- ग्रीन कॉरिडोर से 25 मिनट में केजीएमयू से अमौसी एयरपोर्ट तक पुलिस और डॉक्टर्स ने पहुंचाया लीवर

- बिनीता के लीवर से एक को जिंदगी, कार्निया से दो की जिंदगी में होगा उजाला

- लीवर दिल्ली ले जाने के लिए लखनऊ में बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर

<- ग्रीन कॉरिडोर से ख्भ् मिनट में केजीएमयू से अमौसी एयरपोर्ट तक पुलिस और डॉक्टर्स ने पहुंचाया लीवर

- बिनीता के लीवर से एक को जिंदगी, कार्निया से दो की जिंदगी में होगा उजाला

- लीवर दिल्ली ले जाने के लिए लखनऊ में बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर

LUCKNOW:lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: लखनऊ पुलिस और केजीएमयू के डॉक्टर्स ने मिलकर बुधवार को एक नया इतिहास रच दिया। केजीएमयू के डॉक्टर्स ने शताब्दी अस्पताल से ब्रेन डेड पेशेंट का लीवर निकाला और पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर चंद मिनटों में एयरपोर्ट तक पहुंचा दिया। जहां से एयर एंबुलेंस द्वारा लीवर को दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेज में एक मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया।

ख्8 किमी की दूरी ख्भ् मिनट में

केजीएमयू के शताब्दी हॉस्पिटल से अमौसी एयरपोर्ट तक की दूरी ख्8 किलोमीटर है। यहां पहुंचने में आमतौर पर एक घंटे से अधिक समय लगता है, लेकिन पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर तैयार करके सिर्फ ख्ब् मिनट में ही एयरपोर्ट पहुंचा दिया। एंबुलेंस शताब्दी अस्पताल से शाम ब्.ख्8 पर निकली और ख्ब् मिनट बाद एयरपोर्ट पहुंच गई। जहां से एयर एंबुलेंस द्वारा लीवर को छह बजे आईएलबीएस पहुंचा दिया गया।

किडनी की पेशेंट थीं बिनीता

कानपुर देहात के नवोदय विद्यालय में टीचर तौर पर कार्यरत बिनीता सक्सेना को किडनी की प्रॉब्लम थी। लगभग भ्भ् वर्षीय बिनीता का इलाज दिल्ली स्थित अस्पताल में चल रहा था। दो माह पहले ही उनकी किडनी खराब होने की जानकारी मिली थी और जल्द ही किडनी का ट्रांसप्लांट करने की योजना थी। लेकिन, शुक्रवार को लखनऊ में त्रिवेणीनगर स्थित उनके घर में उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई। सांस की तकलीफ के बाद उन्हें एक निजी नर्सिग होम में भर्ती कराया गया जहां लगभग 7ख् घंटे बाद डॉक्टर्स ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। जिसके बाद स्वास्थ्य भवन में कार्यरत उनके भाई डॉ। आलोक सक्सेना ने उनके ऑर्गन डोनेट करने की इच्छा जताई। इसके बाद केजीएमयू के डॉक्टर्स को जानकारी दी गई और उन्हें शताब्दी हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। उनकी कॉर्निया भी डोनेट की गई हैं जिनसे केजीएमयू में दो लोगों की जिंदगी में उजाला हो सकेगा।

ग्रीन कॉरिडोर रूट

रूट मैप से केजीएमयू से एयरपोर्ट की दूरी ख्8 किमी

ग्रीन कॉरीडोर बनाने के लिए केजीएमयू से हजरतगंज, राजभवन, अहिमामऊ और शहीदपथ होते हुए एयरपोर्ट ले जाने का रूट मैप तैयार किया। हर चेक प्वाइंट और चौराहों पर दो-दो पुलिसकर्मियों की तैनाती थी। एंबुलेंस के आगे एक इंटरसेप्टर ट्रैफिक को क्लीनियर कर रहा था।

एसजीपीजीआई ने किया इनकार

लीवर के लिए केजीएमयू प्रशासन ने पहले एसजीपीजीआई से संपर्क किया लेकिन पीजीआई प्रशासन ने तुरंत ट्रांसप्लांट करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद केजीएमयू के डॉ। अभिजीत चंद्रा ने दिल्ली स्थित आईएलबीएस से संपर्क किया। इसके बाद ब्रेनडेड बिनीता की लीवर और कॉर्निया दोनों ही डोनेट की गई हैं। कॉर्निया केजीएमयू में ही दो मरीजों को लगाई जाएगी।

म् घंटे में ट्रांसप्लांट जरूरी

लीवर निकालने के बाद आर्गन प्रिजर्व कर रखे जाने वाले एक बैग में रखा गया। लीवर निकालने के छह घंटे के अंदर उसका ट्रांसप्लांट होना जरूरी है। इसलिए इधर निकाल कर उसे जल्द से जल्द दिल्ली पहुंचाना जरूरी था। वहां पर डॉक्टर्स ने पहले से ही मरीज को ट्रांसप्लांट की तैयारियां शुरू कर दी थी। लीवर को लेकर केजीएमयू के गैस्ट्रो सर्जन डॉ। अभिजीत चंद्रा ओर डॉ। विवेक गुप्ता दोनों साथ गए हैं। जो वहां ट्रांसप्लांट की टीम में शामिल होंगे।

क्या है ग्रीन कॉरीडोर

-ग्रीन कॉरीडोर मानव अंग को एक निश्चित समय के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए बनाया जाता है। इमरजेंसी में मरीज को इलाज की जरूरत हो तभी यह बनाया जाता है। इसमें पुलिस उस पूरे रूट को खाली कराता है जिसमें से एंबुलेंस को गुजरना होता है। एंबुलेंस के आगे पुलिस चलती है ताकि कहीं भी स्पीड में ब्रेक न लगे। इसीलिए प्रासेस को ग्रीन कारिडोर कहते हैं।

पहले भी बनाया ग्रीन कॉरिडोर

केजीएमयू के ऑर्गन ट्रांसप्लांट टीम के डॉ। मनमीत सिंह के मुताबिक अगस्त ख्0क्भ् में एक मरीज प्रमोद साहनी जिसका ब्रेन मृत घोषित हो चुका था। उसके किडनी एसजीपीजीआई में और लीवर दिल्ली में प्रत्यारोपित होना था। जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। उसका कॉर्निया, किडनी और लीवर दिल्ली में एक मरीज को प्रत्यर्पित किया जाना था। यह केजीएमयू का चौथा ऐसा केस है जब यहां के मानव अंगों को लखनऊ से बाहर ट्रांसप्लांट के लिए भेजा गया है।

आप भी ले सकते हैं कॉरिडोर

एसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन ने बताया कि मरीज का जीवन बचाने के लिए न केवल संस्थान, बल्कि आम आदमी भी ग्रीन कॉरीडोर की मदद ले सकता है। इसके लिए शर्त है कि दो घंटे पूर्व एसपी ट्रैफिक को सूचना देनी होगी, ताकि तैयारी की जा सके। इसके लिए एसपी ट्रैफिक के नंबर 9ब्भ्ब्ब्0क्08भ् पर संपर्क कर सकते हैं।

केजीएमयू ब्.ख्म् श्चद्व

हजरतगंज-ब्.फ्म् श्चद्व

अहमामऊ शहीद पथ: ब्:ब्ख्श्चद्व

एयरपोर्ट-ब्.भ्क् श्चद्व

दिल्ली अस्पताल : भ्: भ्म्श्चद्व