- लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल में कन्हैया कुमार के विरोध में हुआ हंगामा

- आधा घंटे हंगामें के बाद फिर से शुरु हुआ कार्यक्रम

LUCKNOW: कन्हैया कुमार वापस जाओ, भारत माता की जय के नारों के साथ कन्हैया का विरोध शुरू हुआ जो हाथापाई तक पहुंच गया। मौका था लिटरेरी फेस्टिवल में जेएनयू फेम कन्हैया कुमार की बुक बिहार टू तिहाड़ पर परिचर्चा का। जिसके शुरू होने से पहले दर्जनों युवकों ने ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा शुरु होते ही कन्हैया को उनके साथियों ने घेर लिया मगर उसके बाद भी कुछ लोग हाथापाई करने लगे।

पौन घंटे चला हंगामा

कन्हैया जब तक कुछ समझ पाते तक 15 से 20 लोग उनके पास पहुंच गए और उन्होंने उसके सिर और पीठ पर मारा। पुलिस के नाम पर वहां सिर्फ एक अधिकारी था जो फोर्स बुलाने की बात कहकर बाहर निकल गया। शाम सात बजकर दस मिनट पर शुरु हुआ हंगामा करीब पौन घंटे तक चलता रहा।

तोड़फोड़ भी की गई

इस दौरान शीरोज हैंगआउट में विरोध कर रहे युवकों ने तोड़फोड़ भी की। बाद में पुलिस फोर्स के आने बाद विरोध कर रहे युवकों को बाहर निकाला गया। जिसके बाद कार्यक्रम शुरू हुआ।

एसिड विक्टिम ने बनाया घेरा

कन्हैया के बचाव में शीरोज हैंगआउट में काम करने वाली महिलाएं सामने आई। उन्होनें स्टेज के आगे आकर विरोध कर रहे लोगों से शांत होने की अपील की लेकिन विरोधियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

अपराधी हूं तो जेल में डाल दो

हंगामे के बाद शुरू हुए प्रोग्राम में कन्हैया ने कहा कि यह साहित्य का कार्यक्रम है। इसमें राजनैतिक विरोध नहीं होना चाहिए। अगर विरोध ही करना था तो बैठकर सवाल करते मैं उनका जवाब देता। इस बीच आयोजकों और पुलिस ने कन्हैया को वापस जाने का कहा लेकिन कन्हैया ने कहा कि अगर मैं अपराधी हूं, तो मुझे जेल ले जाओ। नहीं तो जो विरोध कर रहें हैं, उन्हें बाहर निकालें।

देश को देश की तरह चलने दें

कन्हैया ने कहा कि हर मंच को सेल्फी लेने वाला मंच नहीं बनाना चाहिए। देश को देश की तरह चलने दें। अपनी किताब पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं लेखक नहीं हूं। असमानता को खत्म करने के लिए अगर अगर जेल जाना पड़े तो गर्व की बात है।

खामोश खड़े रहे शत्रुघ्न

हंगामे से पहले पहुंचे शत्रुघ्न सिन्हा हंगामा बढ़ता देख किनारे हो गए। वो हंगामे वाली जगह से दूर होकर किनारे जाकर खड़े हो गये। हंगामा शांत होने के बाद उन्हें कुर्सी देकर बैठाया गया।

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पूर्व गवर्नर ने किया उदघाटन

लखनऊ सोसाइटी की ओर से शुरू हुए तीन दिवसीय लिटरेरी फेस्टिवल का उद्घाटन पूर्व गवर्नर अजीज कुरैशी ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस पार्लियामेंट में 450 करोड़पति अरबपति भरे हों, वो महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पार्लियामेंट नहीं हो सकती। उन्होंने गोपाल दास नीरज का गीत वो दिन जल्द आयेगा, जब यह राजपथ जनपथ में बदल जायेगा सुनाते हुए कहा कि मैं खुद भूल गया राजपथ जनपथ को। जनपथ को छोड़ राजपथ का हो गया। धोखा दिया। यह ट्रेजडी नस्लों की है, जिन्होंने क्रांति से देश बदलने का फैसला किया था वह भटक गये। उन्होंने कहा कि संस्कृत की तरक्की के लिए कुछ नहीं हुआ। जबकि हिंदुस्तानी अदब में संस्कृत का असर रहा है।

प्राइड ऑफ लखनऊ अवार्ड

इस दौरान वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना का प्राइड ऑफ लखनऊ लिटरेचर अवार्ड से सम्मानित किया गया। लिटरेरी फेस्टिवल में पहला सेशन दिव्या दत्ता का रहा जिन्होंने किताब मी एंड मां पर अयाज खान ने बातचीत की। परिचर्चा में सवालों का जवाब देते हुये दिव्या ने कहा कि मैं चाहती थी कि मेरी इस किताब का विमोचन अमिताभ बच्चन करें। जब उन्होंने किया तो बहुत खुशी हुई।

एनी थिंग बट खामोश पर परिचर्चा

हंगामे के बाद शुरू हुए सत्र में शत्रुघ्न सिन्हा के खामोश बोलते ही दर्शक खूब हंसे। शेरो शायरी के दौर में अपनी बात शुरू करते हुये उन्होंने जब कहा कि रात गई बात गई, नाम कमा गया सुभाष घई तो माहौल ठहाकों से गूंज उठा। शत्रुघ्न सिन्हा पर भारती प्रधान की लिखी किताब एनी थिंग एल्स बट खामोश किताब पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। जिसमें भारती प्रधान के सवालों का जवाब देते हुये कहा कि किताब मेरी जिंदगी पर लिखी गई ईमानदार और पारदर्शी इबारत है।