आइए जानें सावित्री के बारे में

बस्तर जैसे खतरनाक इलाके में सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक रेलवे ट्रैक की निगरानी करती हैं सावित्री नाग यादव। बता दें कि सावित्री भारतीय रेल में खलासी के पद पर तैनात हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उनका काम बेहद खतरनाक है। इसके बावजूद ऐसे सभी खतरों को सावित्री हवा में उड़ाती हुईं अपने काम को पूरे लगन और जांबाजी के साथ करती हैं।

सात किलोमीटर लंबे ट्रैक की करती हैं रखवाली

रोजाना सुबह सावित्री रेलवे ट्रैक पर पहुंच जाती हैं। इस 7 किलोमीटर लंबे ट्रैक की रखवाली करना उनकी जिम्मेदारी है। उनका काम है ये देखना कि रेल को जोड़ने वाले मेटल पीस जगह पर हैं या नहीं। फिशप्लेट्स सही हैं या नहीं। नट बोल्ट से लेकर ट्रैक की हर चीज दुरुस्त है या नहीं। इन सभी चीजों पर अपनी पैनी नजर बनाए रखना उनकी ही जिम्म्ोदारी है और अपनी जिम्मेदारी को वह सालों से बखूबी निभाती आ रही हैं।

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सावित्री बताती हैं

एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में सावित्री ने बताया कि उनको ये नौकरी उनके पिता की मृत्यु के बाद मिली। अपनी इस नौकरी के बारे में वह कहती हैं कि शुरू-शुरू में उनको बेहद अजीब लगता था। फील्ड पर सभी आदमियों के बीच काम करना उनको बेहद अटपटा भी लगता था। फिर कुछ दिनों बाद ये आदत में शुमार हो गया।

नक्‍सलियों के गढ़ में रेलवे ट्रैक की हिफाजत करती हैं सावित्री

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भूल गईं सारा डर

सावित्री जिस सात किलोमीटर लंबे ट्रैक की रखवाली करती हैं वह गीदम से कुलनूर तक जाता है। इस ट्रैक पर काम करने वाली वह अकेली महिला हैं। सावित्री कहती हैं कि सारा दिन खड़े होकर काम करने में उनको काफी दिक्कत आती थी। इसके बावजूद उन्होंने अपने कर्म के आगे सारे दर्दों और डर को नजरअंदाज कर दिया।

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यहां है जंगली जानवरों का भी डर

ट्रैक के बारे मे वह बताती हैं कि इसपर पूरे दिन में कम से कम दो दर्जन पैसेंजर ट्रेनें और माल गाड़ियां होकर गुजरती हैं। ये सभी ट्रेनें ट्रैक से सही सलामत पास हो जाएं, इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से सावित्री की ही है। वैसे बता दें कि सावित्री को यहां पर अपने काम के दौरान सिर्फ नक्सलियों का डर नहीं है। इनके अलावा यहां जंगली जानवरों का खतरा भी पूरी तरह से बना हुआ है। इसके बावजूद सावित्री इन सभी डरों का कोई डर नहीं है।

Image Courtesy : Hindustan Times

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