- रामादेवी में टीएसआई ने कार में पकड़ी हरियाणा की शराब

- होली में डिमाण्ड बढ़ने से सक्रिय हुए शराब माफिया

- सरकार को करोड़ों की चपत, माफिया कमा रहे मोटा मुनाफा

- वाइन शॉप वाले भी चोरी छुपे खरीदते हैं हरियाणा और राजस्थान से आई स्मगलिंग की शराब

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KANPUR। परिवहन विभाग की हीलाहवाली का फायदा उठाते हुए शराब माफियाओं ने तस्करी के लिए बसों को अपना हथियार बना लिया है। सिटी में आने वाली बसों में जमकर शराब तस्करी हो रही है। हाल ही में किदवई नगर डिपो में एक बस में शराब पकड़ी गई। होली के सीजन के चलते माफिया बड़ी मात्रा में शराब तस्करी कर सिटी में लाने में लगे हैं। ये शराब सिटी में चोरी छुपे और वाइन शॉप्स में बेची जा रही है। लगेज को लोड करने में परिवहन विभाग की बसों में लापरवाही बरती जाती है। जिसका फायदा इन तस्करों को मिल रहा है। वहीं, कुछ माफिया लग्जरी कारों में छिपाकर से भी शराब की पेटियां सिटी में ला रहे हैं। जिससे सरकार को करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है।

वाहन चेकिंग के दौरान पकड़ा

रामादेवी में वेडनेसडे को ट्रैफिक पुलिस ने वाहन चेकिंग के दौरान हरियाणा की शराब पकड़ी। सूचना पर आबकारी टीम ने मौके पर पहुंचकर आरोपियों से पूछताछ कर शराब की पेटियों को कब्जे में ले लिया है। एसओ ने बताया कि रामादेवी पर टीएसआई शिव बालक की ड्यूटी थी। उन्होंने शक होने पर जाजमऊ की ओर से आ रही सैंट्रो कार को रोका, तो कार सवार युवक उनसे भिड़ गए। जिससे उनका शक और पुख्ता हो गया। जिसके बाद उन्होंने कार की तलाशी ली, तो उससे हरियाणा की शराब बरामद हुई। जिसके बाद वह आरोपियों को थाने ले गए। जहां आबकारी टीम ने उनसे पूछताछ की। जिसमें उनकी पहचान झांसी के जितेंद्र सिंह यादव और इरशाद के रूप में हुई। उन्होंने बताया कि वे फेस्टिवल में वे शराब की तस्करी करते हैं। हरियाणा में टैक्स कम होने से शराब की बोतल की कीमत आधी होती है। जिसके चलते वे वहां से शराब खरीदकर यहां सप्लाई करते है। इसमें उनको मोटी कमाई होती है।

क्यों गिरा राजस्व शासन का?

आबकारी विभाग के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वर्ष ख्0क्ख्-क्फ् के मार्च माह में भ्,फ्फ्,000 बोतलों की शराब बिक्री हुई थी। जबकि इस वर्ष के फरवरी माह में म्,ख्फ्,000 बोतलों की शराब बिक्री हुई थी। जबकि एक साल पहले, यानी वर्ष ख्0क्क्-क्ख् के मार्च माह में 7,भ्ख्,000 बोतलों की शराब बिक्री हुई थी। वहीं फरवरी माह में म्,फ्फ्,000 बोतलों की शराब बिक्री हुई थी। पिछले वर्ष शराब बिक्री के घटने के पीछे महंगाई व तस्करी की शराब बड़ी वजह मानी जा रही है। वहीं इस वर्ष फरवरी माह में 9,ब्8,09भ् बोतल की शराब बिक्री हुई है।

ख्80 रुपये लगती है ड्यूटी

शराब की एक फुल बोतल पर ख्80 रुपये की ड्यूटी आबकारी विभाग वसूलता है। जिसे बचाने के लिए शराब की तस्करी की जाती है। इससे सरकारी खजाने में लाखों रुपये का चूना लगता है। चोरी-छिपे ये शराब बेची जाती है।

बोतल क्वांटिटी

फुल 7भ्0 एमएल

हाफ भ्7भ् एमएल

क्वार्टर क्80 एमएल

बच्चा म्0 एमएल

हरियाणा, राजस्थान व नेपाल से आती है शराब

शहर की गली और मोहल्लों में घरों से बिकने वाली शराब की पेटियां हरियाणा, नेपाल, राजस्थान, गुड़गांव, चण्डीगढ़ से लाया जाता है। इसमें एक्साइज डयूटी की चोरी का खेल होता है। चेकिंग प्वाइंट पर सेटिंग बनाकर शराब लाई जाती है। प्राइवेट लग्जरी गाडि़यों के साथ-साथ अब बसों के ड्राइवर, कंडक्टरों को सेट करके बसों के माध्यम से भी बड़ी मात्रा में शराब सिटी के अंदर लाई जा रही है।

