- चार बाल बंदियों की चलती है दबंगई, 40 मोबाइल से कंट्रोल होता नेटवर्क

- सेल के बच्चों से वसूला जाता है खैरियत का रुपया

- 3 बंदी अपने घरों में भेजते हैं 20-20 हजार रुपए महीना

- सिटी मजिस्ट्रेट ने जुवेनाइल सेल में दौरा कर भेजी अपनी सिफारिशें

Meerut : एक कमरे में पड़ी मेज-कुर्सी, जुवेनाइल सेल में एक दफ्तर जैसा माहौल देखकर जिज्ञासा हुई तो लोगों से पूछा। जो तथ्य सामने आए वे वास्तव में चौंकाने वाले थे। जुवेनाइल सेल में दबंगों का दफ्तर चलता है। टेबल कुर्सी और किसी गैंग के मुखिया का जो साजो-सामान होना चाहिए, पूरा मौजूद है। 3 दंबगों के आवाज से पूरा सेल कांप उठता है। उनकी खातिरदारी की जाती है। उन्हीं का कानून चलता है सूरजकुंड स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में। आए दिन हो रही घटनाओं की तह में जाने के लिए आई नेक्स्ट की खास रिपोर्ट-

ये हैं वो 3 दबंग

जुवेनाइल सेल के एक कर्मचारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि सेल में सुहेल, सलमान, विक्की का जुवेनाइल सेल पर राज है। इन तीनों की उम्र करीब 16 साल के आसपास है। पूरे सेल में इन्हीं तीनों की तूती बोलती है। कोई भी इनके सामने नहीं बोलता है। तीनों का कहना कोई टालता। अगर कोई मना करता है तो उसकी पिटाई की जाती है। सेल में बकायदा उनका पूरा दफ्तर है। जहां से वो पूरे सेल के बच्चों को अपने तरीके से ऑपरेट करते हैं।

करीब 40 मोबाइल होते हैं संचालित

सूत्रों के अनुसार सेल में करीब 40 मोबाइल ऑपरेट हो रहे हैं। जिसकी परमीशन प्रोबेशन अधिकारी से नहीं बल्कि इन्हीं तीनों की परमीशन से चल रहे हैं। इसके लिए बच्चों से रुपए लिए जाते हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों में इतना खौफ है कि कोई भी इनसे मोबाइल लेकर जब्त करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। ऐसे में इन तीनों की हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गई है।

हजारों रुपए की वसूली

जब भी बच्चों के पेरेंट्स मिलने के लिए आते हैं तो उन्हें पेरेंट्स रुपए देकर जाते हैं। ताकि अगर कुछ बाहर से मंगाकर खाना हो तो लेकर खा ले। लेकिन उन रुपयों को ये तीनों छीन लेते हैं। सूत्रों की मानें तो ये तीनों 20-20 हजार रुपए अपने घरों में हर महीने भेज रहे हैं। ये रुपए उन बच्चों से उनकी खैरियत या सलामती के रूप में मांगें जा रहे हैं। अपनी जान बचाने के लिए बाल बंदियों को उनकी बात माननी पड़ती है।

मटन से लेकर बिरयानी तक

इन तीनों के लिए घर से रोजाना बेहतरीन पकवान आ रहे हैं। जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। अगर कोई मना करता है तो उस कर्मचारी को चिह्नित कर उसकी पिटाई कर देते हैं। जिसके बाद कोई भी कर्मचारी उनके साथ कोई पंगा लेने की हिम्मत नहीं दिखाता है। अधिकारियों की मानें तो इन तीनों को अलग करने का तोड़ निकालने की कोशिश की जा रही है।

सिटी मजिस्ट्रेट ने दौरा कर भेजी अपनी सिफारिशें

सोमवार को बच्चा जेल में बवाल होने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार को जांच सौंपी गई थी। जिसके बाद उन्होंने जुवेनाइल सेल का दौरा किया और वहां के हालातों को परखा। उन्होंने वहां के स्टाफ से बात की और सभी से अलग-अलग सवाल भी किए। वहीं बाहर तैनात पुलिस कर्मियों से भी बात की। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि मैंने अपनी ओर से कुछ सिफारिशें दी हैं। इन्हें अमल में लाने के बाद सेल की स्थिति में काफी सुधार आने की उम्मीद है।

ये हैं वो सिफारिशें

- अंदर आने जाने वाले हरेक शख्स की चेकिंग की जाए।

- फीमेल की जांच के लिए फीमेल पुलिस स्टाफ को लगाया जाए।

- पेरेंट्स द्वारा जो सामान अंदर ले जाया जा रहा है उसकी प्रोपर चेक होना जरूरी।

- जुवेनाइल सेल में रहने वाले बच्चों की हफ्ते में एक बार चेकिंग।

- दंबगई दिखाने वाले गैंग के बच्चों के अलग-अलग जिलों के जुवेनाइल सेल में शिफ्ट किया जाए।

मैंने सेल का दौरा किया था और अपनी ओर से कमियां देखी उसकी रिपोर्ट मैंने बनाकर डीएम को दे दी हैं। अगर ये कमियां और सिफारिशों पर काम हो काफी कुछ सुधार आ सकता है।

- केशव कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट, मेरठ