सुबह छह बजे अलार्म बजने के साथ ही शुरू होती है जिंदगी. जॉगिंग, ब्रेकफास्ट, ऑफिस की तैयारी, ट्रैफिक, दिनभर का बिजी शेड्यूल और फिर वापस घर, है ना बोरिंग लाइफ...लेकिन ठहरिए, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो आपसे एग्री नहीं करते हैं. वे अपने बिजी शेड्यूल से ही लाइफ एंज्वॉय करने के  मौके निकाल लेते हैं.

जो है उसे एंज्वॉय करो...

ट्रेन छूटने का अफसोस, डेडलाइन मिस करने या फिर इंडिया के मैच हार जाने का अफसोस. क्या एक दिन ऐसा नहीं हो सकता जो बगैर अफसोस के गुजर जाए. अब सोशल सेक्टर से जुड़े एक एनजीओ में सीनियर मैनेजर महेश वर्मा के साथ हुए इस वाकए को ही लीजिए. महेश को अपने एक कलीग के साथ एक ऑफीशियल मीटिंग हैदराबाद में ज्वॉइन करनी थी. ट्रेन झांसी से पकडऩी थी. पता चला कि टिकट कंफर्म नहीं हुई है. उन दोनों के पास सिर्फ अफसोस था क्योंकि मीटिंग इम्पॉर्टेंट थी. बहरहाल महेश ने अफसोस नहीं जताया, ‘हमने झांसी से लौटने के बजाय भोपाल की शॉर्ट ट्रिप का प्लान बना डाला. भोपाल हमारे लिए नया शहर था. हमने वहां की ढेरों पिक्स लीं. वहां की लोकल डिशेज एंज्वॉय कीं. भोपाल हमारे लिए एक सरप्राइज गिफ्ट बन गया. अब हम मीटिंग मिस होने का अफसोस नहीं जता रहे थे.’

Tip:
परेशान होने की हजारों वजहें हैं तो खुश होने की भी कम वजहें नहीं. आसपास नजर दौड़ाइए कोई न कोई आइडिया क्लिक होगा ही.

Relax

क्या आपके साथ ऐसा होता है...

  • केस 1: आपका ऑफिस पांचवी या नौंवी मंजिल पर  है, और जिस लिफ्ट में आप हैं वह हर फ्लोर पर रुकती हुई जा रही है. आप खुद को कोसते हैं कि दूसरी लिफ्ट से जल्दी पहुंच जाते.
  • केस 2: मूवी टिकट लेते वक्त आप खुद तो लाइन में लगते ही हैं, टिकट जल्दी मिलने की उम्मीद में दूसरी रो में फ्रेंड को भी खड़ा कर देते हैं.


Tip: दोनों ही केसेज में आप मुश्किल से एक-या दो मिनट ही बचा पाते हैं. क्या एक या दो मिनट बचाने के लिए पांच या दस मिनट तक स्ट्रेस में रहने की जरूरत है? क्यों न हम लिफ्ट या रो में कूल रहें, लिफ्ट राइड को एंज्वॉय करें.

क्या करते हैं वीकली ऑफ पर
दिल्ली की एक मल्टीनेशन कम्पनी में जॉब कर रहे दिलीप पांडे को अपने बेडरूम को अरेंज करने का वक्त भी नहीं मिलता था. वह अपने हर छोटे-छोटे काम को वीक ऑफ के लिए टाल देते थे. वह कहते हैं, ‘एक बार तो वीक ऑफ  पर मैंने अपने वॉर्डरोब के सारे कपड़े बाहर निकाल दिए, उधर किचन का भी बुरा हाल था. किचन और कमरे को समेटते पूरा दिन निकल गया. मैं वीक ऑफ को रोज से भी ज्यादा थक गया. हफ्ते भर की थकान जो थी सो अलग.’

Tip: अब दिलीप ने एक रास्ता निकाल लिया है, वह बताते हैं, ‘वो वीक ऑफ मेरे लिए सीख थी. अब मैं हर छोटे काम रोज के रोज सिर्फ इसलिए निपटा लेता हूं ताकि वीक ऑफ को मैं एकदम फ्री रहूं.’.


Alok Bajpaiजरा रूटीन को ब्रेक करिए

  • साइकोलॉजिस्ट्स कहते हैं कि रूटीन बे्रक करके भी आप फ्रेश फील कर सकते हैं...
  • उगते सूरज को देखें या फिर सुबह जल्द उठकर पार्क टहलने जाएं.
  • सुबह उठकर व्यायाम कर सकते हैं. ओम का उच्चारण करें, इससे माइंड फ्रेश होता है और पॉजीटिव एनर्जी जेनरेट होती है.
  • अपनी फैमली के साथ सुबह का नाश्ता करें.
  • ऑफिस जाने का आप रास्ता चेंज कर
  • सकते हैं.
  • कमरे में पड़े बेड और टेबल की जगह को चेंज कर सकते हैं. इससे आपको काफी अच्छा फील होगा.


डॉ. आलोक बाजपेई, साइकोलॉजिस्ट