1. भंवर लाल रघुनाथ दोषी :-

प्लॉस्टिक की ट्रेड़िंग से करोड़ों रुपये की दौलत इकठ्ठा करने वाले भारतीय बिजनेसमैन भंवरलाल रघुनाथ दोषी 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति दान कर चुके हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति मठवासी जीवन को बढ़ावा देने के लिए दान की है। भंवरलाल के दो बेटों और एक बेटी है। बताते हैं कि भंवरलाल 1982 से ही जैन धर्म की दीक्षा लेना चाहते थे लेकिन उनके परिवार ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। हालांकि अब वह गुजरात में आयोजित दीक्षांत समारोह में दीक्षा ले चुके हैं।

करोड़ों की दौलत छोड़ संन्यासी बने यह चार बिजनेसमैन

2. ल्यू जिंगचोंग :-

चीन में मैन्युफैक्चरिंग एंड टेक्सटाइल कंपनी के सीईओ ल्यू जिंगचोंग की गिनती अमीरों में होती थी। 39 साल के ल्यू के पास काफी दौलत थी। एक बार ल्यू का कार एक्सीडेंट हो गया। इस एक्सीडेंट में ल्यू को काफी चोटें आईं थीं। जिसके चलते उन्हें होटल में आराम करना पड़ा। होटल में रहने के दौरान उन्हें बौद्ध मठ से जुड़ी कुछ किताबें मिलीं। ल्यू ने सारी किताबें पढ़ लीं जिसके बाद उन्होंने बुद्ध की शरण में जाने का मन बना लिया। वह एक पर्वत पर गए जहां बुद्ध का मंदिर था। वहां उन्होंने 2 साल गुजारे और वापस आते ही सारा बिजनेस छोड़ दिया और पूर्वी चीन स्थ्ित मंदिर में चले गए।

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3. शिवेंदर मोहन सिंह :-

फोर्टिस हेल्थकेयर के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन शिवेंदर मोहन सिंह भी राधास्वामी सत्संग व्यास से जुड़ गए हैं। शिवेंदर ने अपने भाई मालविंदर के साथ 1990 के दशक में फोर्टिस हेल्थकेयर की स्थापना की थी। शिवेंदर फोर्टिस हॉस्पिटल के को-फाउंडर थे। संन्यास लेने से पहले शिवेंदर 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक थे। कंपनी के एक बयान के मुताबिक, शिवेंदर एक जनवरी 2016 से कंपनी के नॉन एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट बने रहेंगे। इस फैसले पर उन्होंने कहा था कि, मैं खुशनसीब हूं कि इसे स्वीकार कर लिया गया है। मैं फोर्टिस की कार्यकारी जिम्मेदारियां छोड़ने के बाद व्यास के डेरे पर चला जाऊंगा।

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4. ग्रेग हॉपकिंसन :-

न्यूजीलैंड की कंपनी मिल्क प्रोसेसिंग चेन के सीईओ ग्रेग ने अपना बिजनेस 1996 में शुरु किया था। बेशक ग्रेग के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति थी लेकिन उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनकी शादी सक्सेस नहीं हो पाई। उन्हें ब्रेन ट्यूमर भी हो गया जिसका लंबे समय तक इलाज भी चला। इस बीच एक बार बिजनेस के काम से उन्हें रूस जाना पड़ा। यहां पहुंचकर ग्रेग ने मेडिटेशन शुरु किया। जिससे उन्हें काफी राहत मिली। जिसके बाद ग्रेग ने बिजनेस छोड़कर संन्यास ग्रहण कर लिया। 

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