-लगातार हत्या व लूट के बाद भी इनपुट नहीं देती एलआईयू

-पत्रकार व पब्लिक के भरोसे चल रही लोकल इंटेलिजेंस की ड्यूटी

-सिर्फ वीआईपी कार्यक्रम में ड्यूटी कर बचा लेते अपनी साख

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: वारदात होने से पहले पुलिस द्वारा उसे रोकने की अपेक्षा तो की जाती है, लेकिन उन वारदातों के होने की सूचना देने वाला पुलिस का तंत्र ही पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। पुलिस का लोकल इंटेलिजेंस (एलआईयू) व मुखबिर तंत्र भगवान भरोसे ही है। यही वजह है कि घटनाओं को रोकने में जिला पुलिस भी पूरी तरह विफल साबित है। पुलिस को न तो शहर की गतिविधियों की ही कोई सटीक जानकारी मिलती है और न ही यहां छिपे संदिग्धों की। ऐसे में यूं कहा जा सकता है कि सीएम सिटी का सूचना तंत्र सिर्फ बैठकर सरकारी वेतन ले रहा है।

एलआईयू से पुलिस को अपेक्षाएं तो बहुत हैं, लेकिन यह उनकी अपेक्षाओं पर कभी खरे नहीं उतरते। सूत्रों की मानें तो एलआईयू ने बीते कई वर्षो में पुलिस को कोई ऐसी बड़ी सूचना नहीं दी है, जिसे किसी बड़ी वारदात को होने से पहले रोका जा सका हो। हालत यह है कि घटनाएं होने के बाद उसकी डिटेल जुटाने में भी एलआईयू कर्मचारियों के पसीने छूटने लगते हैं। वारदातों को बाद इनकी रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट व मीडिया रिपो‌र्ट्स के आधार पर होती है। ऐसे में जो खुद दूसरों पर निर्भर हो, वो भला पुलिस को कोई सटीक जानकारी कैसे दे सकेगा। ऐसे में किसी घटना के होने के बाद इसकी पूरी गाज एक तरफा पुलिस पर गिर जाती है।

सिर्फ वेरिफिकेशन में लगता है मन

हां एक काम जरूर है जो जिले की एलआईयू बेहद मन से करती है। वो है वेरिफिकेशन। यह वेरिफिकेशन चाहे पासपोर्ट का हो या फिर किसी अन्य मान्यता, जिसमें एलआईयू की रिपोर्ट लगती हो। लेकिन इस काम में यहां के कर्मचारियों का मन बेहद लगता है। इसके अलावा एक अन्य काम है, जिसमें ड्यूटी करना इनकी मजबूरी हो जाती है। वह है वीआईपी ड्यूटी। वीआईपी ड्यूटी के दौरान एलआईयू की थोड़ी सक्रियता देखने को जरूर मिलती है। लेकिन इसे लेकर भी कभी टीम ने किसी तरह की कोई सटीक जानकारी नहीं दी।

एलआईयू में करीब 30 कर्मचारी

इस वक्त एलआईयू की मौजूदा टीम जरूरत से बड़ी है। दो इंस्पेक्टर की जगह गोरखपुर में 9 इंस्पेक्टर को तैनात किया गया है। इसके अलावा एक सीओ व करीब 14 सिपाहियों सहित करीब 30 कर्मचारी की यह टीम कभी कोई सटीक जानकारी नहीं जुटा पाती। बावजूद इसके सीएम शहर का हवाला देते हुए सभी इंस्पेक्टर के यहां जमे रहने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।

वारदात के बाद देते हैं रिपोर्ट

इतनी बड़ी टीम के बावजूद जिले के एलआईयू की हालत यह है कि वारदात के उसकी रिपोर्ट देने के बजाय घटनाओं के बाद उसकी रिपोर्ट पुलिस को देते हैं। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट को भी तैयार करने के लिए टीम मौके पर जाना जरूरी नहीं समझती, बल्कि सोशल मीडिया पर चलने वाली सूचनाओं व मीडिया रिपो‌र्ट्स के आधार पर एलआईयू की रिपोर्ट तैयार होती है। वहीं, अधिकारियों के जमे रहने की वजह से धरना-प्रदर्शन के दौरान टीम सक्रिय तो दिखाई देती है, लेकिन उस प्रदर्शन के पीछे चल रही अंदरखाने के किसी तरह के कोई खबर की इन्हें कोई जानकारी नहीं होती।

यह है एलआईयू का काम

- राजनैतिक क्षेत्र में होने वाली हलचल पर नजर रखना

- किसी घटना या आंदोलन की तैयारी की सूचना

- शहर में छिपे हुए संदिग्धों और शहर के माहौल की जानकारी

- किसी वारदात के पीछे रची जाने वाली साजिश और उसे तूल देने के तैयारी की सूचना

- पासपोर्ट सहित अन्य सरकारी महत्वपूर्ण वेरिफिकेशन कर रिपोर्ट देना

- वीआईपी कार्यक्रम के दौरान आम जन के बीच रहकर गतिविधियों पर नजर रखना

वर्जन

एलआईयू से समय-समय पर सूचनाएं मिलती रहती हैं। साथ ही टीम को निर्देशित किया गया है कि वह थानों से समन्वय बनाकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करें। जल्द ही इसके लिए एक मीटिंग भी बुलाई गई है। जिसमें एलआईयू को अलग से टास्क भी दिया जाएगा।

- शलभ माथुर, एसएसपी