- 38 महीनों से प्रेरक लगाए हैं मानदेय की आस

-साढ़े नौ करोड़ मिले तो बंट पाए प्रेरकों का बकाया

FATEHPUR : पांच साल पहले बेसिक शिक्षा विभाग के जरिए शुरू की गयी साक्षर भारत योजना का जिले में बुरा हाल है। पिछले 38 महीनों से योजना वेंटीलेटर पर सांसे गिन रही है। योजना का काम कागजों में भले ही सरपट दौड़ रहा हो पर हकीकत कुछ अलग है। लोक शिक्षा केन्द्रों में ताले लटके हैं, जबकि योजना की कांपी किताबें रद्दी के भाव बिक रही हैं। कार्मिको को मानदेय न मिलने से वह भी काम में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

14 सौ प्रेरकों को मानदेय नहीं मिला

योजना के हालात यह हैं कि अप्रैल 2012 से जिले के 786 लोक शिक्षा केन्द्रों में तैनात करीब 14 सौ प्रेरकों को मानदेय नहीं मिला। शासन ने योजना के जरिए गांव गांव निरक्षरों को साक्षर बनाने का जो अभियान शुरू किया। सही मानीट¨रग न होने से कागज पर सरपट दौड़ रहा है। प्रति वर्ष जिले में पचास हजार से अधिक लोगों को साक्षर बना दिया जाता है। इतने ही साक्षर फिर निकल कर आ जाते हैं। योजना के संचालन को भारत सरकार व राज्य सरकार ने मिलकर जिले को दो किस्तो में मात्र एक करोड़ 88 लाख 64 हजार बजट उपलब्ध कराया। जो कि मांग से साढे नौ करोड़ कम है।

कब शुरू हुई, कब तक मिला मानदेय

जिले में साक्षर भारत अभियान की शुरुआत मई 2011 में हुई थी। जिसके संचालन का जिम्मा बेसिक शिक्षा विभाग के पास है। जिलाधिकारी लोक शिक्षा जिला समिति के अध्यक्ष और बीएसए सचिव है। योजना के तहत मात्र 11 माह का मानदेय प्रेरकों को दिया गया। मार्च 2012 तक का मानदेय ग्राम निधि के खाते में मानदेय भेजा गया। लेकिन इसके बाद मानदेय प्रेरक के स्वत: के खाते में मानदेय भेजने का निर्देश प्राप्त हुआ। इसके बाद से मानदेय का इंतजार बढ़ गया।

दो-दो माह का मानदेय भेजा

बेसिक शिक्षा विभाग के आंकडों की बात की जाए तो सरकार ने एक करोड 88 लाख की धनराशि विभाग को उपलब्ध करायी। जिसमे साढे़ पचपन लाख रुपए ब्लाक इकाईयों के खाते में दो दो माह का मानदेय के रूप में भेज दिया गया। मौजूदा समय में अब भी विभाग के पास एक करोड 33 लाख रुपया डम्प है। उधर बहुआ के ब्लाक समन्वयक प्रवीण साहू ने बताया कि हमने अपने ब्लाक में दो दो माह का मानदेय प्रेरकों के खाते में भेज दिया है।

क्या कहते है जिम्मेदार

साढे पचपन लाख रुपए हमने ब्लाकवार ब्लाक लोक शिक्षा केन्द्रों को भेज दिया है। निर्देश है कि प्रेरक की उपस्थिति के आधार पर दो दो माह का बकाया दे दिया जाए। इसके अलावा दूसरी किस्त में हम फिर से दो दो माह का मानदेय जून महीने में भेजेगे। शासन से साढ़े नौ करोड़ की डिमांड की है। यदि यह बजट आवंटित हो जाता है तो पूरे 38 माह का बकाया एकसाथ भेज दिया जाएगा।

कुलदीप गंगवार जिला समन्वयक।

योजना एक नजर में

योजना आरंभ-मई 2011

मानदेय बंटा- मार्च 2012 तक

मार्च 2012 के बाद प्राप्त बजट- 1.88 करोड

ब्लाक खातों गयी रकम- 55.50 लाख

अवशेष रकम डम्प है- 1.32 करोड

शासन से डिमांड- 9.50 करोड