-40 डॉक्टर्स पैरामेडिकल स्टाफ

-17 घंटे

-9 साल का बच्चा

-बच्चा सीसीएम में और डोनर मां को वार्ड शिफ्ट किया गया

LUCKNOW:

संजय गांधी पीजीआई में शुक्रवार को नौ साल के सुहैल का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। ट्रांसप्लांट के लिए करीब 20 डॉक्टर्स और करीब 20 पैरामेडिकल सहित 40 लोगों की टीम ने 17 घंटे की मेहनत के बाद ट्रांसप्लांट किया। ट्रांसप्लांट के बाद बच्चे को क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम) में डॉक्टर्स की गहन निगरानी में रखा गया है जबकि डोनर मां को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। डॉक्टर्स के अनुसार बच्चे और मां दोनों की हालत में सुधार ह ।

19 घंटे लगे पूरे आपरेशन में

पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ। राजन सक्सेना की देखरेख में बहराइच के सुहैल को लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट में भर्ती किया गया था। सुहैल को उसकी मां से लिवर लोब लेकर ट्रांसप्लांट किया गया है। निदेशक प्रो। राकेश कपूर ने बताया कि गुरुवार सुबह नौ बजे सुहैल और उनकी मां को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया था। पहले मां से लिवर का हिस्सा निकाला गया। उसके बाद रात करीब 10 बजे लिवर ट्रांसप्लांट शुरू किया गया जो शुक्रवार तड़के करीब चार बजे तक चला। डॉ। राजन सक्सेना की अगुवाई में ट्रांसप्लांट करने वाली टीम में डॉ। आरके सिंह, डॉ। सुप्रिया शर्मा, डॉ। मनीष, डॉ। राहुल के अलावा एनेस्थीसिया के डॉ। एसपी अंबेश और डॉ। देवेन्द्र गुप्ता के साथ ही करीब 25 डॉक्टरों की टीम के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ शामिल था।

आठ दिन निगरानी में

निदेशक प्रो। राकेश कपूर ने बताया कि बच्चे को लिवर सिरोसिस के कारण लिवर फेल की स्टेज में पहुंच गया था। बच्चे को इंटेंसिव केयर में रखा गया है। करीब 6 से 8 दिन बच्चा आईसीयू में ही रहेगा। इंटेसिव केयर के डॉ। पी अंबेश और उनकी टीम लगातार बच्चे की देखरेख कर रही है।

कई वर्षो से तैयार है बिल्डिंग

संजय गांधी पीजीआई में करीब 200 करोड़ की आर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर खड़ी है। इसमें करीब 37 करोड़ के एक्विपमेंट भी लगाए गए हैं, लेकिन पिछले कई वर्षो बाद अब ट्रांसप्लांट शुरू किया जा सका है।

नहीं जाना पड़ेगा दूसरे राज्य

लखनऊ में अभी संजय गांधी पीजीआई ही है जहां पर लिवर ट्रांसपलांट की सुवधिा है। संजय गांधी पीजीआई के सीएमएस डॉ। अमित अग्रवाल ने बताया कि ट्रांसप्लांट में 10 सर्जन, 10 एनेस्थीसिया के डॉक्टर और करीब 20 पैरामेडिकल स्टाफ सहित 40 लोगों की टीम ने योगदान दिया। उन्होंने बताया कि पीजीआई में लिवर ट्रांसपलांट का खर्च करीब 10 से 14 लाख रुपए आता है जबकि दिल्ली गुड़गांव के प्राइवेट संस्थानों में यह खर्च 40 लाख रुपए से अधिक है। पीजीआई में ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद मरीजों को दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा।

2015 से नहीं हुआ था ट्रांसप्लांट

यहां पर भी पिछली बार 2015 में अंतिम बार लिवर ट्रांसप्लांट हुआ, जिसके फेल होने के बाद से लिवर ट्रांसप्लांट ठप है। तब डॉ। राजन सक्सेना की ही टीम में डॉ। अभिषेक यादव व डॉ। सुप्रिया शर्मा समेत अन्य डॉक्टरों ने दो मरीजों का लिवर ट्रांसप्लांट भी किया था। इसके बाद डॉ। अभिषेक के अचानक संस्थान छोड़ने पर एक बार फिर से लिवर ट्रांसप्लांट को झटका लग गया था। दूसरी ओर केजीएमयू में आर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट भी लंबे समय से बनकर खड़ी है, लेकिन मरीजों को सुविधा नहीं मिल रही है।

20 डॉक्टर्स सहित 40 की टीम ने लगातार 17 घंटे की मेहनत से लिवर ट्रांसप्लांट किया है। बच्चे को अभी इंटेंसिव केयर में रखा गया है। बच्चे और उसकी मां दोनों की हालत स्थित बनी हुई है।

प्रो। अमित अग्रवाल, सीएमएस, पीजीआई