मार्केट से आधे रेट पर

देश के हर राज्य में अलग-अलग एक्साइज ड्यूटी होने से शराब की कीमत भी अलग अलग है। ड्यूटी कम होने की वजह से अन्य राज्यों में शराब यूपी के मुकाबले आधे रेट पर बिकती है। सिटी में इन राज्यों से तस्करी कर लाई गई शराब काफी सस्ती है इसलिए लोग इसका यूज करते हैं। इससे वाइन शॉप, मॉडल शॉप और बार के मालिकों को काफी घाटा हो रहा है। वहीं यूपी में शराब की दुकानों पर मिल रही बॉटलों में जमकर मिलावट की शिकायतें भी आती रहती हैं। कई बार शराब में मिलावट के कारखाने पकड़े भी गए। स्मगलिंग शराब सस्ते के साथ ही क्वालिटी में बेहतर होने की भी सोच लोगों में है।

फिफ्टी-फिफ्टी होता है मुनाफा

इस अवैध धंधे की मोटी कमाई के चलते करीब तीन दर्जन से अधिक गैंग सक्रिय हैं। जिसमें कई सफेदपोश कारोबारी भी शामिल है। वे इसमें फाइनेंसर की भूमिका निभाते हैं। इसके एवज में वे माल बिकते ही अपना हिस्सा ले लेते हैं। इस गोरखधंधे में जुड़े लोगों को मार्केट से आधे रेट में शराब की पेटियां मिल जाती हैं। जिसे ये मार्केट से ख्भ् फीसदी कम रेट पर वाइन शॉप और मॉडल शॉप में बेचते हैं। जिससे उनको और शॉप मालिक को ख्भ्-ख्भ् प्रतिशत का मुनाफा हो जाता है।

इन इलाकों में बिकती है अवैध शराब

शहर में ज्यादातर इलाकों में हरियाणा की शराब बिकने लगी है, लेकिन गुमटी नम्बर भ्, दर्शनपुरवा, बिरहाना रोड, पटकापुर, हूलागंज, शिवाला, शास्त्रीनगर, गोविन्दनगर, विकास नगर, घंटाघर, रेलबाजार, लाल बंग्ला से सबसे ज्यादा हरियाणा की शराब की सप्लाई होती है। इसके अलावा शहर से सटे ग्रामीण इलाकों और होटल्स में हरियाणा की शराब धड़ल्ले से बिक रही है।

तो आसान क्यों न हो तस्करी

बसों से आसानी से कोई भी सामान एक जिले से दूसरे जिले पहुंचाया जा सकता है। उसके लिए आपको कोई रसीद नहीं लेनी होती है। आप केवल बस ड्राइवर और कंडक्टर की जेब गरम कर दीजिए.ऐसा कहते हैं धंधेबाज। अगर आप सामान के साथ खुद नहीं जाना चाहते हैं, तो वो भी सुविधा बस कंडक्टर और ड्राइवर मुहैया करा देते हैं। बशर्ते उसके लिए आपको थोड़ा ज्यादा जेब ढीली करनी होती है। परिवहन विभाग भी इसकी अनदेखी करता रहता है। इसका फायदा उठा कर शराब माफियाओं ने बसों को तस्करी का बड़ा जरिया बना लिया है।

पकड़ी जा चुकी है शराब

- किदवई नगर डिपो से एआरएम ने छापा मारकर क्ख् बोतल तस्करी की शराब बरामद की। इसमें उन्होंने ड्राइवर और कंडक्टर को बर्खास्त करने की कार्रवाई की थी।

- तीन महीने पहले आबकारी टीम ने गोरखपुर में छापा मारकर कानपुर की बस से तस्करी की शराब पकड़ी।

- अप्रैल क्फ् को बरेली में भी बस से तस्करी की शराब पकड़ी गई।

- बसों के अलावा कारों व ट्रेन में भी शराब की पेटियां मिल चुकी हैं।

ये हैं नियम

- बसों से जाने वाले लगेज की लगेज रजिस्टर में इंट्री होनी चाहिए।

- कामर्शियल यूस के लगेज के चार्जेस का भुगतान करना होता है।

- एक क्विटंल के लगेज का एक पैसेंजर के बराबर चार्ज लगता है।

- क्वांटिटी कम होने पर उसी अनुपात में चार्ज भी कम हो जाता है।

- लगेज के साथ उसके ओनर का होना जरुरी है।

- लगेज हमेशा बस अड्डे से ही लोड किया जाएगा।

वर्जन:

बसों में रूटीन चेकिंग बढ़ा दी गई है। बसों में निगरानी रखी जाएगी। परिवहन विभाग सतर्क है। किसी तरह का गलत काम नहीं होने दिया जाएगा।

- अंकुर, एआरएम