-बोली ओलंपियन, एशियाड गोल्ड मेडलिस्ट और अर्जुन अवार्डी शाइनी विल्सन अब्राहम

-सिटी के एक स्कूल के स्पो‌र्ट्स मीट में आई थी शिरकत करने

-सभी गेम को मिले बराबर तवज्जो, स्कूल में दें गेम को बढ़ावा

GORAKHPUR: एथलेटिक्स की किस्मत ही खराब है। कभी इस गेम में सुविधा नहीं थी, जिसके कारण मेडल कम आए। आज जब सुविधा मिल रही है तो खिलाडि़यों में मेडल जीतने का जज्बा कम हो गया है। अब खिलाड़ी देश से अधिक अपने लिए खेलते हैं। यही वजह है कि जॉब मिलते ही अधिकांश खिलाडि़यों का स्पो‌र्ट्स फ्यूचर खत्म हो जाता है। यह बात ओलंपियन, एशियाड गोल्ड मेडलिस्ट और अर्जुन अवार्डी एथलीट शाइनी विल्सन अब्राहम ने कही। ओलंपियन एथलीट शाइनी विल्सन एक स्कूल के प्रोग्राम में शिरकत करने सिटी आई थी। उन्होंने अपने बिजी शेड्यूल से कुछ टाइम निकाल कर खेल से जुड़ी कुछ बातों को आई नेक्स्ट से शेयर किया।

एथलेटिक्स को गरीबों का खेल कहा जाता है?

-ये बात बिल्कुल सही है। सभी गेम की अपेक्षा एथलेटिक्स को लोग कम तवज्जो देते हैं। जबकि अगर खिलाड़ी में टैलेंट हो और सुविधा दी जाए तो देश को सबसे अधिक मेडल इसी गेम में मिल सकता है।

इंडिया में इस वक्त अच्छे एथलीट की कमी है। क्यों?

-एथलेटिक्स में मेहनत बहुत है, मगर सम्मान अन्य गेम की अपेक्षा कम है। बाकी गेम के खिलाडि़यों को लोग जल्दी पहचान पा जाते हैं। मगर एथलीट को मेडल जीतने के बावजूद अपनी पहचान बनाने में समय लग जाता है। इसलिए इस गेम में असली टैलेंट नहीं आता।

80 से 90 के दशक में एथलेटिक्स का समय बहुत अच्छा था। क्यों?

-80 से 90 के दशक में सुविधा की कमी थी। मगर खिलाडि़यों में मेडल जीतने का जज्बा था। उस दशक में मैं, पीटी ऊषा, वंदना राव और एमबी वर्षा के बीच मेडल जीतने का इतना अधिक जज्बा था कि एक दूसरे के बीच होड़ मची रहती थी। ये होड़ सिर्फ कॉम्प्टीशन में नहीं बल्कि प्रैक्टिस के दौरान भी रहती थी।

ऐसा नहीं लगता कि इस टाइम खिलाड़ी मेडल के लिए नहीं बल्कि जॉब के लिए प्रैक्टिस कर रहे हैं?

-ये बात सही है। अब अधिकांश खिलाड़ी सिर्फ जॉब के लिए खेल में पसीना बहाते हैं। जैसे जॉब मिली, उनका खेल में करियर खत्म हो जाता है।

अक्सर खिलाड़ी कहते हैं कि शादी के बाद करियर खत्म हो जाता है। क्या ऐसा है?

-नहीं। बिल्कुल नहीं। जो ऐसा कहते हैं वे सिर्फ बहाना करते हैं और उनमें मेडल जीतने का जज्बा नहीं होता। क्99क् में मैंने एशियन गेम्स में 800 मीटर में गोल्ड मेडल और ब्00 मीटर में सिल्वर मेडल जीता था। जबकि उस टाइम मेरी शादी भी हो चुकी थी और उसी साल बेटी ने जन्म लिया था।

देश को अधिक से अधिक मेडल मिले। क्या करना चाहिए?

-देश को मेडल अधिक मिले, इसके लिए बेसिक मजबूत करना होगा। मतलब स्कूल में खेल को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए ट्रेंड कोच के साथ बच्चों में मेडल जीतने का जज्बा पैदा करना होगा।