पारा बढऩे के साथ ही पेट की बीमारियां जानलेवा हो गई हैं। रोजाना दो या चार नहीं, बल्कि दस लोगों की मौत हो रही है। यानी हर ढाई घंटे में एक मौत। अप्रैल की 620 लोगों की मौत हुई है, जिसमें 300 लोग पेट की बीमारियों के कारण मौत के शिकार हुए हैं। शहर के सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में लीवर इंफेक्शन और डायरिया के मरीजों की भरमार है और दिन पर दिन आंकड़ा ऊपर की ओर जा रहा है।

स्वाद के शिकार
बासी और खराब खाना पेट की बीमारियों को जन्म दे रहा है। टेंप्रेचर बढऩे के साथ ही बाहर के खाने पर लगाम लगनी चाहिए। मगर लोग बाजार में मिल रहे खाने, कटे फल, बासी जूस का सेवन कर रहे हैं और यही उन्हें बीमार भी बना रहे हैं।

बच्चों में डायरिया
मौसम के बदलने के साथ अस्पतालों में उल्टी, दस्त, डायरिया, टाइफाइड और लंबे बुखार के मरीज आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में हर रोज करीब 100 बच्चे इन्हीं बीमारियों का शिकार होकर पहुंच रहे हैं। प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में भी ऐसी ही हालत है। यहां आने वाले कुल बच्चों में से 40 प्रतिशत बच्चे इन्हीं बीमारियों से पीडि़त है। अस्पतालों के वार्ड डायरिया और उल्टी-दस्त के शिकार मरीजों से भरे हुए हैं।

बड़े भी हैं शिकार
डायरिया सिर्फ बच्चों को ही अपनी चपेट में नहीं ले रहा है। डायरिया और लीवर इंफेक्शन का शिकार बड़े भी तेजी से हो रहे हैं। बाजार में मिलने वाला खुला और बासी खाना, खराब पानी इसकी मेन वजह है। जरा सी लापरवाही लोगों को इस बीमारी की चपेट में ले रही है। सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों में सबसे ज्यादा तादात इसी बीमारी की है।

ये हैं कारण
-बाहर का अनहाइजिनिक खाना
-बासी खाना
-बाजार में मिलने वाले कटे हुए फल
-गंदा पानी पीना
-देर तक रखे हुए जूस का सेवन करना
-गंदगी में बिकने वाला खाना

कैसे करें बचाव
-घर का खाना खाएं
-अगर पानी गंदा आता है तो उबला हुआ पानी ही इस्तेमाल करें।
-बासी खाने का सेवन न करें।
-बाजार में मिलने वाले कटे फल, फलों की चाट आदि न खाएं।
-जूस पीते समय इस बात का ध्यान रखें कि दुकानदार आपको बासी जूस न दे।


इस समय डायरिया और टाइफाइड के मरीज अस्पताल में बहुत ज्यादा आ रहे हैं। खाने में अगर लापरवाही न हो तो इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
- डॉ। अमित उपाध्याय, पिडियाट्रिक्स


शहर में 60 प्रतिशत मौतों की जानकारी हमें होती है। इन दिनों अधिकांश मौतें पेट की बीमारियों की वजह से हो रही हैैं।
- राजमणि मिश्र
मैनेजर, गंगा मोटर कमेटी