-डिफाल्टर बिल्डर्स पर सख्त कार्रवाई करेगा एमडीए

आई एक्सक्लूसिव

- एलआईजी न बनाने पर होगी सख्त कार्रवाई

- एफडीआर होंगे जब्त, बंधक प्लॉट होंगे नीलाम

Meerut। मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) ने डिफाल्टर बिल्डर्स पर कार्रवाई का फैसला लिया है। एमडीए अब ऐसे बिल्डर्स पर नकेल कसेगा, जो मानकों के अनुपालन में न केवल कोताही बरतते हैं, बल्कि नियमानुसार दुर्बल आय वर्ग के लोगों के लिए भवन निर्माण में भी लापरवाही दिखाते हैं।

क्या है नियम

दरअसल, नई टाउनशिप या आवासीय कॉलोनी बनाते समय बिल्डर्स को कुल भवनों का 10 प्रतिशत हिस्सा दुर्बल और अल्प आय वर्ग के लोगों के लिए रिजर्व रखना होता है। जिसके अंतर्गत प्रोजेक्ट में प्रस्तावित भवनों के अलावा एलआईजी और ईडब्ल्यूएस भवनों का निर्माण भी किया जाना तय है। एमडीए इसके लिए बिल्डर्स से एलआईजी भवनों की कीमत की एफडीआर या फिर कुछ प्लॉट अपने यहां बंधक रखता है।

नहीं बनाए जाते भवन

ये बड़े बिल्डर्स एलआईजी और ईडब्लूएस भवनों के लिए रिजर्व भूमि का अपने हित में इस्तेमाल करते हैं। मोटे मुनाफे के फेर में ये बिल्डर्स न केवल नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हैं, बल्कि रिजर्व भूमि पर अपने कमर्शियल फ्लैट खड़े कर लेते हैं। ऐसे में इन बिल्डर्स द्वारा एमडीए व अर्बन हाउसिंग एक्ट का खुला मजाक बनाया जाता है। गरीब लाभार्थियों को उनके हिस्से के मकान मयस्सर नहीं हो पाते हैं।

नीलाम होंगे प्लॉट

शासन से आए नए फरमान के अनुसार अब ऐसे बिल्डर्स की मनमानी करना टेढ़ी खीर साबित होगी। शासनादेश के अंतर्गत एमडीए को ये सख्त निर्देश दिए गए हैं कि शहर में मानकों का उल्लंघन करने वाले बिल्डर्स की न केवल सूची तैयार की जाए, बल्कि उन पर सख्त कार्रवाई भी की जाए। चीफ इंजीनियर शबीह हैदर ने बताया कि एमडीए अब ऐसे बिल्डर्स की न केवल एफडीआर जब्त करेगा, बल्कि बंधक बनाए गए प्लॉट को भी नीलाम करेगा।

गरीबों के बनेंगे आशियाने

चीफ इंजीनियर ने बताया कि डिफॉल्टर बिल्डर्स से जब्त एफडीआर व बंधक प्लॉटों से जो धनराशि एमडीए के पास आएगी । उस धनराशि से दुर्बल आय व अल्प आय वर्ग के लोगों के लिए भवन बनाए जाएंगे।

किसी भी टाउनशिप व कॉलोनी में एलआईजी व ईडब्लूएस भवनों का कोटा आरक्षित होता है। ऐसे में नियमानुसार इन भवनों का निर्माण किया जाना तय होता है। जिन लोगों ने नियम का पालन नहीं किया है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-शबीह हैदर, चीफ इंजीनियर एमडीए