- वीमेन वॉयलेंस के चार परसेंट मामलों में ही मिलता है डिजीजन

-'वॉयलेंस अगेंस्ट वीमेन: इश्यूज एंड चैलेंजेज' पर वर्कशॉप

PATNA: कोख से कब्र तक महिलाएं हिंसा से ग्रसित हैं, पर सोशल एटीट्यूड ऐसा रहा है कि बेसिक चेंजेज अभी तक नहीं हो पाया है। इसके लिए एटीट्यूडनल चेंज की जरूरत है। एक तरफ हम महिला को देवी मानते हैं, तो दूसरी ओर इनह्यूमन बिहेवियर से देखा जाता है। यह बातें पीयू के प्रो। डेजी नारायण ने सेंटर फॉर व‌र्ल्ड सॉलिडेरिटी की ओर से 'वॉयलेंस अगेंस्ट वीमेन: इश्यूज एंड चैलेंजेज' सब्जेक्ट पर आयोजित एक वर्कशॉप में कहीं। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि आज भी बिहार में म्8 परसेंट ग‌र्ल्स की मैरेज क्8 साल से कम की एज में कर दी जाती है। एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में ऑर्गनाइज इस वर्कशॉप में स्टेट भर के कई वीमेन ऑर्गनाइजेशन के मेंबर्स शामिल हुए।

हर जगह हो रहा है शोषण

माइनॉरिटी कमीशन की चेयरपर्सन डॉ सुधा वर्गीस ने वीमेन की करेंट स्टेटस का जिक्र करते हुए कहा कि स्टेट में महिलाओं का कई प्रकार से शोषण हो रहा है। इसमें तेजी आई है। कानून के बावजूद इसमें कोई खास चेंज नहीं हुआ है। कई चीजें प्रैक्टिकल लेवल पर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सोशल स्ट्रक्चर का भी काफी दोष है। पैट्रियारकल सोसाइटी में वीमेन को इक्वल राइट कभी नहीं मिला। इस सोशल स्ट्रक्चर के दायरे को अब महिलाओं को ही तोड़ना होगा।

लीगल प्रॉसेस में सुधार जरूरी

एक्शन ऐड के रीजनल मैनेजर विनय ओहदार ने कहा कि वीमेन वायलेंस के मामले में केवल ब् परसेंट पर ही डिसीजन मिल पाता है, बाकी कानूनी प्रक्रिया में समय बीतते रहता है, इसलिए अब बदलाव की जरूरत है। उन्होंने आमिर खान के एक टीवी शो सत्यमेव जयते का जिक्र करते हुए कहा कि न्याय समय पर और पूरा-पूरा न मिले, तो कोई मतलब नहीं रह जाता है। रेप विक्टिम को हर प्रकार की फैसिलिटी एक जगह और जल्दी मिलनी चाहिए। इस मौके पर बिहार सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के सेकेटरी रंजीत पुनहानी भी मौजूद थे।