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ट्रेने प्रतिदिन एनसीआर के स्टेशनो से प्रतिदिन बनकर निकलती हैं
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ट्रेनो प्रयागराज और कानपुर-दिल्ली शताब्दी में ही लगते हैं एलएचबी कोच
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एलएचबी केाच ही लग सकते हैं किसी एक ट्रेन में
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सामान्य कोच लग जाते हैं किसी भी ट्रेन में
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ट्रेनो में एलएचबी कोच के लिए भेजी जा चुकी है रेलवे बोर्ड को डिमांड
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साल लगेंगे सभी ट्रेनो में एलएचबी कोच लगाने में
जन हानि रोकने में बेहद यूजफुल साबित हो रहे एलएचबी कोच
कैफियात और उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटना में दिखा कोच का फर्क
अब रेलवे सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने की कर रहा तैयारी
ALLAHABAD: कंडीशन आलमोस्ट सेम थी और एक्सीडेंट का स्तर भी। इसके बाद भी उत्कल एक्सप्रेस के करीब दो दर्जन यात्रियों को जान गंवानी पड़ गई और कैफियात एक्सप्रेस के यात्री अकाल मौत से बच गए। कैफियात के दुर्घटना का शिकार होने से घायल होने वालों की संख्या भी उत्कल से कम थी। इस स्थिति से सबक लेते हुए अब सभी ट्रेनो में एलएचबी कोच लगाने की तैयारी कर रहा है ताकि ट्रेनों की दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों के जान-माल का नुकसान कम से कम हो।
एनसीआर के पीआओ अमित मालवीय बताते हैं कि एनसीआर के स्टेशनो से ओरिजिनेट होने वाले कुल 36 जोड़ी ट्रेनों में से अभी दो में ही एलएचबी कोच लग रहे हैं। एक इलाहाबाद से चलने वाली प्रयाग राज एक्सप्रेस और दूसरी कानपुर से खुलने वाली दूरंतो एक्सप्रेस। इलाहाबाद-दिल्ली दूरंतो, मथुरा जयपुर एक्सप्रेस और हरिद्वार एक्सप्रेस ट्रेनों को सीबीसी कपलिंग से संचालित किया गया रहा है। इन ट्रेनों के साथ कानपुर की तीन अन्य ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने की डिमांड की जा चुकी है। इस फाइनेंशियल इयर में दूरंतो और श्रमशक्ति एक्सप्रेस में इन कोच को लगाने की मंजूरी आ जाने की संभावना है। उन्होंने बताया कि सभी ट्रेनो में यह कोच लगाने में दस साल लग जाएंगे।
एलएचबी कोच की खासियत
एलएचबी कोच इंडियन रेलवे में पहली बार साल 1999 में शामिल किया गया
कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में एलएचबी कोच बनाए जाते हैं, जो सिक्योरिटी के साथ आराम देते हैं
दुर्घटना की स्थिति में ये कोच कम क्षतिग्रस्त होते हैं और पैसेंजर्स के सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाती है
राजधानी, शताब्दी और दूरंतो जैसी ट्रेनों में एलएचबी कोच ही लगाए गए हैं
कोच में बर्थ की कैपेसिटी ज्यादा होती है इसलिए किसी भी ट्रेन में इसके मैक्समम 22 कोच ही लग सकते हैं
आईएफसी कोच के ड्रा बैक
इंटीग्रल कोच सामान्य होता है। इसमें सफर करने के दौरान कोच में कंपन ज्यादा होती है
ट्रेन की स्पीड बढ़ने पर कोच में शोर बढ़ जाता है
इन कोच में अंदर बर्थ की संख्या कम होती है
एक ट्रेन में इसके मैक्सिमम 24 कोच लग सकते हैं
एक्सीडेंट होने की स्थिति में कोच एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं
इससे जान-माल को नुकसान ज्यादा होता है
कैफियात एक्सप्रेस में एलएचबी कोच लगे होने से यात्रियों की जान नहीं गई। डिब्बों के बीच में सीबीसी लगा होने के कारण वे एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़े। कोच की इस खासियत के चलते सभी ट्रेनो में एलएचबी कोच लगाने की तैयारी की जा रही है।
गौरव कृष्ण बंसल
सीपीआरओ, एनसीआर