहीं चली गई है। विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश के वन विभाग से इस गंभीर विषय पर संपर्क साधा जा रहा है.'

- वीना सेकरी, मुख्य वन संरक्षक, उत्तराखंड