-सिंचाई मंत्री के आदेश पर प्रमुख सचिव ने की कार्रवाई

-कमेटी ने जांच में पाई गड़बड़ी, नियमों के विरुद्ध हुए कार्य

BAREILLY :

लीलौर झील के जीर्णोद्धार में अनियमितता पाए जाने पर सिंचाई विभाग के एक अधिशासी अभियन्ता और तीन सहायक अभियंता पर गाज गिरी है। सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के आदेश पर प्रमुख सचिव सिचाई सुरेश चन्द्रा ने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की है। प्रमुख सचिव ने बताया कि कमेटी ने निर्माण कार्य में गड़बड़ी पाई है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही दोषियों पर कार्रवाई की गई है।

सपा शासन में हुए कार्य

सिंचाई के निर्देश पर सपा के शासन काल में सिंचाई विभाग द्वारा किए गए कार्यो की जांच के लिए चीफ इंजीनियर लेवल की कमेटी बनाई गई। जिसमें एके सिंह और विनय कुमार राठी थे। कमेटी ने विभाग के कराए कायरें की जांच की। जांच में सिल्ट के कैरीज का रेट अधिक पाया गया। इसके अलावा अनुबंधों में डिवॉटरिंग का कार्य अनावश्यक पाया गया। झील सिल्ट नहीं निकाली गयी।

29 हिस्सो में बांटे 8 करोड़

8 करोड़ रुपए के कायरें को 29 हिस्सों में बांटकर अनुबन्ध किया गया था। वहीं झील में पानी जाने के रास्ते तक नहीं बनाए गए। इन अनियमितताओं के लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया गया। अधीक्षण अभियन्ता काजिम अली, जीवनराम यादव, राम बहादुर यादव, अधिशासी अभियन्ता सिंचाई खंड राकेश कुमार, कौशल किशोर, आशीष रंजन, प्रदीप कुमार सक्सेना, हरीशचन्द्र वर्मा के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए आरोप पत्र दिए गए। वहीं, अधिशासी अभियंता राम बहादुर यादव और तीन सहायक अभियन्ताओं राकेश कुमार, कौशल किशोर और आशीष रंजन को सस्पेंड कर दिया गया है।

6 जेई भी सस्पेंड

सचिव ने बताया कि प्रदीप कुमार सक्सेना और हरिशचन्द्र वर्मा रिटायर्ड हो चुके हैं। इसलिए, इनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। इसके अलावा राम कुमार, अरविन्द कुमार और दीपक कुमार समेत छह जेई को सस्पेंड करते हुए सभी अवर अभियन्ताओं के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने के निर्देश प्रमुख अभियंता सिंचाई विभाग को दिए हैं। इसके अलावा एरच बांध परियोजना में धांधली करने पर तत्कालीन चीफ इंजीनियर विनय कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। साथ ही तत्कालीन अधिशासी अभियंता आलोक सिंहा को भी निलंबित किया गया है।