- ऑनलाइन व्यवस्थाओं के बावजूद सरकारी महकमों में लगी रहती है लाइन

- रेलवे स्टेशन, हॉस्पिटल, बिजली विभाग, आरटीओ समेत कई विभागों में रोजाना लगती है लाइन

LUCKNOW: रेलवे स्टेशन पर टिकटों के लिए तो बिजली ऑफिस में बिल जमा करने के लिए लंबी लाइन देखने को मिल जाती है। इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में पर्चे की लाइन कभी खत्म नहीं होती। आजादी के 71 वर्ष बाद भी लाइन लगाने का रिवाज खत्म नहीं हो रहा है। मामला सिर्फ लाइन तक सीमित नहीं है। दिक्कत तो तब बढ़ जाती है जब घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी समस्या जस की तस बनी रहती है और लोगों को दूसरे दिन फिर लाइन में खड़ा होना पड़ता है। सरकारी महकमों के जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई तो उनके पास भी इसका जवाब नहीं था कि आखिर यह लाइन कब खत्म होगी

लाइन के बावजूद निराश लौटना पड़ता

चारबाग रेलवे स्टेशन हो या लखनऊ जंक्शन, दोनों ही जगह टिकट काउंटर्स के बाहर लंबी लाइनें देखी जा सकती हैं। रिजर्वेशन काउंटर पर लंबी लाइन लगाने के बाद भी लोगों को निराश ही लौटना पड़ता है। लंबी वेटिंग के चलते लोगों को सीटें नहीं मिल पाती हैं। राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन से रोजाना 60 हजार से अधिक लोगों का आना-जाना है। वहीं लखनऊ जंक्शन से रोजाना 35 हजार से अधिक यात्रियों का आना जाना है। चारबाग रेलवे स्टेशन से 10 हजार तो लखनऊ जंक्शन से 6 हजार से अधिक सामान्य श्रेणी के टिकटों की सेल रोजाना होती है।

कोट

यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशनों पर टिकट वेडिंग मशीनें लगाई गई है, लेकिन इनका प्रयोग करने वाले यात्रियों की संख्या कम है। जैसे-जैसे लोग इनका प्रयोग करेंगे, टिकट के लिए लगने वाली लाइन कम हो जाएगी। पहले की तुलना में वैसे भी लाइनें कम हो गई हैं।

सतीश कुमार

डीआरएम, एनआर

पब्लिक का कोट

स्टेशन पर वेडिंग मशीनों की संख्या बढ़ानी चाहिए। इससे भीड़ कम होगी। साथ ही राजधानी में जनरल टिकटों की सेल के लिए लगने वाले काउंटर के साथ ही रिजर्वेशन के लिए भी अलग से काउंटर बढ़ाए जाएं। वहीं ऑनलाइन सुविधा का लोग अभी प्रयोग कम कर रहे हैं।

अभिषेक मिश्र

लो अब सर्वर बैठ गया

राजधानी के विद्युत उपकेंद्रों पर भी लंबी लाइन देखने को मिलती है। बिजली का कनेक्शन लेना हो या फिर बिल जमा करना हो, इसके लिए घंटों लग जाते हैं। बिल जमा करने के लिए घंटों लाइन में खड़े लोगों को कई बार वापस लौटना पड़ता है। लाइन में खड़े होने के बाद जब लोग काउंटर पर पहुंचते हैं तो कहा जाता है कि सर्वर बैठ गया है। ऐसे में लोगों को बिल जमा करने के लिए कई-कई चक्कर लगाने होते हैं। घर का बिजली का मीटर बिगड़ जाये या फिर किसी केबल लाइन में फाल्ट आ जाय तो फिर तो विद्युत उपकेंद्र के इतने चक्कर लगाने पड़ते है कि लोग थक-हार कर बैठ जाते हैं।

कोट

कनेक्शन लेने के लिए आवेदन करना हो या फिर बिल जमा करना हो, सभी सुविधाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं। बिल जमा करने वालों की लाइन तेजी से घट रही है। विद्युत की समस्या के लिए भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं। लोग इन पर कंप्लेन कर सकते हैं। इन पर तुरंत एक्शन लिया जाता है।

संजय गोयल

एमडी, मध्यांचल

पब्लिक से बातचीत

बिजली का कनेक्शन लेना हो तो लाइनमैन से लेकर अधिकारी तक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। बिल जमा करने के लिए नेट पर बैठिए या लाइन लगाइये, पता चलता है कि सर्वर काम नहीं कर रहा है। उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन को अभी कई सुधार करने होंगे।

बबलू

ऑफिस के चक्कर लगाने को मजबूर

आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस जमा करना हो या फिर गाड़ी की फिटनेस करानी हो दोनों के लिए लंबी लाइन लगती है। यह हाल तब है जब यहां पर लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार होते हैं। ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी जब आवेदक ऑफिस पहुंचते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि आपकी डिटेल अभी नहीं आ पाई है। ऐसे में एक-एक आवेदक को कई बार आरटीओ ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं। आरटीओ ऑफिस में व्यवस्था ना होने के कारण रोजाना 150 लोगों का दो पहिया और 35 लोगों का चार पहिया टेस्ट ही हो पाता है। अन्य लोगों को अगले दिन आने के लिए कहा जाता है। ऐसे में यहां पर लाइन खत्म नहीं होती है। आरटीओ ऑफिस से रोजाना 300 से अधिक लोगों को लाइसेंस जारी किया जाता है।

कोट

लाइसेंस के साथ ही कई व्यवस्थाओं को ऑनलाइन किया जा चुका है। अब लोगों को लाइसेंस के लिए दलाल के पास जाने की जरूरत नहीं होती है। ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने से लोगों को खासी राहत मिली है।

राघवेन्द्र सिंह

एआरटीओ प्रशासन

पब्लिक से बातचीत

आरटीओ ऑफिस में कभी कोई भी काम दलाल के बिना पूरा नहीं हो सकता है। यहां पर लगने वाली लाइन ऑनलाइन व्यवस्था के बाद भी खत्म नहीं हो पाई। इसके लिए राजधानी में आरटीओ ऑफिस के कई अन्य शाखाएं खोली जानी चाहिए।

अजीत

आये दिन होता है विवाद

राजधानी के बस अड्डों पर भी यात्री टिकट के लिए लाइन लगाने को मजबूर हैं। टिकट विंडो की कमी के चलते यहां पर सामान्य ही नहीं बल्कि वातानुकूलित बसों में भी टिकट के लिए लाइन लगी रहती है। आलमबाग बस टर्मिनल, चारबाग और कैसरबाग बस अड्डे पर आए दिन इस लाइन के चक्कर में कई बार विवाद भी होते हैं।

कोट

सुनील वाली खबर का

हॉस्पिटल में लगने वाली लाइन तभी खत्म होगी जब राजधानी में अस्पतालों की संख्या बढ़े। राजधानी के सभी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है, ऐसे में मरीजों को और भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल यह है कि एक मरीज सुबह आठ बजे पर्चा बनवाता है और डॉक्टर उसे 12 बजे देखते हैं।

भगवती प्रसाद