-वित्तीय वर्ष के 15 दिन गुजरे, चुनाव के बाद का भरोसा
-अब तक 617 दुकानों में से 307 दुकान ही हो पाई सेल आउट
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- 2650 करोड़ रेवेन्यू टारगेट था पिछले वर्ष
- 3180 करोड़ रेवेन्यू टारगेट है इस वर्ष
- 619 दुकानें हैं शराब और बीयर की सूबे में
- 248 ठेके इनमें से देशी शराब के
- 364 ठेके अंग्रेजी शराब के
-7 दुकानें बीयर की
-307 दुकानें ही हो पाई हैं अब तक सेलआउट
देहरादून, नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हुए एक पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन स्टेट की 310 शराब की दुकानें अभी तक सेलआउट नहीं हो पाई हैं. दुकानों का आवंटन न हो पाने के कारण शासन ने अपनी फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व की व्यवस्था कायम रखते हुए जिला आबकारी अधिकारियों व डीएम पर सब कुछ छोड़ दिया है. आबकारी निदेशालय की ओर से दावा किया गया था कि एक हफ्ते के भीतर सभी दुकानों का आवंटन कर दिया जाएगा, ये मियाद गुजर चुकी है, लेकिन दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया है.
लोकसभा चुनाव का बहाना
लोकसभा चुनाव के बीच पहले ही नए वित्तीय वर्ष के लिए राज्य में शराब की दुकानों के आवंटन प्रक्रिया पर असमंजस बना हुआ था. डिपार्टमेंट ने दुकानों के आवंटन को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग से परमिशन ली तो आवंटन प्रक्रिया भी शुरू हो पाई. इसके लिए डिपार्टमेंट की ओर से लास्ट ईयर की तरह ई-टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू की गई. दो फेज में शुरू हुई ई-टेंडरिंग के पहले फेज के तहत 20 फरवरी को टेंडर हुए. दूसरा फेज 27 मार्च को पूरा हो पाया. आबकारी डिपार्टमेंट के ज्वाइंट कमीश्नर टीके पंत का कहना है कि जिला आबकारी अधिकारियों के चुनाव ड्यूटी में होने के कारण शराब की दुकानों के आवंटन में तेजी नहीं आ पाई. अब चुनाव बाद इसमें तेजी देखने को मिलेगी. दावा किया गया है इस माह के आखिरी तक करीब 500 दुकानों का आवंटन हो जाएगा. लेकिन जानकार बताते हैं कि जिस रफ्तार से शराब से जुड़े कारोबारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं, दुकानों के आवंटन में पसीने छूट सकते हैं, जबकि नगर निगम क्षेत्रों में रात्रि दुकानों के खुले रहने का वक्त भी रात 11 बजे तक बढ़ा दिया गया है.
प्वाइंटर्स
जिलेवार रेवेन्यू टारगेट
डिस्ट्रिक्ट--2018-19--2019-20
नैनीताल--224--259
ऊमधसिंनगर--173--224
अल्मोड़ा--92--134
बागेश्वर--34--49
चंपावत---44--47
पिथौरागढ़--57--81
हरिद्वार--310--362
देहरादून--437--561
टिहरी--68--113
पौड़ी--86--129
उत्तरकाशी--34--50
रुद्रप्रयाग--32--48
चमोली--51--78
पिछले वर्ष 180 करोड़ ज्यादा रेवेन्यू
पिछले फाइनेंशियल ईयर में शराब की दुकानों से रेवेन्यू का टारगेट 2650 करोड़ रुपए रखा गया था. जबकि आबकारी डिपार्टमेंट ने 2830 करोड़ रुपए रेवेन्यू हासिल किया. निर्धारित टारगेट के एवज में 180 करोड़ रुपए ज्यादा रेवेन्यू सरकार को मिला था.
माफिया दबाव बनाने के मूड में
इस बार आबकारी नीति में कुछ बदलाव किए गए. इसके तहत मुनाफे में चल रही दुकानों को वही लाइसेंसधारक कुछ अधिक शुल्क जमा कर फिर से हासिल कर सकते हैं. जबकि बाकी दुकानों के लिए एक निश्चित आधार कीमत तय की गई और उस पर बोली लगाकर लेने का प्रावधान किया गया. फिलहाल मुनाफे में चल रही दुकानें तो आवंटित हो गई, लेकिन बाकी दुकानों के आवंटन न होने से विभाग की मुसीबतें बनी हुई हैं. माना जा रहा है कि शराब माफिया इन दुकानों को तय कीमत पर नहीं उठा रहे हैं, जिससे सरकार पर दबाव बने और दुकानों की कीमत कम करनी पड़े. आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव आनंद वर्द्धन का कहना है कि फिलहाल दुकानों का आवंटन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जा रहा है. दुकानों को तय कीमत से कम पर आवंटन की कोई योजना नहीं है. कुछ दुकानों के बोली न लगने पर उन्हें बंद भी रखा जा सकता है.