घर बैठे ऑनलाइन प्रसाद भी बुक करा सकेंगे भक्त

दो महीने में बनकर तैयार हो जाएगी मंदिर की वेबसाइट

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ALLAHABAD: मान्यता है कि मूर्छित पड़े लक्ष्मण का जीवन बचाने के लिए निकले हनुमान जी को पर्वत हाथ में उठाए देखकर भरत को शक हो गया कि वह वन गमन कर रहे भाईयों राम और लक्ष्मण के लिए खतरा बन सकते हैं। उन्होंने हनुमान जी पर एक बाण चला दिया। इस आघात से हनुमान जी जमीन पर आ गिरे और लेट गए। इसी के चलते संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर में पवनसुत की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। कुंभ हो या अ‌र्द्ध कुंभ जितनी मान्यता संगम तट पर स्नान की है उससे कम मान्यता बड़े हनुमान के दर्शन की नहीं है। हर साल उन्हें स्नान कराने के लिए गंगा जी खुद चलकर उनके द्वार तक आती हैं। इसी के चलते इस स्थान का प्रताप पूरी दुनिया में फैला है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उनके दर्शन-पूजन के लिए आना चाहते हैं लेकिन कभी वक्त, कभी साधन और कभी शारीरिक अवस्था रोड़ा बन जाती है। इसका समाधान मंदिर प्रशासन ने खोज लिया है। तय किया गया है कि मंदिर में हर दिन होने वाली आरती को दूसरे मंदिरों की तरह ऑनलाइन कर दिया जाए। प्रसाद भी घर बैठे बुक कराने की सुविधा श्रद्धालुओं को दे दी जाय। इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ा दिया गया है और लक्ष्य है कि दो महीने के भीतर प्रसाद भेजने की व्यवस्था शुरू करा दी जाय। सम्पूर्ण योजना को मूर्त रूप देने के लिए माघ मेला तक का समय तय किया गया है।

प्रतिदिन अपलोड होगी आरती

बड़े हनुमान मंदिर के महंत नरेन्द्र गिरी के अनुसार इस ऐतिहासिक महत्व के मंदिर के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए मंदिर की वेबसाइट बनाने का निर्णय लिया गया है। वेबसाइट पर मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी किंवदंती भी मौजूद रहेगी। साइट पर प्रतिदिन की आरती और उसका वीडियो व विशेष तिथियों पर होने वाले प्रमुख आयोजनों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि श्रद्धालु भले ही मंदिर के भीतर न पहुंच सके लेकिन फील करके कि वह भी आरती या मंदिर के भीतर होने वाली किसी भी एक्टिविटी का हिस्सा है। इसके साथ ही मंदिर से संबंधित हर नई जानकारी भी दी जाएगी। वेबसाइट दो माह में लांच करने का निर्णय लिया गया है।

डाक विभाग से होगा टाइअप

महंत नरेन्द्र गिरी ने बताया कि वेबसाइट पर ऑनलाइन प्रसाद के लिए अलग से लिंक दिया जाएगा। उस पर क्लिक करने के बाद दिए गए निर्देशों से प्रसाद की मांग की जाएगी। इसके बाद मंदिर प्रशासन संबंधित पते पर प्रसाद भेज देगा। प्रसाद भिजवाने के लिए डाक विभाग से टाइअप किया जाएगा। वेबसाइट बनाने के लिए उज्जैन की एजेंसी से सम्पर्क किया गया है। एक बार वेबसाइट का काम सही दिशा में आगे बढ़ जाने के बाद डाक विभाग से प्रसाद भिजवाने के लिए टाइअप किया जाएगा। प्रसाद भेलने के एवज में श्रद्धालुओं से क्या लिया जाएगा? इस पर फैसला आने वालों के लिया जाएगा।

शारीरिक रूप से अक्षम या बड़े उम्र के लोगों को मंदिर आकर लाइन में खड़े होकर दर्शन-पूजन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों के लिए ही ऑनलाइन दर्शन और प्रसाद की व्यवस्था का निर्णय लिया गया है। कई भक्त ऐसे भी हैं जो शहर से दूर या विदेश में होने के कारण दर्शन नहीं कर पाते वे भी इससे लाभान्वित होंगे। माघ मेला से पहले वेबसाइट शुरू करने का प्लान है। इसके लिए प्रयास शुरू भी कर दिया गया है।

नरेन्द्र गिरि, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व मंदिर के महंत

अब तक यहां की आरती है लाइव

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

श्री शिरडी साई बाबा लाइव दर्शन द्वारकामाई

सिद्धी विनायक मंदिर, मुंबई

महाकाल, उज्जैन

तिरुपति बालाजी, आंध्र प्रदेश

विंध्याचल मंदिर, मिर्जापुर

वैष्णो देवी, जम्मू