Slow है response time
पुलिस रिफार्म पर सुझाव देने के लिए बनाई गई सराफ कमिटी ने किसी घटना के बाद पुलिस के मौके पर पहुंचने के लिए मैक्सिमम रिस्पॉंस टाइम पांच मिनट रखने का सजेशन दिया था, पर झारखंड के लिए इन सुझावों का कोई मतलब नजर नहीं आता। 2010 में किए गए एक ऑडिट के अनुसार स्टेट में पुलिस का रिस्पांस टाइम 234 मिनट है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार किसी वारदात की जानकारी मिलने के बाद करीब 166 मिनट पुलिस को अपना मुवमेंट स्टार्ट करने में लग जाता है। बात अगर ईस्ट सिंहभूम की करें, तो रिपोर्ट के अनुसार यहां पुलिस का एवरेज रिस्पांस टाइम 196 मिनट और एवरेज रिएक्शन टाइम 118 मिनट है।

Rural areas में होती है देर
पुलिस रिस्पांस टाइम में इस देरी के लिए एसएसपी रिचर्ड लकड़ा नक्सल अफेक्टेड एरियाज में पुलिस द्वारा कार्रवाई करने में लगने वाले टाइम को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर सिटी में पुलिस का रिस्पांस टाइम काफी कम है पर नक्सल प्रभावित इलाकों में लगने वाले समय के हिसाब से औसत निकालने पर रिस्पांस टाइम में इजाफा हो जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से रिस्पांस टाइम इंप्रूवमेंट हुआ है। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी के बावजूद बेहतर पर्सोनेल मैनेजमेंट से रिस्पांस टाइम में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने रिर्सोसेज के बेहतर यूटिलाइजेशन से सिचुएशन में इंप्रूवमेंट लाने की बात कही।

Movement करें तो कैसे?
पुलिस के रिस्पांस टाइम में इस डीले की कई वजह हो सकती है, पर उसकी एक बड़ी वजह मूवमेंट के लिए व्हीकल्स की कमी है। स्टेट में सिविल पुलिस और आम्र्ड पुलिस की कुल संख्या 42578 है, वहीं इतने पुलिसकर्मियों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए व्हीकल्स हैं महज 5658. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के आंकड़ों के मुताबिक स्टेट में प्रति 100 पुलिसकर्मियों पर एक जनवरी 2012 को 8.33 ट्रांसपोर्ट रिसोर्स मौजूद थे। ट्रांसपोर्ट सपोर्ट की यह कमी अक्सर पुलिस के मूवमेंट पर असर डालती है।


1000motorcycles खरीदे जाने की तैयारी
एनसीआरबी के डाटा के अनुसार स्टेट पुलिस के पास 2012 के दौरान 1707 मोटरसाइकल थे, पर जल्द ही इस संख्या को बढ़ाए जाने की तैयारी की जा रही है। डीजीपी राजीव कुमार ने बताया कि पुलिस के ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था को सुधारने के लिए एक हजार मोटरसाइकल खरीदे जा रहे हैं।

Wireless equipments की है कमी
पुलिस के रिस्पांस टाइम में सुधार के लिए कम्यूनिकेशन के साधनों का भी बेहतर होना जरूरी है, पर नक्सल प्रभावित राज्य होने के बावजूद स्टेट पुलिस के पास गुजरात, हरियाणा, केरला, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की पुलिस की तुलना में कम वायरलेस इक्वीपमेंट्स है। स्टेट पुलिस के पास हाई फ्रिक्वेंसी, वेरी हाई फ्रिक्वेंसी, वॉकी टॉकी और दूसरे वायरलेस इक्वीपमेंट्स की संख्या 10773 है, वहीं गुजरात में इसकी संख्या 21610 और हरियाणा में 20636 है।

पुलिस के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट सपोर्ट अवेलेवल करने की तैयारी की जा रही है। पुलिस के लिए 1 हजार मोटरसाइकल खरीदे जा रहे हैं।
-राजीव कुमार, डीजीपी, झारखंड


नक्सल अफेक्टेड एरियाज में रिस्पांस टाइम ज्यादा होता है। सिटी में रिस्पांस टाइम ठीक है। रिर्सोसेज के बेहतर यूटिलाइजेशन से स्थिति में और सुधार लाया जाएगा।
-रिचर्ड लकड़ा, एसएसपी, ईस्ट सिंहभूम