45 प्रतिशत पहुंचा लाइन लॉस

सर्दियों में इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन के सामने लाइन लॉस एक बड़ी प्रॉब्लम बन गया है। अमूमन 35 प्रतिशत रहने वाला लाइन लॉस इन दिनों करीब 45 प्रतिशत तक पहुंच गया है। एक जेई का कहना है कि अगर तार ढीले न होते और तारों का जाल नहीं बना होता तो बिजली कटौती 1 घंटा से 2 घंटा कम हो सकती थी। एसडीओ गोलघर चंद्रशेखर चौरसिया का कहना है कि वेदर के हिसाब से लाइन लॉस घटता-बढ़ता रहता है। दस दिन पहले दो दिन लगातार हुई बारिश और 26 जनवरी के बाद अचानक टेंप्रेेचर में आई गिरावट ने लाइन लॉस को 50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया।

ठंड बढ़ते ही बढऩे लगे लोकल फॉल्ट

ठंड के मौसम में सिटी में लोकल फॉल्ट और ट्रांसफार्मर जलने की संख्या बढ़ गई है। 5 जनवरी को तारामंडल एरिया, 6 जनवरी को मानस विहार कॉलोनी रुस्तमपुर, 9 जनवरी को राजेंद्र नगर और इंदिरा नगर में ट्रांसफार्मर जल गया, जिसके कारण लगभग 12 से 16 घंटे तक बिजली गुल रही। वहीं 6, 8 और 13 जनवरी को राप्तीनगर, 7 जनवरी को ट्रांसपोर्ट नगर, 10 जनवरी को डीबी इंटर कॉलेज के पीछे दीवान बाजार, शाहपुर गीता वाटिका के पीछे, मोहद्दीपुर, 11 जनवरी को उंचवा एरिया में लोकल फॉल्ट के कारण करीब 7 से 8 घंटे बिजली गुल रही। मकर संक्रांति के दिन तो सब सही रहा, लेकिन उसके बाद रुस्तमपुर और महेवा में शाम को बिजली गुल हो गई। राजेंद्र नगर में 18 को और पादरी बाजार में 19 जनवरी को ट्रांसफार्मर जल गया जिसके कारण इन इलाकों में 15 घंटों से अधिक देर तक अंधेरा छाया रहा।

क्या है लाइन लॉस

इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन से डिस्ट्रीब्यूशन तक तार में जो बिजली खर्च हो जाती है, उसे लाइन लॉस कहते हैं। सबसे ज्यादा लाइन लॉस पोल्स पर शॉर्ट सर्किट होने की वजह से होता है।

वेदर के हिसाब से लाइन लॉस होता है, ठंड में लाइन लॉस अचानक बढ़ जाता है। अक्सर नमी के कारण लोकल फॉल्ट भी होने लगते हैं।

एसपी पांडेय, एसई महानगर विद्युत वितरण निगम